NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 7: Laxman Murcha aur Ram ka Bilap

Solutions NCERT Class 12 Hindi Aroh Chapter 7: The poem Kavitavali dwells upon deep poetry by Tulsidas. This chapter "Class 12 Kavitavali, Lakshman-Moonch Aur Ram Ka Vilaap" basically reflects the staunch emotional and spiritual journey of both Lakshman and Ram. This chapter deals with the emotions of devotion, duty, and divine love through good descriptions and deep philosophical insights.

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Students can access the NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 7: Laxman Murcha aur Ram ka Bilap. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.

प्रश्न - अभ्यास पाठ के साथ : 1

Question 1 :

शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है ?

 

Answer :

 फिराक गोरखपुरी राखी की भावना को बिजली की चमक की तरह व्यक्त करना चाहते हैं क्योंकि, रक्षा बंधन का त्योहार सावन के महीने में आता है, और उस समय आकाश में बादलों के साथ-साथ बिजली की चमक भी होती है। राखी के लच्छे भी उसी बिजली की तरह चमकते हैं। जिस प्रकार बिजली की चमक सच्चाई को दर्शाती है उसी प्रकार राखी के लच्छे भी रिश्तों की पवित्रता को व्यक्त करते हैं । घटा और बिजली का रिश्ता भाई और बहन के रिश्ते के समान है।

 


प्रश्न अभ्यास – पाठ के साथ: 2

Question 1 :

खुद का परदा खोलने से क्या आशय है ?

 

Answer :

"खुद का परदा' खोलने का आशय यह है कि, अपनी कमियों तथा दोषो को समझना तथा प्रकट करना। दूसरे की बुराई करने वाले लोग अनजाने में ही सही पर वे स्वयं की ही कमजोरी प्रदर्शित करते है, ऐसे लोगो को स्वयं के भीतर झांक कर देख लेना चाहिए।

 


प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ: 3

Question 1 :

“किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं!” इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तनातनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए |

 

Answer :

निराशा के क्षणों में, कवि को लगता है, जैसे कि भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया और जीवन के बीच पथ पर ही छोड़ दिया। कवि कहता है कि मैं भाग्य पर रोता हूँ और मुझे देखकर भाग्य मुझ पर रोता है। इस पंक्ति के माध्यम से कवि कर्महीन लोंगो पर व्यंग करते है। कर्महीन लोग हमेशा अपने भाग्य को दोष देते है। वे कभी कर्म नहीं करना चाहते, और फल की अपेक्षा करतें हैं। उनका भाग्य उनके कर्महीनता को दोष देता है।

 


प्रश्न अभ्यास टिपण्णी करें: 1

Question 1 :

टिप्पणी करें

(क) गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता |

 

Answer :

माँ अपनी गोद में सोये बच्चे को देखकर अभिभूत होती है। वो बच्चा माँ को चाँद की तरह लगता है। इसलिए कवि ने उसे 'गोदी के चाँद' कहकर सम्बोधित किया है। माँ की गोदी में सोया बच्चा आसमान के चाँद को देखकर हर्षित होता है। अर्थात 'गोदी का चाँद गगन के चाँद को देखकर हर्षित होता है।

 


प्रश्न अभ्यास टिपण्णी करें: 2

Question 1 :

(ख) सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व |

 

Answer :

 रक्षाबंधन एक पवित्र बंधन है। यह सावन के महीने में आता है। सावन के महीने में घटायें छा जाती है तथा बिजली चमकती है। जो सम्बन्ध बिजली तथा घटा का होता है वही सम्बन्ध भाई और बहन का भी होता है।

 


प्रश्न अभ्यास कविता के आसपास: 1

Question 1 :

इन रुबाइयों से हिंदी, उर्दू, और लोकभाषा के मिले जुले प्रयोगों को छाटिए:

 

Answer :

हिंदी के प्रयोग:

1. गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी 

2. किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को 

3. दीवाली की शाम घर पुते और सजे 

4. छाई है घटा गगन की हल्की हल्की 

उर्दू के प्रयोग:

1. उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके 

2. देख आईने में चाँद उतर आया है।

लोकभाषा के प्रयोग:

1. रह-रह के हवा में जो लोका देती है

2. जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े

3. बालक तो हई चाँद पै ललचाया है

4. आंगन में दुनक रहा है जिदियाया है

 


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