The student of Class 9 enters the insightful realms of Hindi through the vibrant world of literature—the "Sparsh 33." This by itself makes for an enriching component of their curriculum. "class 9 Dhiranjan Malvey Hindi Sparsh 33" turns out to be a key for opening so many doors in the genres of different themes and cultural narratives that make a student learn more and love the language.
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Students can access the NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh Chapter 33: Dhiranjan Malvey. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?
3. रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?
4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?
5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
6. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
8. रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?
1.रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक सुयोग्य और जिज्ञासु वैज्ञानिक एवं अनुसंधानकर्ता थे।
2.समुद्र को देखकर रामन् के मन में दो जिज्ञासाएँ उठीं –
1. समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों होता है?
2. पानी का रंग कोई और क्यों नहीं होता है?
3. रामन् के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। उन्होंने ने रामन् में गणित और भौतिकी की सशक्त नींव डाली।
4.रामन् वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के द्वारा उनके कंपन के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्य की परतें खोलना चाहते थे।
5.सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की भावना थी कि वह पढ़ाई करके विश्वविद्यालय के शिक्षक बनकर, अध्ययन अध्यापन और शोध कार्यों में अपना पूरा समय लगाना चाहते थे।
6. रामन् का सवाल था कि आखिर समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों है? इसके लिए उन्होंने तरल पदार्थ पर प्रकाश की किरणों का अध्ययन किया। उनके प्रयोग की परिणति ‘रामन् प्रभाव’ की महत्त्वपूर्ण खोज के रूप में हुई।
7.प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया था कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। उन्होंने इन कणों की तुलना बुलेट से की और इन्हें ‘फोटॉन’ नाम दिया।
8.रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं के बारे में खोज के अध्ययन को सहज बनाया।
कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा थी कि वे नए-नए वैज्ञानिक प्रयोग करें, पूरा जीवन शोधकार्यों में लगा दें। उनका मन और दिमाग विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने के लिए बैचेन रहता था। परन्तु इसे कैरियर के रूप में अपनाने की उनके पास खास व्यवस्था नहीं थी।
वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
रामन् ने देशी और विदेशी दोनों प्रकार के वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया। इस अध्ययन के द्वारा वे पश्चिमी देशों की भ्रांति को तोड़ना चाहते थे कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया है।
वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
रामन् ने देशी और विदेशी दोनों प्रकार के वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया। इस अध्ययन के द्वारा वे पश्चिमी देशों की भ्रांति को तोड़ना चाहते थे कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया है।
रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?
रामन् के लिए नौकरी संबंधी यह निर्णय कठिन था, जब एक दिन प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी ने रामन् से नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद लेने के लिए आग्रह किया। सरकारी नौकरी की बहुत अच्छी तनख्वाह अनेकों सुविधाएँ छोड़कर कम वेतन, कम सुविधाओं वाली नौकरी का फैसला मुश्किल था। परन्तु रामन् ने सरकारी नौकरी छोड़कर विश्वविद्यालय की नौकरी कर ली क्योंकि सरस्वती की साधना उनके लिए महत्वपूर्ण थी। इसलिए यह काम सचमुच हिम्मत का काम था।
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया –
• 1924 में रॉयल सोसायटी की सदस्यता प्रदान की गई।1929 में उन्हें सर की उपाधि दी गई।
• 1930 में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया।
• 1954 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
• रॉयल सोसायटी का ह्यूज पदक प्रदान किया गया।
• फिलोडेल्फि़या इंस्टीट्यूट का फ्रेंकलिन पदक मिला।
• सोवियत संघ का अंतर्राष्ट्रीय लेनिऩ पुरस्कार मिला।
रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?
रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। इनमें से अधिकांश पुरस्कार विदेशी थे और प्रतिष्ठित भी। अंग्रेज़ों की गुलामी के दौर में एक भारतीय वैज्ञानिक को इतना सम्मानित दिए जाने से भारत को आत्मविश्वास और आत्मसम्मान मिला। इसके लिए भारतवासी स्वयं को गौरवशाली अनुभव करने लगे। रामन् नवयुवकों के प्रेरणास्रोत बन गए।
रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
रामन् के समय में शोधकार्य करने के लिए परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत थीं। वे सरकारी नौकरी करते थे, वे बहुत व्यस्त रहते थे। परन्तु फिर भी रामन् फुर्सत पाते इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की प्रयोगशाला में काम करते। इस प्रयोगशाला में साधनों का अभाव था लेकिन रामन् इन काम चलाऊ उपकरणों से भी शोध कार्य करते रहें। ऐसे में अपनी इच्छाशक्ति के बलबूते पर अपना शोधकार्य करना आधुनिक हठयोग ही कहा जा सकता है। यह हठयोग विज्ञान से सम्बन्धित था इसलिए आधुनिक कहना उचित था।
रामन् की खोज रामन् प्रभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
रामन् की खोज को रामन् प्रभाव के नाम से जाना जाता है। रामन् के मस्तिष्क में समुद्र के नीले रंग को लेकर जो सवाल 1921 की समुद्र यात्रा के समय आया, वह ही रामन् प्रभाव खोज बन गया। अर्थात् रामन् द्वारा खोजा गया सिद्धांत, इसमें जब एक वर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। एक वर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल ठोस रवे से टकराते हैं तो उर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा लेते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण में (रंग में) बदलाव लाती हैं।
‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?
‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य संभव हो सके –
• विभिन्न पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया।
• रामन् की खोज के बाद पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाने लगा।
• रामन् की तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देने लगी।
• अब पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रुप से निर्माण संभव हो गया।
देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् का व्यक्तित्व प्रयोगों और शोधपत्र – लेखन तक ही सिमटा हुआ नहीं था। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वह देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर वैज्ञानिक कार्यों के लिए जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने रामन् प्रभाव की खोज कर नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बंगलोर में शोध संस्थान की स्थापना की, इसे रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान के लिए इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स नामक शोध पत्रिका आरंभ की, करेंट साइंस नामक पत्रिका भी शुरु की, प्रकृति में छिपे रहस्यों का पता लगाया।
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से हमें सदैव आगे बढ़ते रहने का संदेश मिलता है। व्यक्ति को अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करना चाहिए। भले ही इसके लिए रामन् की तरह सुख-सुविधाओं को छोड़ना पड़े। इच्छा शक्ति हो तो राह निकल आती है। रामन् ने संगीत के सुर-ताल और प्रकाश की किरणों की आभा के अंदर से वैज्ञानिक सिद्धांत खोज निकाले। इस तरह रामन् ने संदेश दिया है कि हमें अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टि से करनी चाहिए। हमें प्रकृति के बीच छुपे वैज्ञानिक रहस्य का भेदन करना चाहिए।
उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
डॉ. रामन् विश्वविद्यालय के शिक्षक बनकर, अध्ययन अध्यापन और शोध कार्यों में अपना पूरा समय लगाना चाहते थे। इसलिए सरकारी सुख-सुविधाओं का त्याग किया क्योंकि उनके अनुसार सरस्वती अर्थात् शिक्षा पाने और देने का काम अधिक महत्त्वपूर्ण था।
हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीज़ें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
रामन् ने संगीत के सुर-ताल और प्रकाश की किरणों की आभा के अंदर से वैज्ञानिक सिद्धांत खोज निकाले। इस तरह रामन् ने संदेश दिया है कि हमें अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टि से करनी चाहिए। हमें प्रकृति के बीच छुपे वैज्ञानिक रहस्य का भेदन करना चाहिए। हमारे आस-पास के वातावरण में अनेक प्रकार की चीज़ें बिखरी होती हैं। उन्हें सही ढंग से सँवारने वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है। वही उनको नया रुप देता है।
यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
रामन् के समय में शोधकार्य करने के लिए परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत थीं। रामन् किसी न किसी प्रकार अपना कार्य सिद्ध कर लेते थे। वे हठ की स्थिति तक चले जाते थे। योग साधना में हठ का अंश रहता है। वे सरकारी नौकरी करते थे, वे बहुत व्यस्त रहते थे। परन्तु फिर भी रामन् फुर्सत पाते इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की प्रयोगशाला में काम करते। इस प्रयोगशाला में साधनों का अभाव था लेकिन रामन् मामूली उपकरणों से भी अपनी प्रयोगशाला का काम चला लेते थे। यह एक प्रकार का हठयोग ही था।
उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
इंफ़्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट।
1. रामन् का पहला शोधपत्र _______________ में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन् की खोज _______ के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ____________________________ था।
4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान _______________________________ नाम से जाना जाता है।
5. पहले पदार्थो के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए _______________________ का सहारा लिया जाता था।
1. रामन् का पहला शोधपत्र फिलॉसफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस था।
4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट नाम से जाना जाता है।
5. पहले पदार्थो के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ़्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।
नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
(क) प्रमाण –
(ख) प्रणाम –
(ग) धारणा –
(घ) धारण –
(ङ) पूर्ववर्ती –
(च) परवर्ती –
(छ) परिवर्तन –
(ज) प्रवर्तन –
(क) प्रमाण – प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता है?
