NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antara Chapter 15: Jaha Koi Wapsi Nehi

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antara Chapter 15, "Jaha Koi Wapsi Nehi," detail with an elaborative review this piece of art that is contemplative and introspective. This chapter has conveyed a subconscious subtext of longing and separation and a certain philosophy about life and its irreversible momentum. The solution thus carves out the underlying theme and messages within the text, which becomes quite essential for the students in pursuit of understanding the complexities of this chapter. Solutions for class 12 Hindi antra chapter 15 pdf guide the students through the labyrinthine narrative and linguistic features that are hallmarks of this piece being considered part of the Hindi curriculum.

Download PDF For NCERT Solutions for Hindi Jaha Koi Wapsi Nehi

The NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antara Chapter 15: Jaha Koi Wapsi Nehi are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.

Download PDF

Access Answers to NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antara Chapter 15: Jaha Koi Wapsi Nehi

Students can access the NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antara Chapter 15: Jaha Koi Wapsi Nehi. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.

Jaha Koi Wapsi Nehi

Question 1 :

अमझर से आप क्या समझते हैं ? अमझर गाँव में सूनापन क्यों है ?

Answer :

‘अमझर’. हम समझते हैं-आमों का झरना। यह एक गाँव का नाम है। यह गाँव आम के पेड़ों से घिरा था और यहाँ के पेड़ों से आम झरते (गिरते) रहते थे।
इस गाँव में अब सूनापन है। यहाँ के पेड़ों पर भी सूनापन पसरा हुआ है। अब न कोई फल पकता है और न कुछ नीचे झरता है। इसका कारण यह है कि जब से यह सरकारी घोषणा हुई कि अमरौली प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवागाँव के अनेक गाँव उजाड़ दिए जाएँगे और उनमें अमझर गाँव भी था, तब से यहाँ के आम के पेड़ सूखने लगे। जब आदमी ही उजड़ जाएँगे तो फिर पेड़ ही जीवित रहकर क्या करेंगे ?

 


Question 2 :

आधुनिक भारत के ‘नए शरणार्थी’ किन्हें कहा गया है ?

Answer :

पुराने शरणार्थी तो वे थे जो भारत बँटवारे के समय पाकिस्तान से उजड़कर यहाँ आए थे। अब आधुनिक भारत के नए शरणार्थी वे हैं जिन्हें औद्योगीकरण की आँधी ने अपने घर, अपनी जमीन से उखाड़कर हमेशा के लिए निर्वासित कर दिया है। उन्हें विकास और प्रगति के नाम पर उन्मूलित किया गया है। इन लोगों की जमीन को सरकार या औद्योगिक घरानों ने अधिग्रहित कर लिया और ये लोग सदा के लिए बेघर हो गए। ये कभी अपने घर लौट नहीं सकते।

 


Question 3 :

प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगीकरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है ?

Answer :

प्रकृति के कारण विस्थापन अस्थायी होता है। बाढ़ या भूकंप के कारण लोग अपना घर-बार छोड़कर कुछ समय के लिए जरूर बाहर जाकर बस जाते हैं, पर मुसीबत के टलते ही वे दोबारा अपने पुराने परिवेश में लौट आते हैं। औद्योगीकरण के कारण हुए विस्थापन में लोग फिर कभी लौटकर अपने घर वापस नहीं आ पाते। उनके घर टूट चुके होते हैं, जमीन पर कोई उद्योग स्थापित हो चुका होता है। उसका परिवेश और आवास-स्थल हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।

 


Question 4 :

यूरोप और भारत की पर्यावरणीय संबंधी चिंताएँ किस प्रकार भिन्न हैं ?

Answer :

यूरोप में पर्यावरण का प्रश्न मनुष्य और भूगोल के बीच संतुलन बनाए रखने का है। वहाँ के लोग इसी संतुलन को बनाए रखने के बारे में चिंता करते हैं। उनकी चिंता भौगोलिक स्थिति के बारे में होती है। इसका संस्कृति से कोई संबंध नहीं है। भारत में पर्यावरणीय चिंता का स्वरूप भिन्न है। भारत में मनुष्य और उसकी संस्कृति के बीच पारस्परिक संबंध को बनाए रखने का प्रश्न है। यहाँ मनुष्य के उन रिश्तों की बात होती है जो उसे धरती, जंगलों, नदियों से जोड़ता है। यही उसकी सांस्कृतिक विरासत है, वह इसी की चिंता करता है।

 


Question 5 :

लेखक के अनुसार स्वातंत्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रैजडी क्या है ?

