That shall be bewitching and rewarding in its own way: to feel the journey through the rich tapestry of Hindi literature. For students of class 9, this book "Hindi Sparsh 39" is undoubtedly an authoritative insight into the great cultural and literary traditions of India. We at Orchids International School completely understand and realize the fact that the journey has to be made enriching, easy, and interesting. Our methodology focuses on building a strong interest in learning the subject and building a deep appreciation for the classics.
The NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh Chapter 39: Rahim are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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Students can access the NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh Chapter 39: Rahim. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
‘नट’ कुंडली मारने की कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है।
प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता?
प्रेम आपसी लगाव, निष्ठा, समपर्ण और विश्वास का नाम है। यदि एक बार भी किसी कारणवश इसमें दरार आती है तो प्रेम फिर पहले जैसा नहीं रह पाता है। जिस प्रकार धागा टूटने पर जब उसे जोड़ा जाए तो एक गाँठ पड़ ही जाती है। अत:प्रेम सम्बन्ध बड़ी ही कठिनाई से बनते हैं इसलिए इन्हें जतन से सँभालकर रखना चाहिए।
हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?
हमें अपना दुःख दूसरों पर नहीं प्रकट करना चाहिए क्योंकि इससे हम केवल दूसरों के उपहास के पात्र बनते हैं।
अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार हमारे प्रति उपहासपूर्ण और दुख को और बढ़ानेवाला हो जाता है।
रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
सागर पानी से लबालब भरा होने के बावजूद उसके जल को कोई पी नहीं पाता क्योंकि उसका स्वाद खारा होता है। इसके विपरीत पंक के जल को पीकर छोटे जीव-जंतु की प्यास बुझ जाती है। वे तृप्त हो जाते हैं इसलिए रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को उसकी उपयोगिता के करण धन्य कहा है।
एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
कवि रहीम के अनुसार एक ही ईश्वर पर अटूट विश्वास रखने से सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं। जिस प्रकार जड़ को सींचने से हमें फल और फूलों की प्राप्ति हो जाती है उसी प्रकार एक ही ईश्वर को स्मरण करने से हमें सारे सुख प्राप्त हो जाते हैं।
जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?
यद्यपि सूर्य कमल का पोषण करता है परन्तु पानी नहीं होता तो कमल सूख जाता है क्योंकि कमल को पुष्पित होने के लिए जल की अधिक आवश्यकता होती है। अत: कमल की संपत्ति जल है उसके न रहने पर सूर्य भी उसकी सहायता नहीं कर सकता है
अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?
अवध नरेश को चित्रकूट अपने वनवास के दिनों में जाना पड़ा। यहाँ कहने का तात्पर्य यह है कि संकट के समय सभी को ईश्वर की शरण में जाना पड़ता है।
‘मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी का महत्त्व यह है कि मोती को उसकी चमक पानी से ही प्राप्त होती है। मनुष्य के संदर्भ में पानी का अर्थ उसके मान-सम्मान से है और आटे के संदर्भ में उसे गूंथने और खाने योग्य बनाने से है। इस तरह तीनों का ही पानी के बिना महत्त्व कम हो जाता है।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
इस पंक्ति का भाव यह है कि प्रेम सम्बन्धी धागे को यत्नपूर्वक सहेजकर रखना चाहिए। यह धागा यदि एक बार टूट जाए तो अपनी सामान्य स्थिति में नहीं लौट सकता। यदि लौट भी जाए तो उसमें गाँठ हमेशा ही बरक़रार रहेगी।
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
इस पंक्ति का भाव यह है कि अपना दुःख अपने तक ही सीमित रखें। उसे सबको बताकर हँसी-मज़ाक का पात्र न बने क्योंकि दूसरे का दुःख कोई बाँटता नहीं है।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।
