The insights of Hindi literature have to be closely looked into if one wants a well-rounded understanding of our cultural heritage. For class 11, especially, NCERT Solutions Class 11 has given comprehensive guidance in the form of Solutions for Chapter 8 of the Hindi Antara textbook titled "Bharatbarsh ki Unnati Kaise Ho Sakti Hai?" This chapter covers interesting insights into discussing the ways of progressive India and thereby at stimulating the critical thinking faculties of the students. Whether explanations in elaboration or the Class 11 Hindi Antara Chapter 8 PDF, crystal clear insights are brought about by these solutions, making comprehension of the underlying concepts simple and quick.
The NCERT Solutions Class 11 Hindi Antara Chapter 8 Bharatvarsh Ki Unnati Kaise Ho Sakti h? are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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Students can access the NCERT Solutions Class 11 Hindi Antara Chapter 8 Bharatvarsh Ki Unnati Kaise Ho Sakti h?. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि, इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए, वहीं बहुत कुछ है! क्यों कहा गया है ?
पाठ में, भारतेंदु जी ने कहा है कि, भारत के लोग बड़े आलसी प्रवृति वाले हो गए हैं। हर भारतीय को आलस्य ने अपने वश में कर लिया है। यही कारण है कि, भारत के लोग परिश्रम करने से भागते रहते हैं, जिसकी वजह से देश में निरंतर बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है। यह देखते हुए ही उन्होंने कहा है कि, दुर्भाग्यपूर्ण आलसी देश में, जो कुछ हो जाए, वही बहुत कुछ है। मनुष्य और देश के विकास के लिए हमें अपने भीतर व्याप्त आलस्य को दूर करना होगा। हर भारतीयों को अपनी आलस्य रूपी बीमारी से छुटकारा पाना होगा, तभी देश की प्रगति होगी।
'जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो' वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है ?
इस वाक्य को लिखते हुए, लेखक ने एक ऐसे समाज की कल्पना की है, जहां राजा सतर्क व समझदार है और जहां राजा सतर्क होता है । वहां के लोगों का जागरूक होना तो निश्चित है, उन्हें आलस्य नहीं होता। समाज को अपने और राज्य के विकास के लिए मिल जुल कर काम करना होगा जिससे समाज भी जागरूक और विकसिक होगा।
जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार 'हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो' से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है ?
लेखक का मानना है कि, भारतीय आलस्य के कारण बेकार हो गए हैं। उनकी योग्यताएं आलस्य के कारण समाप्त हो गई है। उनमें अब नेतृत्व के गुण नहीं हैं। विभिन्न जातियों, समुदायों आदि के लोग पूरे भारत में रहते हैं। उनके पास खुद चलने की क्षमता नहीं है। उन्हें सदियों से एक बाहरी व्यक्ति द्वारा पोषित किया गया है,यह सही नहीं है, हमे स्वयं अपने बल बूते पे खड़ा होना होगा। तो लेखक कहता है कि, हमें इसका कारण खोजना होगा। हम समस्या का समाधान तब तक नहीं कर पाएंगे जब तक हम कारण की जड़ नहीं खोज लेते। हमें समस्या को खोजने और उसे हल करने की आवश्यकता है। हम भारतीयों दोष केवल यह है कि हम समस्या को पहचानते हैं, लेकिन इसका मूल कारण नहीं खोजते हैं। जिस दिन हमने इसे पहचान लिया और समस्या का हल ढूंढ लिया, उस दिन हमारे दिन लौट आएंगे।
देश की सब प्रकार की उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए ।
पाठ में, लेखक ने देश की प्रगति के लिए चार उपाय दिए हैं। वे इस प्रकार हैं:
( क ) लेखक का कहना है कि, आलस्य हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। इसी ने हमें निकम्मा बना दिया है। इसलिए हमें इस आलस्य को छोड़ना होगा और अपने समय का सही उपयोग करना होगा। समय का सदुपयोग और आत्मविश्वास से हम प्रगति के पथ पर चल सकते हैं।
(ख) हमें अपने हितों और अहितों का त्याग करना होगा। लेखक के अनुसार, हमें अपने देश, जाति, समाज आदि के लिए अपने हितों और अहितों का त्याग करना होगा ।
(ग) हमें शिक्षा के महत्व को समझना होगा और इसे भारत के हर घर में लाना होगा। इस तरह शिक्षित भारत की प्रगति निश्चित है।
(घ ) हमें भारत के बाहर अन्य स्थानों के अस्तित्व को भी समझना होगा। इस तरह, हम कुओं की सनक नहीं बनेंगे और निश्चित रूप से प्रगति करेंगे।
लेखक जनता के मत-मतांतर छोड़कर, आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है ?
