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किसी भी व्यक्ति की पहचान उसक कुल से होती है या कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि राजा केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने के कारण महान नहीं बने वे महान बने तो अपने उच्च कर्मों से। इसके विपरीत कबीर, सूर, तुलसी बहुत ही सामान्य घरों में पैदा हुए परन्तु संसार भर में अपने कर्मों के कारण प्रसिद्ध हुए। अत: हम कह सकते है कि व्यक्ति की पहचान ऊँचे कर्मों से होती है, कुल से नहीं।
मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढता फिरता है ?
हिन्दू अपने ईश्वर को मंदिर तथा पवित्र तीर्थ स्थलों में ढूँढता है तो मुस्लिम अपने अल्लाह को काबे या मस्जिद में और मनुष्य ईश्वर को योग,वैराग्य तथा अनेक प्रकार की धार्मिक क्रियाओं में खोजता फिरता है ।
कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है ?
कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रचलित विश्वास जैसे मंदिर, मस्जिद में जाकर पूजा अर्चना करना या नमाज पढ़ना अथवा योग, वैराग्य जैसी क्रियाएँ, पवित्र तीर्थ स्थलों की यात्रा करना,आडम्बर युक्त भक्ति करके ईश्वर प्राप्ति की इच्छा करना इन सभी प्रचलित मान्यताओं का खंडन किया है।
कबीर ने ईश्वर को सब स्वाँसों की स्वाँस में क्यों कहा है?
सभी जीवों की रचना ईश्वर द्वारा की गयी है। अत: ईश्वर का वास हर प्राणी की हर साँस में है अर्थात् ईश्वर हर प्राणी में समाया है। इसलिए कबीर ने ईश्वर को सब स्वाँसों की स्वाँस में कहा है।
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की ?
सामान्य हवा में वस्तुओं को प्रभावित करने की उतनी क्षमता नहीं होती जितनी आँधी में। उसी प्रकार ज्ञान की आँधी आने से मनुष्य के मन पर पड़े हुए हर एक किस्म के अज्ञान के परदे, मोह मायारूपी बुराई, छल कपट रूपी कूड़ा सब नष्ट हो जाते हैं। मनुष्य का मन निर्मल होकर प्रभु भक्ति में रम जाता है।
ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
ज्ञान की आँधी का मनुष्य के जीवन पर यह प्रभाव पड़ता है कि उसके सारी शंकाए और अज्ञानता का नाश हो जाता है। वह मोह के सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है। मन पवित्र तथा निश्छल होकर प्रभु भक्ति में तल्लीन हो जाता है।
‘मानसरोवर’ से कवि का क्या अभिप्राय है ?
‘मानसरोवर’ से कवि का आशय हृदय रुपी तालाब से है। जो हमारे मन में स्थित है।
कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है ?
सच्चे प्रेम से कवि का तात्पर्य भक्त की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति से है। एक भक्त की कसौटी उसकी भक्ति है। अर्थात् ईश्वर की प्राप्ति ही भक्त की सफलता है।
तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है ?
कवि ने यहाँ सहज ज्ञान को महत्व दिया है। वह ज्ञान जो सहजता से सुलभ हो हमें उसी ज्ञान की साधना करनी चाहिए।
इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है ?
कबीर के अनुसार सच्चा संत वही कहलाता है जो साम्प्रदायिक भेदभाव, सांसारिक मोह माया से दूर, सभी स्तिथियों में समभाव (सुख दुःख, लाभ-हानि, ऊँच-नीच, अच्छा-बुरा) तथा निश्छल भाव से प्रभु भक्ति में लीन रहता है।
अंतिम दो दोहों के माध्यम से से कबीर ने किस तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है ?
अंतिम दो दोहों में दो तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है –
1. अपने अपने धर्म को श्रेष्ठ सिद्ध करना और दूसरे के धर्म की निंदा करना।
2. ऊँचे कुल के गर्व में जीने की संकीर्णता। मनुष्य केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने से बड़ा नहीं होता वह बड़ा बनता है तो अपने अच्छे कर्मों से।
काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
हस्ती चढ़िये ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झख मारि।
भाव सौंदर्य – यहाँ पर कवि ने ज्ञान को महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए बताया है कि ज्ञान की प्राप्ति करनेवाला साधक हाथी पर चले जा रहा है और संसार रूपी कुत्ते अर्थात् आलोचना करनेवाले भौंक-भौंककर शांत हो जाते हैं।
शिल्प सौंदर्य – रचना में भक्ति रस की प्रधानता है। सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है।
हस्ती, स्वान, ज्ञान आदि तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है।
1 भाव स्पष्ट कीजिए –
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
2 आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
1.यहाँ ज्ञान की आँधी के कारण मनुष्य के मन पड़े प्रभाव के फलस्वरूप मनुष्य के स्वार्थ रूपी दोनों खंभे तूट गए तथा मोह रूपी बल्ली भी गिर गई। इससे कामना रूपी छप्पर नीचे गिर गया। उसके मन की बुराईयाँ नष्ट हो गई और उसका मन साफ़ हो गया।
2. ज्ञान रूपी आँधी आने के बाद मन प्रभु भक्ति में रम जाता है। ज्ञान की आँधी के बाद जो जल बरसा उस जल से मन भीग उठता है और आनंदित हो जाता है। अर्थात् ज्ञान की प्राप्ति के बाद मन शुद्ध हो जाता है।
संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
कबीर ने अपने विचारों दवारा जन मानस की आँखों पर धर्म तथा संप्रदाय के नाम पर पड़े परदे को खोलने का प्रयास किया है कबीर ने हिन्दू और मुसलमान की पूजा पद्धति के कारण उत्पन्न सांप्रदायिकता को लक्ष्य बनाते हुए राम और रहीम को एक मानकर मनुष्य को सच्ची भक्ति के लिए प्रेरित किया है। कबीर ने हर एक मनुष्य को किसी एक मत, संप्रदाय, धर्म आदि में न पड़ने की सलाह दी है। ये सारी चीजें मनुष्य को राह से भटकाने तथा बँटवारे की और ले जाती है अत:कबीर के अनुसार हमें इन सब चक्करों में नहीं पड़ना चाहिए। मनुष्य को चाहिए की वह निष्काम तथा निश्छल भाव से प्रभु की आराधना करें।
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए –
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख
(1) पखापखी – पक्ष-विपक्ष
(2) अनत – अन्यत्र
(3) जोग – योग
(4) जुगति – युक्ति
(5) बैराग – वैराग्य
(6) निरपख – निष्पक्ष
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