The Class 9 journey may prove to be adventurous and tricky, especially for subjects like Hindi. One significant chapter taught to students under the syllabus of Class 9 Hindi Sparsh 36 is Swami Anand. The chapter offers so much more: from valuable lessons to deep insights. You refer to the Class 9 Hindi Sparsh 36 PDF in case you want to go deeper.
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1. महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे?
2. ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?
3. गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?
4. गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?
5. महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?
6. महादेव भाई ने गांधीजी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?
7. अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे?
8. महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?
9. महादेव भाई से गांधीजी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?
1.महादेव भाई अपना परिचय गाँधी जी के ‘हम्माल’ और ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे जिसका अर्थ है – सभी प्रकार के काम सफलता पूर्वक करने वाला।
2. यंग इंडिया के मुख्य लेखक हार्नीमैन को गांधी जी का अनुयायी होने के कारण देश निकाला दे दिया गया था। वे इंग्लैंड चले गए थे। अत: मुख्य लिखने वाला चला गया था।
3. गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में यह निश्चय किया कि यह हफ्ते में दो बार छपेगी क्योंकि सत्याग्रह आन्दोलन में लीन रहने के कारण गांधी जी का काम बहुत बढ़ गया था।
4. गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे। इसके साथ-साथ उन्होंने अहमदाबाद में वकालत भी शुरू कर दी थी।
5. महादेव भाई के झोलों में समाचार पत्र, मासिक पत्रिकाएँ पत्र और पुस्तकें भरी रहती थीं।
6. महादेव जी ने गांधीजी द्वारा लिखित ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
7. अहमदाबाद से – (1) यंग इंडिया (2) नवजीवन दो साप्ताहिक निकलते थे।
8. महादेव भाई दिन में 17-18 घंटे काम करते थे।
9. महादेव भाई से गांधीजी की निकटता निम्न वाक्य से सिद्ध होती है –
‘ए रे जख्म जोगे नहि जशे’ – यह घाव कभी योग से भरेगा नहीं।
गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?
महादेव गांधी जी के लिए पुत्र से भी बढ़कर थे सन 1917 में वे गांधी जी के पास पहुँचे थे। गाँधी जी ने उनको तत्काल ही पहचान लिया और उनको अपने उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया। गांधीजी जब 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब जा रहे थे तो पलवल रेलवे स्टेशन पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तभी गांधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था और तभी से वे इसी रूप में पूरे देश में लाडले बन गए।
गाँधीजी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?
गाँधीजी से मिलने आनेवालों से महादेव जी खुद मिलते थे, उनकी समस्याएँ सुनते, उनकी संक्षिप्त टिप्पणी तैयार करते और गांधी के सामने पेश करते थे और इसके बाद वे आने वालों के साथ उनकी रूबरू मुलाकात करवाते थे।
महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?
महादेव भाई देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार-पत्र में गांधी जी की प्रतिदिन की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते रहते थे। उन्होंने ‘सत्य का प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद किया जो कि गांधीजी की आत्मकथा थी। वे प्रतिदिन डायरी लिखते थे यह साहित्यक देन डायरी और अनगिनत अभ्यास पुस्तकें आज भी मौजूद हैं। शरद बाबू, टैगोर आदि की कहानियों का भी अनुवाद किया, ‘यंग इंडिया’ में लेख लिखे।
महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?
महादेव भाई भरी गर्मी में वर्धा से पैदल चलकर सेवाग्राम आते थे और जाते थे। यह सिलसिला लंबे समय तक चला। 11 मील रोज़ गर्मी में पैदल चलने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा और उनकी अकाल मृत्यु हो गई।
महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी क्या कहते थे?
महादेव भाई की लेखन प्रतिभा अद्वितीय थी। उनके लिखे नोट के विषय में गांधीजी कहते थे कि वे सटीक होते हैं। उनमें कभी कॉमा तक की गलती भी नहीं होती है लिखावट भी सुंदर है।
पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?
पंजाब में फ़ौजी शासन ने बहुत कहर बरसाया। अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करके उम्र कैद की सज़ा देकर काला पानी भेज दिया गया। लाहौर के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक को 10 साल की सज़ा मिली तथा 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ। लोगों पर अनगिनत अत्याचार किए गए।
महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?
महादेव जी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे। वे कर्तव्यनिष्ठ थे, विन्रम स्वभाव के थे। उनकी लेखन शैली का सभी लोहा मानते थे। वे कट्टर विरोधियों के साथ भी सत्यनिष्ठता और विवेक युक्त बात करते थे। महादेवी जी गांधी जी के सहयोगी थे। उनका अधिकतर समय गांधी जी के साथ देश भ्रमण तथा उनकी प्रतिदिन की गतिविधियों में बीतने लगा। वे समय-समय पर गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते रहते थे। देश में ही नहीं विदेश में भी लोकप्रिय थे। इन्हीं सब करणों से वे सबके लाडले थे।
महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?