लेखक जानता है कि, भारतीय लोगों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण जाति और धार्मिक भेदभाव है। इसने भारत की नींव को खोखला बना दिया है। इसी कारण से भारत की एकता और अखंडता खंडित हो रही है। धर्म और जातिय भेदभाव के कारण लोगों के मन में दूरियां बन गई है। जिसका फायदा दुसरे बखूबी निभातें है, अंग्रेजों ने यहां 'फुट डालो शासन करो' की नीति पर शासन किया है। भारतीय जिस दिन मन की दूरियों को खत्म कर आपस में प्रेम भाव से रहने लगेंगे , उस दिन हमारा देश एकता के सूत्र में बंध जाएगा। ऐसा कोई शासक नहीं होगा जो हमें गुलाम बनाकर रख सके। इसलिए, वह आपसी बैर को त्यागने और आपसी प्रेम व भाईचारा बढ़ाने का आग्रह करता है।
आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में, निम्नलिखित वाक्य को एक अनुच्छेद स्पष्ट कीजिए:
'जैसे हज़ार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली हैं, वैसी ही तुम्हारी लक्ष्मी हज़ार तरह से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती हैं।'
लेखक का कहना है कि भारत का पैसा इंग्लैंड, फ्रांसिस, जर्मनी और अमेरिका में हजारों रूपों में जा रहा है। आज, स्थिति पूरी तरह ऐसी नहीं है, फिर भी हमारा पैसा इन देशों में जा रहा है। आज भी, भारतीय विदेशी ब्रांड के कपड़े, जूते, घड़ियाँ, परफ्यूम आदि उपयोग करते हैं और इस तरह पैसा देश से बाहर जा रहा है। लोग स्वदेशी चीजों को छोड़ कर विदेशी चीजों पे ज्यादा विश्वास करते हैं।जिसके कारण खुद के देश का पैसा दुसरे देश चला जाता है।
आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है ? कोई चार उदाहरण तर्क सहित दीजिए |
हमारे विचार में देश की प्रगति के लिए ये चार उपाय प्रभावी हैं:
(क) हमें आलस ना करके, हमेशा काम करते रहना चाहिए। इस तरह हम समय के मूल्य को पहचान पाएंगे और इसका सही इस्तेमाल कर पाएंगे।
(ख) हमें अपने देश के विकास और प्रगति के लिए भी काम करना चाहिए। इसी प्रकार, यह सर्वविदित है कि जैसे-जैसे हम विकास और प्रगति की ओर बढ़ते हैं, देश की प्रगति और विकास भी साथ साथ होती है। हम देश के साथ जुड़े हुए हैं,इसलिए हमारी प्रगति में ही देश की तरक्की है।
(ग) देश में शिक्षा का प्रसार करना आवश्यक है। जहां शिक्षा है, वहां विकास का मार्ग स्वयं खुल जाता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हर वेश, भाषा, रंग, जाति, संप्रदाय, धर्म का हर एक नागरिक शिक्षित हो।
(घ) हमें जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा । हमारे देश के असमान्य जनसंख्या के कारण एक दिन सारे संसाधन समाप्त हो जाएंगे और हमें अन्य देशों पर निर्भर होना पड़ेगा। इसलिए हमें जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा ।
भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ 'भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?' एक भाषण है।
भाषण की चार विशेषताएँ इस प्रकार हैं: -
( क ) भाषण संबोधन शैली पर आधारित होती है। यह शुरुआत से ही किया जाता है।
( ख ) भाषण के समय, ऐसे उदाहरण जनता के सामने रखे जाते हैं, जो उन्हें विषय से जोड़े रखते हैं और कही गई हर बात को और प्रभावी बनाते हैं।
(ग) दर्शकों को किसी विषय से अवगत कराने का यह सबसे अच्छा तरीका है। इसके जरिए दर्शकों का विश्वास हासिल किया जाता है। यह दर्शकों के साथ संबंध स्थापित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।
