Class 9 Hindi Kritika 2 is instilled with stories that go deep into the cultural and social tapestry of our society. Among many such engaging narratives, what comes before us as a compelling story is "Mere Sang Ki Auratein." This touched a chord in so many minds because of its striking portrayal of the women's element in our lives.This story does not appear in any curriculum at Orchids International School, yet it opens to a gateway of people with so much emotion and perspective. The Class 9 Hindi Kritika 2 PDF eases the student's accessibility to such texts; it thus facilitates reading and reflecting upon at one's pace. "Mere Sang Ki Auratein" has been an evocative story amongst the whole compilation, provoking young minds to ponder upon all matters that surround them with critical thinking and with compassionate feelings. That is why literature is aimed at making aware and cultured citizens who recognize shades of human experiences.
The NCERT Solutions Class 9 Hindi Kritika Chapter 2: Mere Sang Ki Auratein are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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Students can access the NCERT Solutions Class 9 Hindi Kritika Chapter 2: Mere Sang Ki Auratein. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए माँगी क्योंकि वे एक स्वतंत्र ख्यालों की बहादुर महिला थी। वे लड़कियों को लड़कों के समान ही मानती थी जो कि उनकी मन्नत से साबित हो गया। उस समय उन्होंने समाज में लड़कियों के प्रति सम्मान की भावना जगाने हेतु व समान हक दिलवाने हेतु ही स्वयं के घर से शुरुआत की।
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए |
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। यह कथन इस पाठ ने बिलकुल सत्य कर दिखाया है। पाठ में माँ जी को जब पता चला कि उनके कमरे में चोर है तो भी उन्होंने उसके साथ बहुत सामान्य व अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने चोर के हाथ से पानी पिया व उसे भी पिलाया जो कि किसी व्यक्ति के बुरे से अच्छे में बदलने के लिए काफ़ी है। चोर ने कभी भी अपने जीवन में इतना सम्मान नहीं पाया होगा जो कि उसे माँ जी ने दिया। माँ जी ने उसे इतना ही कहा था कि "तुम चोरी करो या खेती, यह तुम्हारी मर्जी" बस इतना कहने से ही चोर का हृदय परिवर्तन हो गया। उसने हमेशा के लिए चोरी छोड़ दी और खेती अपना ली।
शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’- इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए |
"शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है।" लेखिका ने अपने प्रयासों से साबित कर दिया है। लेखिका विवाह के बाद कर्नाटक के एक छोटे कस्बे, बागलकोट में पहुँच गई तब उनके दो बच्चे भी थे, जो स्कूल जाने लायक उम्र पर पहुँच रहे थे पर वहाँ कोई ढंग का स्कूल नहीं था इसलिए लेखिका ने कैथोलिक बिशप से प्राइमरी स्कूल खोलने की दरख्वास्त की। यह प्राइमरी स्कूल उन्होंने क्रिश्चियन और गैर- क्रिश्चियन दोनों ही समुदायों के बच्चों के लिए खोलने के लिए कहा पर उनसे सहयोग न मिलने पर लेखिका ने स्वयं ही अंग्रेज़ी-हिंदी-कन्नड़, तीन भाषाएँ पढ़ाने वाला, प्राइमरी स्कूल खोला और कर्नाटक सरकार से उसे मान्यता भी दिलवाई ताकि किसी भी समुदाय का बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रह पाए।
पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि दृढ़ संकल्प रखने वाले, परंपरागत व रूढ़िवादी सोच से अलग सोचने वाले, समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले, बदलाव की पहल स्वयं से करने वाले लोगों को ही श्रद्धा भाव से देखा जाता है। जो लोग कभी झूठ नहीं बोलते, जो किसी की बात को इधर-उधर नहीं करते, जिनका व्यक्तित्व सहज, सरल, परोपकार की भावना से भरा हुआ होता है, उन्हें ही श्रद्धा भाव से देखा जाता है।
‘सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए |
खिका और उनकी बहन दोनों ही दृढ़- निश्चयी व्यक्ति थी। वे स्वयं में ही सम्पूर्ण थीं। वे दोनों ही ज़िद्दी थी पर यहाँ यह 'ज़िद्दी' विशेषण उनके लिए सकारात्मक रूप में प्रयोग हुआ है। यह जिद्दी शब्द उनकी दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, जो यह बताता है कि यह दोनों ही जब कुछ ठान लेती हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेतीं हैं। ये दोनों ही हमेशा अपनी राह खुद तलाशती हैं और उस पर मंजिल तक पहुँचने तक चलती हैं। वे दोनों ही स्वयं की साथी, हमदर्द खुद ही होती हैं। पाठ में अनेक घटनाओं द्वारा उनके अकेले चलने की व्याख्या बहुत खूबसूरती से की गई है। चाहे वह लेखिका की डालमिया नगर की घटना हो या बागलकोट की। उसी प्रकार लेखिका की बहन के विद्यालय पहुँचने की घटना ने तो अलग ही मुकाम पर पहुँचा दिया है इस पाठ को।
