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कृष्ण ने नंद बाबा की दुहाई देकर दाँव क्यों दिया?
कृष्ण अपने पिता नंद से कहते हैं कि अब से वह खेल में सभी को बराबर खेलने का मौका देंगे और वह सभी को परास्त करेंगे। कृष्ण ने नंद बाबा की दुहाई देकर दाँव इसलिए दिया क्योंकि वह चाहते थे कि सभी लोग उन पर विश्वास करें।
कृष्ण के अधरों की तुलना सेज से क्यों की गई है?
कृष्ण के अधरों की तुलना सेज से इसलिए की गई है क्योंकि कृष्ण के अधर और सेज की कोमलता बिल्कुल एक जैसी है। जिस प्रकार सेज पर मनुष्य निद्रा करता है ठीक उसी प्रकार कृष्ण के अधरों का काम बांसुरी की निद्रा है।
‘खेलने में को कोको गुसैयाँ’ पद में कृष्ण और सुदामा के बीच किस बात पर तकरार हुई?
‘खेलने में को कोको गुसैयाँ’ पद में कृष्ण और सुदामा के बीच हार-जीत की बात पर तकरार हुई। सुदामा खेलते समय हमेशा जीत जाते हैं जबकि कृष्ण हारने की वजह से रूठ कर चले जाते हैं। कृष्ण की यह हरकत देखकर सभी दोस्त कृष्ण से गुस्सा हो जाते हैं।
खेल में रूठने वाले साथी के साथ सब क्यों नहीं खेलना चाहते?
खेलते व्यक्त जो साथी रूठ जाता हैं उससे अन्य साथी भी परेशान होते हैं क्योंकि एक खेल में सभी बच्चों की भागीदारी समान रूप से होती है। जो हार्ट हैं उनको दूसरों को खेलने देना पड़ता है परन्तु जो बच्चे अपने हारने पर क्रोधित हो जाते है और अन्य बच्चों को खेलने के लिए मौका नहीं देते हैं, उनके साथ कोई खेलना पसंद नहीं करता है। सभी बच्चे साथ मिलकर खेलना चाहते हैं और रूठने वाले बच्चों से दूर रहना पसंद करते हैं।
खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने उन्हें डाँटते हुए क्या-क्या तर्क दिए?
खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने उन्हें डाँटते हुए निम्नलिखित तर्क दिए-
कृष्ण के साथियों ने उनसे कहा कि खेल में हारने पर गुस्सा होना बुरी बात है।
हम सभी एक समान हैं। खेल में कोई भी किसी से छोटा नहीं है।
आपका हम पर क्रोधित होना सही नहीं है क्योंकि हम आपके मित्र हैं ना कि आपके माता पिता।
हम आपके साथ नहीं खेलेंगे यदि आप ऐसे ही रूष्ट होते रहे।
इस पद से बाल-मनोविज्ञान पर क्या प्रकाश पड़ता है?
इन पदों में बाल-मनोविज्ञान को बहुत अच्छे से बताया गया है। इन पदों में बताया गया है कि बच्चे समझदार होते हैं तथा उन्हें सही गलत का ज्ञान होता है। उन्हें ये भी पता होता है कि कौन छोटा है और कौन बड़ा। उन्हें इस बात का ज्ञान है की खेल में सभी बराबर होते हैं। अतः कृष्ण अपने पिता के नाम पर मनमानी नहीं कर सकते हैं। वे निर्णय लेने में भी निपुर्ण हैं। वे कृष्ण को चेतावनी देते हुए कहते हैं कि यदि कृष्ण ने यह बेईमानी करना बन्द नहीं किया तो कोई भी साथी उनके साथ खेलना पसंद नहीं करेगा।
‘गिरिधर नार नवावति? से सखी जा क्या आशय है?
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से गोपियाँ कृष्ण पर व्यंग्य करती है। इन पंक्तियों का मतलब है कि कृष्ण जब बांसुरी बजातें हैं तो अपनी गर्दन झुका लेते हैं मानो जैसे प्रेम में खो गए हो इसलिए गोपियों को उनकी बांसुरी अपनी सौत जैसे प्रतीत होती है। गोपियाँ कृष्ण की बांसुरी को कोई कन्या समझती हैं और उसपे गुस्सा करती हैं। वह कृष्ण पर व्यंग्य करते हुए कहती हैं कि कृष्ण को अपनी बांसुरी को अपने होठों से स्पर्श नहीं कराना चाहिए क्योंकि यह बात गोपियों को पसंद नहीं है।
पठित पाठ के आधार पर सूरदास के काव्य की विशेषताएँ बताइए।
पठित पाठ के आधार पर सूरदास के काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
सूरदास के पदों में वात्सल्य रस की बहुता है।
सूरदास के पदों में कृष्ण के बाल्य काल की बहुत सी लीलाएं हैं।
सूरदास के पदों में बाल मनोविज्ञान भी है तथा इसमें बच्चों के स्वभाव के बारे में भी बताया गया है।
सूरदास के पदों में स्त्रियों का भी उल्लेख है।
सूरदास के पदों में श्रृंगार रस की भी प्रधानता है।
सूरदास ने अपने पदों में उत्प्रेक्षा, उपमा तथा अनुप्रास अलंकार का भी प्रयोग किया है।
सूरदास के पदों की भाषा ब्रज है और उनमें गेयता गुण भी है।
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