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कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी?
काँजीहौस एक पशुओं का जेल जैसा था। यहाँ पर आवारा पशुओं को पकड़कर लाया जाता है। उसमे पशुओं की हाज़िरी इसलिए होती है क्योंकि कोई पशु भाग न जाये तथा उनकी देखभाल भी होती रहे।
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?
छोटी बच्ची की माँ का निधन हो चुका था तथा उसकी सौतेली माँ भी उसे बहुत मरती थी वैसे ही गया भी बैलों को दिन भर खेतों में जोतता ओर मरता तथा रात में सुखी घास डाल देता। छोटी बच्ची को उन बैलों की स्थिति अपने जैसी दिखी इसीलिए बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया।
आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
(क) . हीरा और मोती एक-दूसरे के मन की भावनाओं को समझते थे । वे एक-दूसरे के लिए सदैव ही प्रेम तथा भलाई की बारे में ही सोचते थे। जबकि मनुष्य को समस्त प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ तथा बुद्धिमान माना जाता है लेकिन उसमें भी यह शक्ति नहीं होती है की वह किसी दूसरे मनुष्य के भीतर की भावना को जान सके।
(ख) . हीरा और मोती गया के घर बँधे हुए थे। गया ने उनके साथ दुष्टतापूर्ण व्यवहार किया था। इसलिए वे क्रोधित थे। लेकिन तभी एक नन्हीं-सी लड़की ने उनके पास आकर उन्हें एक रोटी ला दी। उस रोटी से उनका पेट तो नहीं भर सकता था। परंतु उसे खाकर उनका हृदय जरूर तृप्त हो गया। उन्होंने बालिका के प्रेम का अनुभव कर लिया और उनका मन प्रसन्न हो गया।
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि-
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से दुखी था।
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं?
इस कहानी में बैलों के माध्यम से निम्नलिखित नीति-विषयक मूल्य उभर कर आये है-
1) अत्यधिक सीधा व सहनशील होना आज की दुनिया में सही नहीं है। बहुत सरल मनुष्य को मूर्ख तथा ‘गधा’ भी कहा जाता है।
2) लोगों को अपने अधिकारों व आज़ादी के लिए सदैव संघर्ष करते रहना चाहिए।
3) आज़ादी का एक अलग ही महत्व है। इसे पाने के लिए इंसान को कष्ट व परेशानियाँ सहन करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
4) समाज के अमीर वर्ग के लोगों को भी आजादी व अपने अधिकारों के लिए खुलकर समर्थन करना चाहिए।
5) एकता में बल होता है।
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
कहानी की निम्नलिखित घटनाओं से पता चलता है कि हीरा ओर मोती में गहरी दोस्ती थी-
1)दोनों को एक-साथ ही गाड़ी में जोड़ा जाता था खेत जोतने के लिए तो वह दोनों यही प्रयास करते कि गाड़ी का ज्यादा भार दूसरे साथी के कंधे पर न आकर उसके अपने ही कंधे पर आ जाये।
2)गया ने हीरा के नाक पर डंडा मारा तो मोती से सहन नहीं हुआ। वह हल, रस्सी, जुआ, जोत सब कुछ लेकर भाग पड़ा। उससे हीरा का यह कष्ट देखा न गया।
3)जब वहाँ लोगों ने खेत में दोनों को घेर लिया और पकड़ने की कोशिश की तब हीरा वहाँ से निकल गया परन्तु मोती के पकड़े जाने पर वह भी बंधक बनने के लिए स्वयं ही वापस लौट आया।
4)नाद में खली-भूसा पड़ जाने के बाद दोनों साथ में ही नाँद में मुँह डालते और साथ ही निकालते थे। एक के मुँह हटा लेने से दूसरा भी अपना मुँह हटा लेता था।
5)कांजी द्वारा घर की दीवारें गिराने के बाद हेरा ने भागने से इनकार कर दिया मेरी मौत ने उसे अकेला नहीं छोड़ा।
लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।’-हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
"लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है।" हीरा के इस कथन के माध्यम से पता चलता है कि प्रेमचंद नारी जाति का अत्यधिक सम्मान व इज़्ज़त करते थे। नारी विभिन्न रिश्ते बनाकर समाज में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन करती है। वह त्याग, दया, ममता, सहनशीलता का जीता-जागता उदाहरण है। यदि कभी विपरीत परिस्थितियों में यदि नारी में क्रोध जैसे भाव आ भी जाते हैं तो इससे उसकी गरिमा कम नहीं हो जाती है और न उसके सम्मान में कमी आ जाती है। प्रेमचंद महिलाओं के प्रति अत्यधिक सम्मान रखते थे। प्रेमचंद का यह भी आशय है कि जब जानवर भी नारी जाति का सम्मान करते हैं तथा इज्ज़त देते है तो मनुष्य को भी नारी जाति का सम्मान करना चाहिए।
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ 'मूर्ख' प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
दुनियाँ का सबसे बुद्धिहीन प्राणी गधा माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति-विशेष को मूर्ख बताना है तो हम उसे 'गधा' कह देते हैं। गधा यानी मूर्ख सब लोग यही कहते है परंतु प्रेमचंद ने इसे सही नहीं माना है क्योंकि गधा अपने सीधेपन व सहनशीलता के कारण किसी को भी हानि नहीं पहुँचाता है। गाय, कुत्ता व बैल जैसे जानवर भी कभी-कभी क्रोध कर देते हैं और लोगों को हानि पहुँचा देते है परंतु गधा ऐसा कभी नहीं करता है। गुणों के विषय में वह ऋषियों-मुनियों के बराबर है।
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