Answer :

स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रैजडी यह नहीं है कि शासन वर्ग ने औद्योगीकरण का मार्ग चुना, बल्कि ‘ट्रैजडी’ यह है कि हमने पश्चिम की देखा-देखी और नकल में योजनाएँ बनाईं और इनको बनाते समय प्रकृति-मनुष्य और संस्कृति के बीच का नाजुक संतुलन नष्ट कर दिया। इस संतुलन को किस तरह से नष्ट होने से बचाया जाए, इस ओर हमारे पश्चिम शिक्षित सत्ताधारियों का ध्यान कभी ग्या ही नहीं। हम बिना पश्चिम को मॉडल बनाए अपनी शर्तों और मर्यादाओं के आधार पर औद्योगिक विकास का भारतीय स्वरूप निर्धारित कर सकते थे, वह हमारे शासकों ने किया ही नहीं। इसका उन्हें खयाल तक नहीं आया।

 


Question 6 :

औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है, क्यों और कैसे ?

Answer :

औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है, यह पूरी तरह सच है। औद्योगीकरण करने के लिए आम लोगों की जमीन अधिग्रहित की गई। उनको उजाड़ा गयां। वहाँ के परिवेश को नष्ट किया गया। इस औद्योगीकरण में मनुष्य ही नहीं उजड़ा बल्कि उसका परिवेश भी उजड़ गया। इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा। औद्योगीकरण के कारण जो उद्योग स्थापित किए गए उन्होंने अपने धुएँ से भी पर्यावरण को प्रदूषित किया। इन कारखानों से निकलने वाले कचरे ने पर्यावरण का संकट पैदा किया।

 


Question 7 :

निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) आदमी उजड़ेंगे तो पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे ?
(ख) प्रकृति और इतिहास के बीच यह गहरा अंतर है ?

Answer :

(क) जब लोगों को अपने घर-परिवार और परिवेश से उजाड़ दिया जाएगा तब भला पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे। आदमी और पेड़ का आपस में गहरा रिश्ता है। एक के बिना दूसरा व्यर्थ है।
(ख) प्रकृति जब किसी को उजाड़ती है तो फिर से बसने का मौका भी देती है जबकि इतिहास जब लोगों को उजड़ता है तो वे लोग फिर कभी अपने घर लौट नहीं पाते। यही इनके बीच अंतर है।

 


Question 8 :

निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(क) आधुनिक शरणार्थी
(ख) औद्योगीकरण की अनिवार्यता
(ग) प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच आपसी संबंध

Answer :

(क) आधुनिक शरणार्थी वे हैं जिन्हें औद्योगीकरण की आँधी ने उखाड़ा है इन्हें उद्योग स्थापित करने के लिए अपने घर, अपनी जमीन से हमेशा के लिए निर्वासित कर दिया जाता है।
(ख) औद्योगीकरण की अनिवार्यता को तो सभी स्वीकार करते हैं क्योंकि इसके बिना देश प्रगति नहीं कर सकता, पर इसे करते समय प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच के संतुलन की भी रक्षा की जानी चाहिए।
(ग) प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच गहरा संबंध है। औद्योगीकरण इसको नष्ट कर डालता है। कुछ ऐसा रास्ता खोजना चाहिए कि यह रिश्ता नष्ट न होने पाए।

 


Question 9 :

निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य लिखिए-
(क) कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है।
(ख) अतीत का समूचा मिथक संसार पोथियों में नहीं, इन रिश्तों की अदृश्य लिपि में मौजूद रहता था।

Answer :

(क) जो इलाका खनिज संपदा से संपन्न होता है, उस पर सभी की नजर होती है। सरकार और उद्योगपति इसका दोहन करने के उपाय सोचते रहते हैं। यही संपदा उस इलाके के लिए अभिशाप बन जाती है। उसकी खुली लूट शुरू हो जाती है। कभी-कभी ईश्वर प्रदत्त संपदा ही लोगों की आँखों में खटकने लगती है और लोग उस पर कब्जा करने के उपाय सोचने लगते हैं।
(ख) भारत की संस्कृति की यह विशेषता है कि हमारे अतीत की सभी अच्छी बातें संसार की किताबों में सीमित होकर नहीं रह गई हैं अपितु वे मनुष्यों के आपसी रिश्तों में पूरी तरह घुल-मिल गई हैं। उनकी लिपि दिखाई नहीं देती अर्थात् इनका संबंध दिखावटी न होकर मन से है। हमारी संस्कृति अत्यंत प्राचीन है। यह संस्कृति भारतीयों के रंग-ढंग, रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा में झलकती है। इन्हें छिपाकर नहीं रखा गया है। इसके लिए पुस्तकों को खोजने की आवश्यकता नहीं है।