(ख) प्रणाम – हमें त्योहारों में हमारे माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए।
(ग) धारणा – मेरी धारणा है कि हर इन्सान में अच्छाई छिपी होती है।
(घ) धारण – मेरी माँ हर मंगलवार को मौन धारण करती है।
(ङ) पूर्ववर्ती – भारत के पूर्ववर्ती इलाकों में अच्छे डॉक्टरों की कमी हो रही है।
(च) परवर्ती – सम्राट अशोक के परवर्ती शासक मोर्य साम्राज्य के पतन का कारण बने।
(छ) परिवर्तन – परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
(ज) प्रवर्तन – कई सम्राटों ने अपने-अपने समय में मुद्राओं का प्रवर्तन किया।
रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए –
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से ____________ हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को ____________ रुप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और ____________पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाज़ार में देशी और ____________ दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद ____________में परिवर्तित हो जाता है।
रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए –
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रुप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाज़ार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद विकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।
नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है –
उदाहरण : चाऊतान को गाने-बजानेमें आनंद आता है।
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
सुख-सुविधा –
अच्छा-खासा –
प्रचार-प्रसार –
आस-पास –
सुख-सुविधा – माँ अपने बच्चे की सुख-सुविधा का ध्यान रखती हैं ।
अच्छा-खासा – नेताजी का विश्व-भर में अच्छा-खासा प्रभाव था।
प्रचार-प्रसार – विज्ञापन प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम है।
आस-पास – हमें आस-पास की घटनाओं से परिचित होना चाहिए।
प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए –
अनुस्वार अनुनासिक
(क) अंदर (क) ढूँढ़त
(ख) …………………. (ख) ………………….
(ग) …………………. (ग) ………………….
(घ) …………………. (घ) ………………….
(ङ) …………………. (ङ) …………………
अनुस्वार अनुनासिक
(क) अंदर (क) ढूँढ़ते
(ख) सदियों (ख) पहुँचता
(ग) असंख्य (ग) सुविधाएँ
(घ) रंग (घ) स्थितियाँ
(ङ) नींव (ङ) वहाँ
पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए –
घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह
घंटों खोए रहते |
बहुत देर तक ध्यान में लीन रहते। |
स्वाभाविक रुझान बनाए रखना |
सहज रूप से रूचि बनाए रखना। |
अच्छा-खासा काम किया |
अच्छी मात्र में ढेर सारा काम किया। |
हिम्मत का काम था |
कठिन काम था। |
सटीक जानकारी |
बिलकुल सही और प्रमाणिक जानकारी। |
काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए |
बहुत अच्छे अंक पाए। |
कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था |
बहुत मेहनत के बाद शीघ्र संस्थान की स्थापना की थी। |
मोटी तनख्वाह |
बहुत अधिक आय या वेतन। |
नीला |
समुद्र |
पिता |
नींव |
तैनाती |
कलकत्ता |
उपकरण |
कामचलाऊ |
घटिया |
भारतीय वाद्ययंत्र |
फोटॉन |
रव |
भेदन |
वैज्ञानिक रहस्य |
28. पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
उत्तर:-
पाठ आए रंगों के नाम अन्य रंगों के नाम
बैंजनी काला
नीला सफेद
आसमानी गुलाबी
हरा कत्थई
पीला फिरोज़ी
नारंगी भूरा
लाल लाल
खाकी
मोंगिया
स्लेटी
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