NCERT Solutions Class 11 Hindi Chapter 35 Aao Milke Bachaye

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Aao Milke Bachaye

Question 1 :

माटी का रंग प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया है?

 

Answer :

कवयित्री ने ‘माटी के रंग’ शब्दों का प्रयोग अपनी अस्मिता को बचाए और अपनी मूल पहचान को बनाए रखने के लिए किया गया है। इस कविता में कवयित्री क्षेत्रीय संथालों के लोक जीवन की महत्ता को बताती है। वे उनकी स्वाभाविक सम्वेदनाओं को (सादगी, मासूमियत, प्रकृति के प्रति लगाव), शहरीकरण के आवरण से दूर रखने की ओर इशारा करती हैं। जिस प्रकार शहरी संस्कृति ने अनेक संस्कृतियों की कब्रों के ऊपर, अपनी इमारत खड़ी की है। वे नहीं चाहती हैं, कि जो वर्तमान में संस्कृति शेष है, वो भी कब्र में बंद न हो।


Question 2 :

भाषा में झारखंडीपन से क्या अभिप्राय है?

 

Answer :

कवयित्री का भाषा में झारखंडीपन से अभिप्राय उन आदिवासी समूह की मातृभाषा से हैं। प्रत्येक आदिवासी समूह की अस्मिता और पहचान का मूल स्रोत, उसकी भाषा होती है। इसी प्रकार संथालियों की भाषा संथाल है। इस भाषा में झारखंड की पहचान झलकती है। उनकी भाषा से यह पता लगता है, कि वे झारखंड के रहने वाले हैं। कवयित्री भाषा के इसी स्थानीय प्रयोग और स्वाभाविक विशेषताओं को नष्ट होने से बचाना चाहती है।


Question 3 :

दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?

 

Answer :

सच्चाई और ईमानदारी के लिए दिल की मासूमियत आवश्यक होती है, लेकिन हर वक्त मासूमियत ठीक नहीं होती है। कवयित्री भोलेपन के साथ अक्खड़पन और जुझारूपन की आवश्यकता से अभिप्राय, अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता, और अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठाने से है।

 


Question 4 :

 प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती है?

 

Answer :

इस कविता में आदिवासी समाज में व्याप्त जड़ता, काम से अरुचि, बाहरी संस्कृति और शहरीकरण का अंधानुकरण, शराबखोरी, अकर्मण्यता, अशिक्षा, अपनी भाषा से अलगाव, परम्पराओं से विद्वेष की भावना आदि बुराइयों का जिक्र मिलता है।

 


Question 5 :

इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है- से क्या आशय है?

 

Answer :

कविता के अनुसार कवयित्री आज के युग की विकासलीला के परिणामस्वरूप, समाज में फैली अस्त व्यस्तता की ओर संकेत करती हैं। वे कहती हैं, कि आज के युग में मानवीय मूल्यों का हनन और प्राकृतिक संपदाएं नष्ट हो रही हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ ऐसा है, जिसकी रक्षा करके उसे सुरक्षित किया जा सकता है। अगर व्यक्ति आदिवासियों संस्कृतियों के विकास के नाम पर नष्ट करने के बजाए, उसे संजोए तो चीजें सुधार सकती हैं। कवयित्री को आशा है, कि सब ठीक हो सकता है।

 


Question 6 :

निम्नलिखित पंक्तियों के काव्यसौन्दर्य को उद्घाटित कीजिए-

(1) ठंडी होती दिनचर्या में

जीवन की गर्माहट

(2) थोड़ा-सा विश्वा

थोड़ी- सी उम्मी

थोड़े-से सपन

आओ, मिलकर बचाएँ।

 

Answer :

(1)  (क) इन पंक्तियों में कवयित्री आदिवासी जीवन में व्याप्त विस्थापन की समस्याओं को रेखांकित करतीं हैं।

इन पंक्तियों का काव्यसौन्दर्य कुछ इस है; इन पंक्तियों में लक्षणा शब्दशक्ति का प्रयोग किया गया है। इसमें दिनचर्या तत्सम शब्द है। ये पंक्तियां खड़ी बोली हिंदी में लिखी गई हैं। इसमें बिम्बात्मकता और प्रतीकात्मकता व्याप्त है। इन पंक्तियों में प्रसाद गुण है।

(2) उपर्युक्त पंक्तियों कवयित्री अपने मन में व्याप्त आशा और विश्वास को पाठक के साथ साझा किया है। इस दौर की स्थितियों में परिवर्तन अवश्य आएगा, इस बात पर वे अडिग हैं। इन पंक्तियों का काव्यसौन्दर्य कुछ इस प्रकार है; इन पंक्तियों में ‘थोड़ा-सा, थोड़ी-सी, थोड़े-से’ शब्दों का प्रयोग अंतर स्पष्ट करने के लिए किया गया है, इन तीनों शब्दों का अर्थ एक ही है। ये पंक्तियां छंदमुक्त हैं, इसमें तत्सम, तद्भव और उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। इन पंक्तियों में अभिधा और लाक्षणिक शब्दशक्ति का प्रयोग किया गया है। ये पंक्तियां खड़ी बोली हिंदी में लिखी गई है।

 


Question 7 :

 बस्तियों को शहर की किस आबो-हवा से बचाने की आवश्यकता है?

 

Answer :

कविता में कवयित्री बस्तियों को शहर की आबों हवा से बचाने की बात करती है,  उनके यह कहने का अर्थ है, कि जिस शहरी परिवेश को ग्रामीण जीवन के लिए आदर्श समझ जाता है। वह न केवल संस्कृतियों के घातक है, बल्कि मानवीय पतन की अध्यक्षता कर रहा है। वे शहर में पर्यावरण व्यवहार से परेशान हैं, एकांकी जीवन, अलगाव, और व्यस्तता आदि समस्याओं से बस्तियों को बचाना चाहती हैं।

 


Question 8 :

आप अपने शहर या बस्ती की किन चीजों को बचाना चाहेंगे?

 

Answer :

मैं अपने शहर में वास्तविकता मूल्यों, प्रकृति और सामाजिक विशेषताओं की रक्षा करना चाहूंगी। जैसे पास वाला बगीचा और दूसरी तरफ झरना, जो साल भर से थोड़ा थोड़ा ही सही पर बहता रहता है। 


Question 9 :

आदिवासी समाज की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करें।

 

Answer :

समाज के अनुसार कहा जाए, आदिवासी समाज एक निम्नतर का समाज है। जिन्हें लोग मनुष्य की उपाधि तक देने से संकोच किया जाता है। आदिवासी समाज बहुत समय से ही हाशिए का समाज बना हुआ है। आज के समय में इस समाज को कानूनी रूप से, तो समाज में स्थान मिल गया है। किन्तु आज भी लोग उन्हें स्वीकार नहीं करते हैं। उनके विकास के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं, और अनेक ऐसी सुविधाएं की जा रही हैं। जिससे वे समाज के हाशिए के समाज न रहे। इन सब कार्यों से कही न कही उन्हें समाज में स्थान, तो मिल रहा है, किन्तु वे कहीं न कहीं अपनी सांस्कृतिक और परम्पराओं की अस्मिता से दूर होते जा रहे हैं।

 


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