 


भाषा-शिल्प –

Question 1 :

पाठ के संदर्भ में निम्नलिखित अभिव्यक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए :

 

Answer :

मूक सत्याग्रह, पवित्र खुलापन, स्वच्छ मांसलता, औद्योगीकरण का चक्का, नाजुक संतुलन
मूक सत्याग्रह : चुप रहकर सत्य के लिए आग्रह अर्थात् शांत विरोध। अमझर गाँव के लोग विस्थापन के विरोध में एक सत्यग्रह करते हैं।

पवित्र खुलापन : संबंधों में खुलेपन के साथ पवित्रता का भी ध्यान रखना। अमझर गाँव के लोग विस्थापन से पहले पवित्र खुलेपन के वातावरण में रहते थे।

स्वच्छ मांसलता : शारीरिक सौष्ठव एवं सौंदर्य और उसमें अश्लीलता न होकर स्वच्छता (पवित्रता) का भाव। गाँव की युवतियाँ की स्वच्छ मांसलता देखते बनती थी।

औद्योगीकरण का चक्का : उद्योगों के विकास की रफ्तार। आजकल तरक्की के लिए औद्योगीकरण का चक्का चल रहा है। नाजुक संतुलन : दो के बीच संबंधों का तालमेल जो कठिन प्रतीत होता हो। प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के नाजुक संतुलन को बनाए रखना आवश्यक है।

 


Question 2 :

इन मुहावरों पर ध्यान दीजिए :

 

Answer :

मटियामेट होना : पूरी तरह से नष्ट हो जाना, मिट्टी में मिल जाना।
आफत टलना : मुसीबत की घड़ी का समाप्त हो जाना। न फटकना : पास न आना।

 


Question 3 :

किंतु यह भ्रम है’ डूब जाती है।’ इस गद्यांश को भूतकाल की क्रिया के साथ अपने शब्दों में लिखिए।

 

Answer :

किंतु यह भ्रम था “यह बाढ़ नहीं, पानी में डूबे धान के खेत थे। हम थोड़ी सी हिम्मत बटोरकर गाँव के भीतर गए तो वे औरतें दिखाई दीं, जो एक पाँत में झुकी हुई धान के पौधे छप-छप कर पानी में रोप रही थीं, सुंदर-सुडौल, धूप में चमचमाती काली टाँगें और सिरों पर चटाई के किश्तीनुमा हैट, जो फोटो या फिल्मों में देखे हुए वियतनामी या चीनी औरतों की याद दिलाते थे। जरा-सी आहट पाते ही उन्होंने एक साथ सिर उठाकर चौंकी हुई निगाहों से हमें देखा बिल्कुल उन युवा हिरणियों की तरह, जिन्हें मैंने कान्हा के वन्यस्थल में देखा था। किंतु वे भागी नहीं, सिर्फ मुस्कुराती रहीं और फिर सिर झुकाकर अपने काम में डूब गईं।

 


योग्यता विस्तार –

Question 1 :

विस्थापन की समस्या से आप कहाँ तक परिचित हैं ? 

 

Answer :

किसी विस्थापन संबंधी परियोजना पर रिपोर्ट लिखिए। จ हम विस्थापन की समस्या से पूरी तरह परिचित हैं। बड़े-बड़े बाँधों के निर्माणस्वरूप भी यह समस्या उत्पन्न होती है। इसके लिए कई बार आंदोलन भी होते रहते हैं। मेधा पाटेकर इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। जिन लोगों को उजाड़ा जाता है उनका विस्थापन करना आवश्यक है।

 


Question 2 :

 लेखक ने दुर्घटनाग्रस्त मजदूरों को अस्पताल पहुँचाने में मदद की है। आप की दृष्टि में दुर्घटना-राहत और बचाव कार्य के लिए क्या-क्या करना चाहिए ?