महादेव जी शुद्ध व सुंदर लेख लिखते थे। उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। वाइसराय को जाने वाले पत्र गांधीजी हमेशा महादेव जी से ही लिखाते थे। उन पत्रों को देखकर वाइसराय भी लंबी साँस लेते थे। उनका लेखन सबको मंत्रमुग्ध कर देता था। बड़े-बड़े सिविलियन और गवर्नर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में उनके समान अक्षर लिखने वाला कोई नहीं था।
अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’
लेखक गांधीजी के निजी सचिव की निष्ठा, समर्पण और उनकी प्रतिभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वे स्वयं को गांधीजी का निजी सचिव ही नहीं बल्कि एक ऐसा सहयोगी मित्र मानते थे जो सदा उनके साथ रहे। वे गांधी जी की प्रत्येक गतिविधि उनका भोजन, उनके दैनिक कार्यो में हमेशा उनका साथ देते थे। गांधीजी के सब छोटे-बड़े सभी काम करते थे और सभी कार्य कुशलता पूर्वक करते थे। इसी कारण वे स्वयं को गांधीजी के ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ कहते थे और उसमें गौरव का अनुभव करते थे।
इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।
एक वकील के पेशे में उसका काम गलत को सही और सही को गलत सिद्ध करना होता है। काले कारनामों को भी उत्तम करार दे दिया जाता है तथा जो सही है उसे भी दलीलों के माध्यम से गलत सिद्ध कर दिया जाता है। इसमें पूरी सच्चाई से काम नहीं होता। इसलिए ही गाँधीजी ने इसको छोड़ा था।
देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।
महादेव देसाई जी को एक शुक्रतारे के समान माना गया है। वे चाहे थोड़े समय पर अपनी छटा से सबको मोहित करते रहे। महादेव भाई भी असमय काल के ग्रास बन गए। शुक्रतारे की तरह अल्प समय में अपनी प्रतिभा से संपूर्ण विश्व को मन्त्र मुग्घ करके सन् 1935 में अस्त हो गए।
उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस-उसाँस लेते रहते थे।
महादेव देसाई जी द्वारा लिखे लेख,टिप्पणियाँ तथा पत्र अद्भुत होते थे। उनकी लिखाई बहुत ही सुन्दर थी। वे जो पत्र लिखकर गाँधीजी की ओर से भेजते थे, उन्हें दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय भी पढ़कर हैरत में पड़ जाते थे। लेख और लेखनी दोनों ही बहुत अच्छी थी कि वे लंबी-लंबी साँसे लेने लगते थे।
इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए –
सप्ताह – साप्ताहिक
साहित्य – …………..
व्यक्ति – …………..
राजनीति– …………..
अर्थ – …………..
धर्म – …………..
मास – …………..
वर्ष – …………..
1. सप्ताह – साप्ताहिक
2. साहित्य – साहित्यिक
3. व्यक्ति – वैयक्तिक
4. राजनीति – राजनीतिक
5. अर्थ – आर्थिक
6. धर्म – धार्मिक
7. मास – मासिक
8. वर्ष – वार्षिक
नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए –
अ, नि, अन, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि
आर्य – ………….. आगत – …………..
डर – ………….. आकर्षण – …………..
क्रय – ………….. मार्ग – …………..
उपस्थित– ………….. लोक – …………..
नायक – ………….. भाग्य – …………..
आर्य – अनार्य
डर – निडर
क्रय – विक्रय
उपस्थित – अनुपस्थित
नायक – अधिनायक
आगत – स्वागत
मार्ग – कुमार्ग
लोक – परलोक
भाग्य – सौभाग्य
अन्य उदाहरण −
विचार – सुविचार
कृत – अधिकृत
नारी – परनारी
व्यवहार – दुर्व्यवहार
चाहा – अनचाहा
मर – अमर
यश – सुयश
रूप – कुरूप
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
1. आड़े हाथों लेना –
2. दाँतों तले अँगुली दबाना –
3. लोहे के चने चबाना –
4. अस्त हो जाना –
5. मंत्र-मुग्ध करना –
1. आड़े हाथों लेना – घर देर से आने पर माँ ने बेटे को आड़े हाथों ले लिया।
2. दाँतों तले अँगुली दबाना – दो वर्ष के बालक को मोबाईल पर खेलते देखा तो सबने दाँतों तले अँगुली दबा ली।
3. लोहे के चने चबाना – भारतीय सेना बड़े से बड़े शक्तिशाली देश को भी लोहे के चने चबवा दे।
4. अस्त हो जाना – बहुत मेहनत के बाद भारतीय वैज्ञानिक महामारी का सूर्य अस्त करने में सफल रहे।
5. मंत्र-मुग्ध करना – मोहिनी ने अपने नृत्य से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −
वारिस – ………….. जिगरी – ………….. कहर – …………..
मुकाम – ………….. रूबरू – ………….. फ़र्क – …………..
तालीम – ………….. गिरफ़्तार – …………..
वारिस – वंश, उत्तराधिकारी
मुकाम – लक्ष्य, मंज़िल
तालीम – शिक्षा, ज्ञान, सीख
जिगरी – पक्का, घनिष्ठ
फ़र्क – अंतर, भेद
गिरफ़्तार – कैद, बंदी
उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए –
उदाहरण : गाँधीजी ने महादेव भाई को पना वारिस कहा था।
गाँधीजी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।
1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे।
2. पीड़ितों के दल-के-दल ग्रामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।
3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।
4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।
5. गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।
1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में दिया करते थे।
2. पीड़ितों के दल-के-दल ग्रामदेवी के मणिभवन पर उमड़ा करते थे।
3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।
4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे।
5. गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाया करते थे।
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