Chapter 6 of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh elaborates on Baadal Raag. The beauty of nature has been taken from the pouring of rains, showcasing what effect is created within the atmosphere. The chapter "Class 12 Baadal Raag" describes, with the wealth of language, the way arrival of monsoons brings a change in the environment; hence, it gives a clear picture to the reader. "Baadal Raag" is full of charm and nostalgia. Serenity and tranquility mark the poem, which forms part of the Hindi Aroh syllabus.
The NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 6: Baadal Raag are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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Students can access the NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 6: Baadal Raag. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
“अस्थिर सुख पर दुख की छाया”, पंक्ति में, दुख की छाया किसे कहा गया है?
“अस्थिर सुख पर दुख की छाया”, पंक्ति में कवि ने दुख की छाया, पूंजीपतियों द्वारा समाज में किए गए अत्याचार और शोषण को कहा है। कवि का मानना है कि दुनिया में खुशी कभी भी स्थायी नहीं होती। इसके साथ दुख का प्रभाव भी है। पूंजीपति, कमजोर वर्गों के लोगों का शोषण करके अपार धन जमा करते हैं। वे लोग कमजोर को और कमजोर करते हैं परंतु हमेशा उनके खिलाफ क्रांति के डर से घिरे रहते हैं। वे सब कुछ छीन जाने के भय से त्रस्त है।
अशनी पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी और संकेत किया गया है?
इस पंक्ति द्वारा कवि ने दो लोगों की ओर संकेत किया है। सबसे पहले, कवि ने पूंजीपति वर्गों को संबोधित किया है जो श्रमिकों और किसानों का शोषण करते हैं और इस आड़ में रहते हैं कि उनका कोई कुछ बिगड़ नहीं सकता। कवि का दूसरा संबोधन, बादलों के लिए है। कवि के अनुसार, बादल हि क्रांति का आगाज करते हैं और इसलिए समाज मे व्याप्त अत्याचारों को मार सकते हैं।
विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते, पंक्ति में विप्लव रव से क्या तात्पर्य हैं? छोटे ही हैं, शोभा पाते, ऐसा क्यों कहा गया है?
विप्लव रव से कवि का तात्पर्य “क्रांति गर्जना” है। यहां “छोटे” का अर्थ है, आम आदमी। कवि कहते हैं कि जब भी कोई क्रांति होती है, तो शोषक वर्ग के सिंहासन डोल जाते हैं। उनकी संपत्ति और संप्रभुता सब खत्म हो जाती है। कवि का मानना है कि क्रांति से केवल एक छोटे व्यक्ति को ही गौरव प्राप्त होता है। यानी, केवल आम आदमी को ही क्रांति का थोड़ा सा लाभ मिलता है क्योंकि वह शोषण का शिकार रहता है। उसको कुछ भी चिंता नहीं क्योंकि उसके पास कुछ बचा ही नहीं रहता है। लेकिन क्रांति के बाद उसे कुछ अधिकार मिलते हैं। उसका शोषण समाप्त हो जाता है।
बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?
बादलों के आने के कारण से प्रकृति में कई बदलाव होते हैं। बादलों के आगमन से आकाश बादलों से भर जाते हैं। आसमान बरसने लगता है और बिजली चमकने लगती है। धरती का दिल बिजली की गर्जना से थरथराता है। चारों ओर गंभीर तूफान आते हैं और उसी समय मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है। वर्षा जल प्राप्त करने के बाद, पृथ्वी के अंदर निष्क्रिय बीज में अंकुरित होते हैं। छोटे पौधे फिर से उठते हैं और हवा के साथ, वे हिलने और झूलने लगते हैं। वर्षा जल के प्राप्ति के बाद किसानों के भी चेहरे खिल जाते हैं।
तरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्देश विप्लव की प्लावित माया-
व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि ने बादलों को संबोधित किया है। बादलों को संबोधित करते हुए कवि कहते हैं की बादल उसी रूप के समुद्र में तैरते हैं। यानी उनकी नाव लोगों की मर्जी से हवा के समुद्र में तैरती है। व्यक्ति के साथ सुख हमेशा मौजूद नहीं रहता है। इसी कारण से उन्हें अस्थिर कहा गया है। उन पर सदैव दुख की छाया रहती हैं। कवि यहां मेघ को आने का आग्रह कर रहे हैं। कवि चाहते हैं कि मैं आकर अपने क्रांति द्वारा इस दुखी दिलवाले दुनिया को खुशी दे सकूँ। इसका मतलब है कि गर्मी से बेहाल लोग, बादलों के गर्जन को सुनकर खुश होते हैं। इसी तरह शोषण और उत्पीड़न से परेशान लोग, क्रांति से खुश होंगे।
अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल- विलप्व-प्लावन
व्याख्या:- महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने पूंजीपतियों के विलासी जीवन पर कटाक्ष करते हुए बादलों को क्रांति का प्रतीक बताया है। उन्होंने पूंजीपतियों की ऊंची-ऊंची इमारतों को सिर्फ इमारत ही नहीं बल्कि ऐसी इमारत कहा है जो गरीबों को आतंकित करता है। वे लोग गरीबों का शोषण करते हैं। लेकिन वह यह भी याद दिलाते हैं कि क्रांति का बिगुल हमेशा गरीबों ने ही बजाया है। कवि ने पूंजी पतियों को कीचड़ और गरीबों को जल प्लावन कहा है।
पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको कविता का कौन सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?
महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने पूरी कविता में प्रकृति का अद्भुत और अप्रतिम मानवीय कर्ण किया है। विशेष रुप से:
हंसते हैं छोटे पौधे लघु भार शष्य अपार,
हिल हिल, खिल खिल, हाथ हिलाते, तुझे बुलाते, तुझे बुलाते,
विप्लव रव से छोटी ही है शोभा पाते
इन पंक्तियों में छोटे पौधे को बच्चों के रूप में दिखाया गया है। कवि ने जिस तरह से बच्चों के बात करने और खुशी मनाने, हँसने, हिलने, हाथ मिलाने और अपने माता-पिता को बुलाने के लिए सभी लुभावना भावनाओं और प्रलाप ओ को व्यक्त किया है, यह सब बड़ी खूबसूरती से पौधों में दिखाया गया है। पौधों का यह मानवीकरण दिल को छूता है। सबसे बड़ी बात यह है कि मानवीय करण बहुत ही सरल शब्दों में किया गया है।
कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांश को छाँट कर लिखिए।
1. तिरती है समीर-सागर पर।
2. अस्थिर सुख पर दुःख की छाया।
3. यह तेरी रण-तरी।
4. भेरी-गजर्न से सजग सुप्त अंकुर।
5. ऐ विप्लव के बादल।
6. ऐ जीवन के पारावार
इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खंडो में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- अरे वषर् के हषर्!, मेरे पागल बादल!, ऐ निर्बाध!, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!, उपयुर्क्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?
उपरोक्त संबोधनों का प्रयोग करके कवि ने न केवल कविता की सार्थकता को बढ़ाया है, बल्कि प्रकृति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपादान का सुंदर चित्रण भी किया है। बादलों के लिए किए गए संबोधनों की व्याख्या निम्न है:
अरे वर्ष के हर्ष! - ख़ुशी का प्रतीक
मेरे पागल बादल! - मदमस्ती का प्रतीक
ऐ निर्बध! - बंधनहनन
ऐ उद्दाम! - स्वतंत्र घूमने वाले
ऐ सम्राट! - भयहिन
ऐ विप्लव के प्लावन! - सवर् शिक्तशाली
ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! - बच्चों के समान चंचल
कवि बादलों को किस रूप में देखता हैं? कालिदास ने मेघदूत काव्य में मेघा को दूत के रूप में देखा। आप अपना कोई काल्पनिक बिंब दीजिए।
कवि अनैतिक बादलों को क्रांति के रूप के प्रतीक में देखते हैं। अपने आवान के द्वारा वे समाज में पहले शोषण को समाप्त करना चाहते हैं ताकि शोषित वर्ग को उनका अधिकार मिल सके। काल्पनिक बिंब है:- आशा के रूपक! हमें अपनी उजली और छोटी-छोटी बूंदों से जल्दी सिक्त कर दो, जिनमें जीवन का राग छुपा है। हे आशा के संचालित बादल!
कविता को प्रभावित बनाने के लिए, कवि विशेषण का सायास प्रयोग करता हैं, जैसे- अस्थिर, सुख। सुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों से छांटकर लिखे तथा बताएं की ऐसे- पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ मैं क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?
प्रस्तुत कविता में कवि ने अनेक विशेषणों का प्रयोग किया है, जो निम्नलिखित है।
1. निर्दय विप्लव : विनाश को अधिक निमर्म और विनाशक बताने हेतु।
2. दग्ध ह्रदय : दःख की अधिकता हेतु।
3. वज्र हुंकार : हुंकार की भीषणता बताने हेतु ।
4. सजग-सुप्त-अंकर : धरती के भीतर सोये किन्तु सजग अंकर के लिए।
5. गगन- स्पर्श : बादलो की अत्यधिक ऊँचाई बताने हेतु ।
6. आतंक-भवन : वह भयावह भवन जो आतंकित कर दे ।
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