 

Answer :

दुर्घटना-राहत के लिए उचित चिकित्सा व्यवस्था का होना आवश्यक है।
– दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
– दुर्घटना से बचाब के समुचित उपाय किए जाने चाहिए।

 


Question 3 :

अपने क्षेत्र की पर्यावरण संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु संभावित उपाय कर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।

 

Answer :

हम अपने क्षेत्र की पर्यावरण संबंधी समस्याओं के समाधान में क्षेत्रीय लोगों तथा सरकार एवं N.G.O. की मदद लेंगे। अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने तथा उनके संरक्षण का जिम्मा कुछ संस्थाओं और लोगों को देंगे।
प्रतिवर्ष इस कार्य की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

 


NCERT Book Solutions - जहाँ कोई वापसी नहीं

Question 1 :

अमझर से आप क्या समझते हैं? अमझर गाँव में सूनापन क्यों है?

Answer :

अमझर से अभिप्राय है- आम के पेड़ों से घिरा गाँव जहाँ आम झरते हैं। यहाँ पिछले दो-तीन वर्षों से सूनापन है। इसका कारण सरकारी घोषणा है। सरकार ने घोषणा की थी कि जहाँ अमरौली प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवागाँव के अनेक गाँव आएँगे जिन्हें उजाड़ कर अन्यत्र विस्थापित किया जाएगा। इसके बाद से यहाँ के पेड़ सूखने लगे। वे भी लोगों की तरह मूक सत्याग्रह कर रहे हैं।

 


Question 2 :

सिंगरौली में किस-किसका निर्माण हुआ ? पहले इस स्थान को क्या माना जाता था, बाद में यहाँ परिवर्तन आया ?

Answer :

सिंगरौली में नई योजनाओं के अंतर्गत सेंट्ल कोल फील्ड और नेशनल सुपर थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन का निर्माण हुआ। चारों तरफ पक्की सड़कें और पुल बनाए गए। सिंगरौली, जो अब तब अपने सौंदर्य के कारण ‘बैकुंठ’ और अपने अकेलेपन के कारण ‘काला पानी’ माना जाता था, अब प्रगति के मानचित्र पर राष्ट्रीय गौरव के साथ प्रतिष्ठित हुआ। कोयले की खदानों और उन पर आधारित ताप विद्युत गृहों की एक पूरी शृंखला ने पूरे प्रदेश को अपने में घेर लिया। जहाँ बाहर का आदमी फटकता न था, वहाँ केंद्रीय और राज्य सरकारों के अफसरों, इंजीनियरों और विशेषज्ञों की कतार लग गई; जिस तरह जमीन पर पड़े शिकार को देखकर आकाश में गिद्धों और चीलों का झुंड मँँडराने लगता है, वैसे ही सिंगरौली की घाटी और जंगलों पर ठेकेदारों, वन-अधिकारियों और सरकारी कारिदों का आक्रमण शुरू हुआ।

 


Question 3 :

जब लेखक सिंगरौली गया तब वहाँ क्या काम चल रहा था ? अब वहाँ कैसा वातावरण है और क्यों ?

Answer :

जब लेखक सिंगरौली गया तब धान रोपाई का महीना था-जुलाई का अंत-जब बारिश के बाद खेतों में पानी जमा हो जाता है। लेखक एक दुपहर सिंगौौली के एक क्षेत्र-नवागाँव गया था। इस क्षेत्र की आबादी पचास हजार से ऊपर है, जहाँ लगभग अठारह छोटे-छोटे गाँव बसे थे। इन्हीं गाँवों में एक का नाम है-अमझर-आम के पेड़ों से घिरा गाँव-जहाँ आम झरते हैं किंतु पिछले दो-तीन वर्षों से पेड़ों पर सूनापन है, न कोई फल पकता है, न कुछ नीचे झरता है। कारण पूछने पर पता चला कि जब से सरकारी घोषणा हुई है कि अमरौली प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवागाँव के अनेक गाँच उजाड़ दिए जाएँगे, तब से न जाने कैसे आम के पेड़ सूखने लगे। आदमी उजड़ेगा, तो पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे ?

 


Question 4 :

लेखक ने गाँव के खेतों में क्या दृश्य देखा ?