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे इसलिए प्रभावित थीं क्योंकि उनकी नानी, पारंपरिक, अनपढ़, परदानशीं औरत थीं, जिनके पति शादी के तुरंत बाद उन्हें छोड़कर बैरिस्ट्री पढ़ने विलायत चले गए थे। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री लेकर जब वे लौटे और विलायती रीति-रिवाज के संग ज़िन्दगी बसर करने लगे तो नानी ने अपने रहन-सहन पर उसका कोई असर नहीं पड़़ने दिया, न उन्होंने अपनी किसी इच्छा-आकांक्षा या पसंद-नापंसद का इज़हार पति पर कभी किया पर जब कम-उम्र में नानी ने खुद को मौत के करीब पाया तो, पंद्रह वर्षीय इकलौती बेटी ‘लेखिका की माँ’ की शादी की फ़िक्र में वे मुँहज़ोर एवं बेपरदा होकर अपने पति के दोस्त से मिलीं। इतना ही नहीं जो बात उन्होंने अपने पति के दोस्त से कही, वह साबित करती है कि वे अपनी निजी ज़िन्दगी में कितनी स्वतंत्र और आज़ाद ख्यालों वाली महिला थी जो अपने देश से बेइंतहा प्रेम करती थीं और देश के सिपाहियों के प्रति गज़ब का आदर भाव रखती थीं और शायद अपनी ज़िंदगी भी अपनी ही शर्तों पर जीती थीं।
लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में वैसे तो प्रत्यक्ष रूप से कोई भूमिका नहीं थी परंतु अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने बेहद ख़ास भूमिका आज़ादी के आंदोलन में निभाई। उनके पति ने 'कैंब्रिज विश्वविद्यालय' से विलायती डिग्री हासिल की थी परंतु फिर भी उन्होंने कभी भी अंग्रेजी शासन को नहीं अपनाया। उनके पति अंग्रेजी साहब थे शायद इसलिए उन्होंने कभी अपने पति से अपनी इच्छाएँ ज़ाहिर नहीं की क्योंकि उनके मन में देश के लिए अटूट प्रेम और श्रद्धा थी, वह स्वयं में एक देश-भक्त थी। अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने मुँहजोर और बेपर्दा होकर अपने दोस्त के पति से अपनी बेटी की शादी देश के किसी सिपाही से करने की इच्छा व्यक्त की जोकि यह दर्शाता है कि वे अंग्रेजों की कितनी खिलाफ थी और उनका झुकाव अपने देश के प्रति कितना अधिक था। उनके इस कदम ने उनके साहसी व्यक्तित्व को भी उजागर किया।
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी इस कथन के आलोक में-
क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए।
लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
१) उनमें खूबसूरती, नज़ाकत, गैर-दुनियादारी के साथ ईमानदारी और निष्पक्षता कुछ इस तरह घुली-मिली थी कि वे परीजात से कम जादुई नहीं मालूम पड़ती थीं।
२) वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं।
३) वे एक की गोपनीय बात को दूसरे पर ज़ाहिर नहीं होने देती थीं।
४) वे सामान्य भारतीय माँ से बेहद अलग थीं। उन्होंने कभी अपने बच्चों को लाड नहीं किया, न उनके लिए खाना पकाया और न अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख दी।
५) वे किताबें पढ़ने, साहित्य-चर्चा व संगीत सुनने की शौकीन थीं।
६) हर ठोस और हवाई काम के लिए उनकी ज़बानी राय ज़रूर माँगी जाती थी और पत्थर की लकीर की तरह निभाई भी जाती थी।
७) उनमें आज़ादी का जुनून कम था पर वह भरपूर था और अपने तरीके से वे उसे भरपूर निभाती रही थीं। ज़ाहिर है कि जब जुनून आज़ादी का हो तो, उसे निभाना भी आज़ादी से चाहिए जिस-तिस से पूछकर, उसके तरीके से नहीं, खुद अपने तरीके से|
ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर : लेखिका की दादी के घर का माहौल सामान्य घर के माहौल से बेहद अलग व प्रभावी था। संयुक्त परिवार होने के बावजूद भी हर व्यक्ति को अपना निजत्व बनाए रखने की छूट थी। घर में बेटे व बेटी, दोनों को हो समान अधिकार प्राप्त थे। इतना ही नहीं लेखिका की परदादी ने मंदिर में जाकर मन्नत माँगी थी कि उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़की हो, यह घर के माहौल व उसमें रहने वाले लोगों की स्वतंत्र सोच का ही परिचायक है। लेखिका की माँ किसी प्रचारित पत्नी, बहु या माँ के कर्तव्य का पालन नहीं करती थी फिर भी उनके परंपरागत दादा-दादी या उनकी ससुराल के अन्य सदस्य उनकी माँ को न नाम धरते थे, न उनसे आम औरत की तरह होने की अपेक्षा रखते थे अपितु उनकी माँ में सबकी बहुत श्रद्धा थी।
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The NCERT solution for Class 9 Chapter 2: Mere Sang Ki Auratein is important as it provides a structured approach to learning, ensuring that students develop a strong understanding of foundational concepts early in their academic journey. By mastering these basics, students can build confidence and readiness for tackling more difficult concepts in their further education.
Yes, the NCERT solution for Class 9 Chapter 2: Mere Sang Ki Auratein is quite useful for students in preparing for their exams. The solutions are simple, clear, and concise allowing students to understand them better. They can solve the practice questions and exercises that allow them to get exam-ready in no time.
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Students can utilize the NCERT solution for Class 9 Hindi Chapter 2 effectively by practicing the solutions regularly. Solve the exercises and practice questions given in the solution.