(घ) ऐसे विषयों का उल्लेख करना आवश्यक है जो श्रोता के लिए ज्ञानवर्धक हैं।
भारतेंदु जी का यह भाषण सर्वविदित है। इसके माध्यम से उन्होंने बलिया के लोगों को जोड़ा। इसमें उन्होंने भारत के लोगों की कमियों के बारे में बताया, ब्रिटिश शासन पर व्यंग्य किया और उनके काम की प्रशंसा की। इसमें उन्होंने कई विषयों पर बात कि, की मैंने यह भाषण चेतावनी और लोगों को सावधान करने के उद्देश्य से दिया था। इस भाषण में हर विषय को बताया जो किसी न किसी तरह से भारत को कमजोर बना रहा था।
'अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो से लेखक का क्या तात्पर्य है ? वर्तमान संदर्भों में इसकी प्रासंगिता पर अपने विचार कीजिए। प्रस्तुत
: हर देश की अपनी राष्ट्रीय भाषा होती है। सभी आधिकारिक और गैर-आधिकारिक कार्य एक ही भाषा में किए जाते हैं। यह शिक्षा का एक माध्यम भी है। कोई भी देश अपनी राष्ट्रीय भाषा के माध्यम से विकास के पथ पर अग्रसर होता है। और सभी देशवासियों के सहयोग से ही देश आगे बढ़ता है। दुनिया के अनेक देशों ने अपनी भाषा में आसमान की बुलंदियों को छुआ है । इसलिए उन्नति का तात्पर्य सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि उसके माध्यम से विकास से है। जापान और चीन जैसे देश अपनी भाषा का उपयोग करते हैं। यही कारण है कि यह देश सबसे सफल है। लेकिन विडंबना देखिए कि हिंदी की आजादी के 63 साल बाद भी उसके सम्मान का स्थान उसे हासिल नहीं हो सका, आज तक हमारे राष्ट्र भाषा का चयन नही हो सका।
स्वतंत्रता के समय, हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने के प्रयास कई लोगो ने किया, जिसपर लोगो का विरोध देखने को मिला और यह तर्क दिया गया कि इससे प्रांतीय भाषा को पीछे छोड़ दिया जाएगा। यदि कई प्रमुख नेता और अभिनेता अपनी भाषा में बयान देने से कतराते हैं, तो इसे भारत में कैसे स्थापित किया जाएगा। भारतीयों द्वारा हिंदी को अपमानित किया जा रहा है। अखिल भारतीय भाषा संरक्षण संगठन हिंदी और अन्य भाषाओं का परीक्षण कुछ समय के लिए किया गया है। इसे माध्यम बनाने के लिए संघर्ष किया। यह अभी तक सफल नहीं हुआ है। एक दिन जरूर होगा जब जनता सरकार को मजबूर करेगी और हिंदी को अपनी जगह जरूर मिलेगी
देश की उन्नति के लिए भारतेंदु ने जो आह्वान किया है उसे विस्तार से लिखिए।
भारतेंदु ने लोगों से कहा है कि, वे पश्चिमी देशों से सीखें। वह कहते हैं कि भारतीयों ने इंजन बनने की क्षमता खो दी है। वे रेल के कोच की तरह हैं जिन्हें चलाने के लिए इंजन की आवश्यकता होती है। यहां हमारे राजाओं के पास नष्ट करने का समय था। लेकिन अंग्रेज ऐसा नहीं करते हैं। बहुत से लोग यह कहते हुए अपना जीवन बर्बाद करते हैं कि हमें अपने पेट के लिए कमाना है। उनका मानना है कि पेट भरने के लिए नहीं लोगों को प्रगति के बारे में सोचना चाहिए। भारत इसके अलावा, बाहर के देशों में कई लोग हैं जो अपना आधा पेट भरकर जीते हैं, लेकिन वे अपना समय बर्बाद नहीं करते हैं। धर्म, जाति आदि के नाम पर लड़ते हुए समय बर्बाद करना कहां की समझदारी है, लड़ाई के बजाय एकजुट होना बेहतर है। सभी का सम्मान होना चाहिए। हमें नींद से जागने और देश की प्रगति के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है। हमें अपनी विदेशी वस्तु और भाषा को हटा देना चाहिए और अपनी स्वदेशी वस्तु और भाषा पर भरोसा करना चाहिए।
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