NCERT Solutions Class 11 Hindi Vitan Chapter 25 Rajasthan ke Rajat Bunde

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Rajasthan ke Rajat Bunde

Question 1 :

राजस्थान में कुंई किसे कहते है? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की महरानी और व्यास में क्या अंतर होता है?

Answer :

राजस्थान के बारे में सब जानते है कि, राजस्थान में रेत अथाह है और भारत का सबसे बड़ा रेगिस्तान भी वही पर है। चारो तरफ रेत होने के कारण जब वर्षा होती है, तो बारिश का पानी रेत में समा जाता है फलस्वरूप ऊपरी सतह पर पानी का तो कोई असर नहीं होता, परन्तु नीचे की सतह पर नमी जमा हो जाती है। यही नमी बालू के निचे से मिट्टी की ऊपरी परत तक रहती है। पानी के रूप में नमी को बदलने के लिए व्यास के ऊपरी सतह को २५-३० मीटर की गहराई तक खोदा जाता है। चिनाई का काम भी खुदाई के साथ कर लिया जाता है। खुदाई और चिनाई का काम ख़त्म होते ही खड़िया की पट्टी पर धीरे धीरे नमी के कारण पानी का रिसाव शुरू हो जाता है और पानी रिस रिस कर जमा होने लगता है। इसी गहरी और संकरी जगह को कुंई कहते हैं।


Question 2 :

दिनोदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या हो रहा है? जाने और लिखे?

 

Answer :

आज के समय में दिन प्रतिदिन धरती पर पानी की समस्या एक विकट और बिकराल समस्या का रूप लेते जा रही है और हम मानव के द्वारा प्रकृति से अत्यधिक छेड़ छाड़ ही इसका मुख्य कारण है। पेड़-पोधे और जंगलों के कटने के कारण पानी समान्य स्तर से कम होती जा रही है। सभी जगहों पर लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। मानव द्वारा निर्मित ऐसे वातावरण में राजस्थान की रजत बूंदे पाठ से हमें जल संग्रह और जल प्राप्ति के अन्य उपायों और पानी के उचित प्रयोग पर विचार करने में काफी मदद मिलती है। हमारे देश में भी कई जगहों पर पानी की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा कई सरकारी और गैर सरकारी अभियान जोर-शोर से चलाए जा रहे है। लोगो को प्रिंट मीडिया,विज्ञापन, कार्यक्रम के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। सिनेमा जगत की प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा पानी की समस्या के विषय में लोगों को अवगत कराया जा रहा है। जल को पुनरुपयोग करने के तरीकों को जनमानस को बताया जा रहा है। वर्षा के पानी के बचाव के कई उपाय गांवो और शहरो में उपलब्ध किए जा रहे हैं। गांवो में तालाब का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। नदियों को साफ किया जा रहा है। छोटे कुओं और जलाशयों का बड़े स्तर पर निर्माण कर पानी के भूमिगत जल-स्तर को बढ़ाया का रहा है।

 


Question 3 :

चेजारो के साथ गांव-समाज के व्यवहार मे पहले की तुलना में आज क्या फर्क आया है,पाठ के आधार पर बताइए!

 

Answer :

 चेजारों अर्थात (चिनाई करने वाले लोग) ये लोग कुंई निर्माण में हस्त कुशलता में माहिर होते हैं और इन्हें दक्ष चिनाई करने वाले कारीगर कहा जाता है। पुराने समय में राजस्थान में चेज़ारो को विशेष दर्जा प्राप्त था। कुंई के चिनाई के कार्य के दौरान गांव वालों द्वारा इन्हें तरह-तरह के उपहार भेट स्वरूप दी जाती थी और कुई का निर्माण ख़त्म होने के बाद भी इनका रिश्ता गांव से बना रहता था। उन्हें हर तीज, त्योहार तथा शादी-विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर विशेष भेट दी जाती है। सीधे तौर पर देखा जाएं तो उन्हें जलदाता माना जाता था। उनका सम्मान इतना था की फसल पकने के बाद खलिहान में उनके नाम से अनाज का एक ढेर अलग से निकाल कर रखा जाता था। समय के अनुसार अब स्थिति में काफी बदलाव आया है अब उन्हें उपहार और अनाज का भेट नहीं दिया जाता सिर्फ मजदूरी देकर उनसे काम करवाया जाता है।

 


Question 4 :

 निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में, कुंईयों पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा?

 

Answer :

चूंकि, हम जानते हैं कि राजस्थान हमारे देश का ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा पानी की कमी रहती है। गांवो में यहां के लोग पानी के कुंईयों और बावड़ियों पर निर्भर रहते हैं। कुंईयों का निर्माण ग्राम समाज की सार्वजनिक भूमि पर किया जाता है। ग्राम समाज का मानना होता है कि कुंईयों में पानी बारिश में हुई वर्षा से निर्धारित की जाती है, तो नयी और निजी कुंईयों के निर्माण का मतलब है कि, बारिश के पानी की नमी का बंटवारा। जिससे जल के स्तर में गिरावट आएगी। इसलिए निजी होने के बावजूद, सार्वजनिक क्षेत्र में बने कुंईयों पर ग्राम समाज का नियंत्रण होता है। अगर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो लोग घर - घर में कई कुंईयां बना देंगे और हर किसी को पानी नहीं मिलेगा। ग्राम समाज नए कुंई के लिए अपनी स्वीकृति तब देता है, जब या तो कुंई  गिर कर भर जाएं और नयी कुंई की जरूरत पड़ जा ये।

 


Question 5 :

कुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें-पालरपानी, पातालपानी, रजानोपानी।

 

Answer :

राजस्थान में पानी के स्वरूप को तीन रूप में बांटा गया है:

१. पालर पानी - पालर पानी को पानी का ऐसा रूप माना जाता है जिसमें बरसात के दिनो में हुए बारिश का जल सीधे तौर पर बहकर नदी और तालाब आदि में इकट्ठा हो जाता है।

२. पाताल पानी - बारिश के दिनों में, वर्षा का पानी जिसे जमीन अपने अंदर सोख लेती है वही पानी नीचे जाकर ‘ भूजल ‘ बन जाता है। और ट्यूबवेल आदि के माध्यम से हमे प्राप्त होता है।

३. रेजानी पानी - रेजानी पानी का मतलब होता है, जो पानी बारिश के दिनो में रेत के नीचे जाता तो है, लेकिन खड़िया मिट्टी की परत होने के कारण भूजल से मिल नहीं पाता है और नमी के रूप में रेत में मिल जाता है, जोकि नमी के रूप में कुंई के द्वारा प्राप्त किया जाता है।


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