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जसदेव ने मानो के हाथ का खाना क्यों नहीं खाया?
मानो और जसदेव के धर्म और जाति दोनों ही अलग थे| जसदेव ब्राह्मण था और समाज की कुरीतियां सब पर हावी थी। इसलिए जसदेव भी खाना खाने में हिचक रहा था और उसने बहाना बना दिया कि उसे भूख नहीं है| अंत में उसका असली चेहरा दिख जाता है।
जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन कैसा बीता?
जसदेव की पिटाई के बाद भट्टी पर शाम होने के बाद सन्नाटा पसरा रहता था। दिन में भी शांति का ही माहौल बना रहता था। सभी को डर लगा रहता था की वह आकर फिर से किसी को मार न दे। सूबे सिंह की ज्यातियों को वे सिर्फ इसीलिए सहन कर रहे थे| क्योंकि वे काम छोड़ कर अपना जीवन निर्वाह नही कर पाते।
मानो अभी तक भट्टे की ज़िन्दगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी?
मानो शहरी जीवन की आदि थी। सुकिया की ख़राब हालत के कारण मानो को भी गाँव में आकर रहना पड़ता है। मानो ने कभी जंगलों का सामना नहीं किया था। शाम होते ही जानवरों की आवाज़े और अंधेरा उनकी परेशानियों को और बढ़ा देता है। कहानी में कई बार मानो ने पक्की ईंटो से घर बनाने का ज़िक्र किया है| जिससे यह ज़ाहिर होता है ,की वह अभी भी इस ज़िन्दगी में तालमेल नहीं बैठा पाई है।
असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह क्यों बिफर पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था?
सूबे सिंह अहंकारी,अल्हड और स्त्रियों की इज्जत न करने वाला व्यक्ति था। असगर के साथ जसदेव को आता देख वह इसलिए बिफर पड़ा क्योंकि सूबे सिंह ने मानो को अपने दफ्तर में बुलाया था ,लेकिन उसकी जगह जसदेव आया इससे उसके स्वाभिमान को ठेस पहुँची। स्त्रियों को अपने पाँव की जूती समझने वाला मानो को न पाकर आग बबूला हो गया और उसने अपना सारा गुस्सा जसदेव पर निकाल दिया।
ईटों को जोड़कर बनाए चूल्हे में जलती लकड़ियों की चीट – पिट जैसे मन में पसरी दुश्चिन्तओ और तकलीफों की प्रतिध्वनियाँ थी जहाँ सब कुछ अनिश्चित था। ‘ -यह वाक्य मानव की किस मनोस्थिति को उजागर करता है ?
यह कथन उसकी दुखभरी जिंदगी की कहानी बयान करती है। वह एक जगह से दूसरी जगह जाने से बहुत तंग आ गई थी। वह अपने जीवन के बारे में ही सोचती रहती थी, अक्सर वह अपने भविष्य के बारे में सोचती थी। उसे हर तरफ निराशा ही निराशा दिखती थी। उसका लक्ष्य था पक्की ईंटों से घर बनाना, परन्तु सारे ईंटो को टूटता देख उनका सपना भी टूट गया।
मानो को क्यों लग रहा था कि किसी ने उसकी पक्की ईंटों के मकान को ही धराशाई कर दिया है?
मानो जब से भट्टे पर काम करने आई थी तब से उसका सपना था कि वह पक्की ईंटों का घर बनाए। इसके लिए वह सुकिया से कहती है कि हम दिन रात मेहनत करेंगे। लेकिन सूबे सिंह उनके ऊपर बहुत जुल्म करने लगा था जो बर्दाश्त होने लायक नहीं था। वह मानो को अपने ऑफिस में बुलाता है जो सुकिया को सहन नहीं होता और वह भट्टे का जीवन छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाते हैं।
‘चल! यह लोग म्हारा घर ना बनन्ने देंगे।‘
सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।
मानो और सुखिया दोनों का लक्ष्य ईटों का घर बनाना था लेकिन कोई भी उसका घर बनते नहीं देखना चाहता है। पहले सूबे सिंह उस पर अत्याचार करता है और उसके सपनों को तोड़ देता है। समाज में अक्सर मजदूरों को अमीर लोगों का शिकार होना पड़ता है। उसके बाद जसदेव उसकी ईटों को तोड़ देता है। जो उसे पूरी तरह तोड़ देता है। सुकिया अब मानो को रोते हुए नहीं देखना चाहता था इसलिए उसने कहा ‘चल यह लोग म्हारा घर ना बनने देंगे। और वे वहां से चले जाते हैं।
‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
खानाबदोश कहानी में कहानीकार ने निम्नलिखित वर्तमान समस्याओं को दर्शाया है :-
इस कहानी में मजदूरों की स्त्रियों की समस्या के बारे में बताया गया है। पूंजीपति किस प्रकार मजदूर की स्त्रियों को पैसे पर खरीदना चाहते हैं।
यहाँ मजदूरों की स्थितियों का भी वर्णन किया गया है जैसे गरीबी, लाचारी,भुखमरी इत्यादि।
बेरोजगारी के कारण मजदूरों को खानाबदोश बनने पर मजबूर होना पड़ता है।
सुखिया ने जिन समस्याओं के कारण गाँव छोड़ा वही समस्या शहर में भट्टे पर उसे झेलनी पड़ी - मूलतः वह समस्या क्या थी?
सुखिया ने जिन समस्याओं के कारण गाँव छोड़ा वह इस प्रकार है :-
स्त्रियों का सम्मान न करना,उनका शोषण करना।
मजदूरों को इज्जत न देना, मुंशी का फरमान अदा करना।
गाँव में जानवरों का डर उसे डराया करता ।
‘ स्किल इंडिया’ जैसा कार्यक्रम होता तो क्या तब भी सुखिया और मानो को खानाबदोश जीवन व्यतीत करना पड़ता?
‘स्किल इंडिया’ जैसे कार्यक्रम होने से सुकिया और मानो का जीवन बहुत उत्तम होता| वह मेहनती इंसान है उनमें कई क्षमताएँ और प्रतिभाएँ है। वे ऐसा जीवन नहीं जीते जिनमें उनकी इज्जत न हो, सम्मान न हो।वे इस चीज के मोहताज नहीं होते कि मानो का शोषण और सुखिया के साथ भेदभाव हो।
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