Answer :

वहाँ जो पानी भरा हुआ था बाढ़ नहीं, पानी में डूबे धान के खेत थे। वे थोड़ी-सी हिम्मत बटोरकर गाँव के भीतर चले, तब वे औरतें दिखाई दीं जो एक पाँत में झुकी हुई धान के पौधे छप-छप पानी में रोप रही थीं। सुंदर, सुडौल, धूप में चमचमाती काली टाँगें और सिरों पर चटाई के किश्तीनुमा हैट, जो फोटो या फिल्मों में देखे हुए वियतनामी या चीनी औरतों की याद दिलाते थे। जरा-सी आहट पाते ही वे एक साथ सिर उठाकर चौंकी हुई निगाहों से उन्हें देखा-बिल्कुल उन युवा हिरणियों की तरह, जिन्हें लेखक ने एक बार कान्हा के वन्यस्थल में देखा था।

 


Question 5 :

किसी इलाके की संपदा उसके लिए अभिशाप क्यों बन जाती है ?

Answer :

आज सभी लोलुपता की प्रवृत्ति से ग्रस्त हैं। कोई भी प्रदेश आज के लोलुप युग में अपने अलगाव में सुरक्षित नहीं रह सकता। कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है। दिल्ली के सत्ताधारियों और उद्योगपतियों की आँखों से सिंगरौली की अपार खनिज संपदा छिपी नहीं रही। जब इलाके की खनिज संपदा का सत्ताधारियों और उद्योगपतियों को पता चलता है, तब वे उसे हड़पने के उपक्रम में जुट जाते हैं।

 


Question 6 :

‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ में लेखक ‘निर्मल वर्मा’ ने गाँव के खेतों में क्या दृश्य देखा?

Answer :

वहाँ जो पानी भरा हुआ था बाढ़ नहीं, पानी में डूबे धान के खेत थे। वे थोड़ी सी हिम्मत बटोरकर गाँव के भीतर चले, तब वे औरतें दिखाई दी जो एक पाँत में झुकी हुई धान के पौधे छप-छप पानी में रोप रही थीं। सुंदर, सुडौल, धूप में चमचमाती काली टाँगें और सिरों पर चटाई के किश्तीनुमा हैट, जो फोटो या फिल्मों में देखे हुए वियतनामी या चीनी औरतों की याद दिलाते थे। जरा-सी आहट पाते ही वे एक साथ सिर उठाकर चौंकी हुई निगाहों से उन्हें देखा-बिल्कुल उन युवा हिरणियों की तरह, जिन्हें लेखक ने एक बार कान्हा के वन्यस्थल में देखा था।

 


Question 7 :

औद्योगीकरण ने पर्यावरण को कैसे प्रभावित किया है ? – ‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

Answer :

औद्योगीकरण ने पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

  1. औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है, यह पूरी तरह सच है।

  2. औद्योगीकरण के लिए आम लोगों की जमीन अधिग्रहित की गई। उनको उजाड़ा गया। वहाँ के परिवेश को नष्ट किया गया। इस औद्योगीकरण में मनुष्य ही नहीं उजड़ा बल्कि उसका परिवेश भी उजड़ गया। इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा।

  3. औद्योगीकरण के कारण जो उद्योग स्थापित किए गए उन्होंने अपने धुएँ से भी पर्यावरण को प्रदूषित किया। इन कारखानों से निकलने वाले कचरे पर्यावरण का संकट पैदा किया।

 


Question 8 :

“आधुनिक औद्योगीकरण की आँधी में सिर्फ मनुष्य ही नहीं उखड़ता, बल्कि उसका पूरा परिवेश, संस्कृति और आवास-स्थल भी हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।”‘-‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ के आधार पर उपर्युक्त कथन की समीक्षा कीजिए।

Answer :

यह कथन पूर्णतः सत्य है कि आधुनिक औद्योगीकरण की आँधी में मनुष्य का पूरा परिवेश, संस्कृति तथा निवास-स्थान भी सदा-सदा के लिए नष्ट हो जाता है। लेखक बताता है कि प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकंप आदि के कारण तो लोग कुछ समय के लिए अपने घर-बार छोड़ने को विवश हो जाते हैं, पर संकट की समाप्ति पर वे घर वापस लौट आते हैं। उन्हें अपना जाना-पहचाना परिवेश पुनः प्राप्त हो जाता है। पर औद्योगीकरण के कारण उजड़े लोग एक बार उजड़कर पुन: अपनी जगह पर लौटकर नहीं आ पाते। उन्हें जीवन भर निर्वासन का दंड भोगना पड़ता है। उनका परिवेश बदल जाता है। संस्कृति नष्ट हो जाती है। ये लोग सदा-सदा के लिए अपने पुराने घर-बार परिवेश और संस्कृति से वंचित हो जाते हैं।

 


Enquire Now