इस पंक्ति का भाव यह है कि फल-फूल पाने के लिए जड़ को ही सींचना चाहिए अर्थात् कवि यहाँ पर एक ही ईश्वर भक्ति की ओर ध्यान देने के लिए कहते हैं।
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
इस पंक्ति का भाव यह है कि दोहे में अक्षर कम होने के बावजूद उसमें गूढ़ अर्थ छिपा रहता है। उनका गूढ़ अर्थ ही उनकी गागर में सागर भरने की प्रवृत्ति को स्पष्ट कर देता है। ठीक वैसे ही जैसे नट कुंडली को समेटकर कूदकर रस्सी पर चढ़ जाता है।
कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि हम जीवन में जो भी कार्य करें उसमें हमें सिद्धहस्त होना चाहिए।
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
इस पंक्ति का भाव यह है कि मधुर संगीत को सुनकर हिरन अपने प्राण तक न्योछावर करने के लिए तैयार हो जाता है और मनुष्य किसी कला पर मोहित होकर उसे धन देता है और कल्याण करता है परन्तु जो दूसरों से प्रसन्न होकर भी कुछ नहीं देता, वह नर पशु समान है।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
इस पंक्ति का भाव यह है कि हर-एक छोटी-बड़ी वस्तु का अपना-अपना महत्त्व होता है। जो काम सुई कर सकती है वह काम तलवार नहीं कर सकती है और जो काम तलवार कर सकती है वह कार्य सुई नहीं कर सकती अत: सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता होती है और किसी की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून।
इस पंक्ति का भाव यह है कि मोती में चमक न रहे तो वह व्यर्थ हो जाता है, मनुष्य का आत्म-सम्मान न रहे तो उसका जीवन बेकार है और यदि आटे में पानी ना हो तो वह खाने लायक नहीं होता। पानी के बिना ये तीनों ही उबर नहीं सकते हैं।
निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है –
1. जिस पर विपदा पड़ती वही इस देश में आता है।
2. कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
3. पानी के बिना सब सूना है अत: पानी अवश्य रखना चाहिए।
4. उदाहारण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए –
5. उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए −
उदाहण : कोय − कोई , जे – जो
ज्यों —————- कछु —————-
नहिं —————- कोय —————-
धनि —————- आखर —————-
जिय —————- थोरे —————-
होय —————- माखन —————-
तरवारि —————- सींचिबो —————-
मूलहिं —————- पिअत —————-
पिआसो —————- बिगरी —————-
आवे —————- सहाय —————-
ऊबरै —————- बिनु —————-
बिथा —————- अठिलैहैं —————-
परिजाय —————- —————-
1.जा पर विपदा पड़त है, सो आवत यह देस।
2 बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
3. रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
4.उदाहारण – कोय-कोई, जै-जो
5. ज्यों – जैसे कछु – कुछ
नहि – नहीं कोय – कोई
धनि – धन्य आखर – अक्षर
जिय – जी थोरे – थोड़े
होय – होना माखन – मक्खन
तरवारि – तलवार सींचिबो – सींचना
मूलहिं – मूल को पिअत – पीना
पिआसो – प्यासा बिगरी – बिगड़ी
आवे – आए सहाय – सहायक
ऊबरै – उबरना बिनु – बिना
बिथा – व्यथा अठिलैहैं – हँसी उड़ाना
परिजाए – पड़ जाए
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Yes, the NCERT solution for Class 9 Chapter 39: Rahim is quite useful for students in preparing for their exams. The solutions are simple, clear, and concise allowing students to understand them better. They can solve the practice questions and exercises that allow them to get exam-ready in no time.
You can get all the NCERT solutions for Class 9 Hindi Chapter 39 from the official website of the Orchids International School. These solutions are tailored by subject matter experts and are very easy to understand.
Yes, students must practice all the questions provided in the NCERT solution for Class 9 Hindi Chapter 39: Rahim as it will help them gain a comprehensive understanding of the concept, identify their weak areas, and strengthen their preparation.
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Students can utilize the NCERT solution for Class 9 Hindi Chapter 39 effectively by practicing the solutions regularly. Solve the exercises and practice questions given in the solution.