किसान जीवन तथा पशुओं के आपसी संबंध बहुत गहरे होते हैं।किसान पशुओं को घर के ही एक सदस्य की तरह प्रेम करते हैं और पशु भी अपने स्वामी के लिए जान भी देने को तैयार होते हैं। झूरी, हीरा और मोती को अपने बच्चों की तरह ही प्रेम करता था। वह उन्हें अपने से दूर नहीं करना चाहता था। जब हीरा-मोती झूरी की ससुराल से अत्याचार झेलकर झूरी के घर वापस उसके दरवाजे पर आ खड़े हुए तो झूरी का हृदय प्रफुल्लित हो उठा। गाँव-भर के समस्त बच्चों ने भी बैलों की स्वामिभक्ति को देखकर उनका स्वागत किया। इससे पता चलता है कि किसान जीवन वाले व्यक्ति अपने पशुओं के साथ भी मानवता का व्यवहार करते हैं।
"इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगें"-मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
"इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।" मोती के विवरण से पता चलता है कि मोती बहुत दयालु व्यक्ति है। परोपकार की ऐसी भावना वह मन में ही नहीं बल्कि इसे व्यावहारिक रूप में दर्शाता भी है। वह बाड़े की कच्ची दीवार को तोड़कर नौ-दस प्राणियों को भगाता है ताकि उनकी जान बच सकें। मोती सच्चा मित्र भी है क्योंकि वह कांजीहौस में हीरा को अकेला छोड़कर नहीं जाता है। वह आशावादी भी है क्योंकि उसे विश्वास है कि ईश्वर उनकी जान अवश्य बचाएँगे।
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
हीरा और मोती हमेशा से ही शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं। जबकि जब उन्होंने झूरी के साले 'गया' का विरोध किया तो उन्हें सूखी रोटियाँ तथा डंडे खाने को मिले। फिर कॉजीहौस में भी अन्याय का विरोध किया तो उन्हें बांध दिया तथा उन्हें भूखे भी रहना पड़ा।
प्रतिक्रिया-मेरा मानना है कि हीरा और मोती का यह प्रयास बिल्कुल सही था। यदि वे कोई भी प्रतिक्रिया न करते तो उन्हें खूब शोषण झेलना पड़ता और गिड़गिड़ाकर, मन मारकर अपने मालिक की गुलामी करनी पड़ती। परंतु अपना विद्रोह प्रकट करके उन्होंने मालिक चेतावनी दे दी कि उनका अधिक शोषण नहीं किया जा सकता। मार खाने के बदले में उन्होंने मालिक के मन में भय पैदा कर ही दिया।
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?
प्रेमचंद एक स्वतंत्रता पूर्व लेखक थे। इनकी रचनाओं में यह अधिकतर देखा जाता है। हीरा और मोती की इस कहानी से यही संकेत मिलता है कि स्वतंत्रता कितनी अच्छी होती है। स्वतंत्रता पाने के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता। उनके ऊपर इतनी कठिनाइयों के बावजूद भी वर अपने घर आ गए यह बात आजादी की लड़ाई की तरफ भी संकेत करती हैं।
13.बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी ज़ोर लगाता हूँ।
‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
ही-
1) दोनों साथ उठते, साथ नाँद में मुँह डालते और रथ ही बैठते थे।
2) एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
3) ज्यादा-से-ज्यादा मेरी ही गरदन पर रहे।
4) यही उनका आधार था।
5) कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है।
भी-
1) कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है।
2) उसके चेहरे पर असंतोष की छाया भी न दिखाई देती।
3) गधे का एक छोटा भाई और भी है।
4) एक मुँह हटाता तो दूसरा भी हटा लेता था।
5) कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने में आता है।
कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
1) जी तोड़ काम करना
वाक्य- भारतीय लोग जी-तोड़कर काम करते हैं।
2) गम खा जाना
वाक्य-भारत के लोग गम खा जाते हैं तथा मुसीबतों की हाय-तौबा नहीं मचाते।
3) ईंट का जवाब पत्थर से देना
वाक्य-भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया की टीम को हराकर ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
4) दाँतों पसीना आना
वाक्य-मैदान से लोगों को बाहर निकालने में गार्ड को दाँतों पसीना आ गया।
5) कसर उठाना
वाक्य-भारतीय कोई कसर नहीं छोड़ते।
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए-
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखे लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा-गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूंगा, तो बिकेंगे।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
(क) . 1. वाक्य भेद – मिश्र वाक्य।
2. उपवाक्य – अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
3. भेद – संज्ञा उपवाक्य
(ख) . 1. वाक्य भेद – मिश्रवाक्य।
2. उपवाक्य – जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर।
3. भेद – विशेषण उपवाक्य।
(ग) . 1. वाक्य भेद – मिश्रवाक्य।
2. उपवाक्य – गया के घर से नाहक भागे।
3. भेद – संज्ञा उपवाक्य।
(घ) . 1. वाक्यभेद – मिश्रवाक्य।
2. उपवाक्य – तो बिकेंगे।
3. भेद – क्रियाविशेषण उपवाक्य।
(ङ) . 1. वाक्य भेद – मिश्रवाक्य।
2. उपवाक्य – तो बे मारे ने छोड़ता।
3. भेद – क्रियाविशेषण उपवाक्य।
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