If you are looking for the right study materials, then NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 is the one. Chapter 23 lights upon some of the important pieces of literature, along with, of course, learning about some important concepts. These solutions are expertly crafted so that a student can grow a deeper understanding of the themes and lessons conveyed through this chapter. Availability of Class 11 Hindi Aroh Chapter 23 PDF offers convenience to the readers who can access such materials on the go. At Orchid International School, the focus lies upon quality learning where students are assisted at every step. In this regard even the solutions happen to be of the most comprehensive nature related to NCERT. Whether you are struggling with tough questions or trying to complete a revision, then it will be prepared in a manner that will assist to accomplish success. Get into the depth of the rich content in Galta Loha to make the most of your study session.
The NCERT Solutions Class 11 Hindi Chapter 23 Galta Loha are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
Download PDF
Students can access the NCERT Solutions Class 11 Hindi Chapter 23 Galta Loha. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
उसकी आँखों में एक सर्जक की चमक थी- कहानी का यह वाक्य-
क) किसके लिए कहा गया है?
यह वाक्य मोहन के लिए कहा गया है|
किस प्रसंग में कहा गया है?
जब मोहन धनराम की भट्टी में बैठता है और घुमावदार आकृति में लोहे की एक मोटी छड बनाता है, तब उसकी आंखों में किसी सृजक की चमक दिखाई पड़ती है|
यह पात्र-विशेष के किन चारित्रिक पहलुओं को उजागर करता है?
यह मोहन की विशेषता को उजागर करता है कि वह जाति को व्यवसाय से नहीं जोड़ता है और अपने मित्र की मदद करके उदारता भी दिखाता है|
कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है|
मास्टर त्रिलोक सिंह ने तेरह का पहाड़ा पूछा तो धनराम तेरह का पहाड़ा नहीं सुना सका तो मास्टर त्रिलोक सिंह ने जबान के चाबुक लगाते हुए कहा कि ‘तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें?’ यह सच है कि किताबों की विद्या का ताप लगाने की सामथ्र्य धनराम के पिता की नहीं थी। उन्होंने बचपन में ही अपने पुत्र को धौंकनी फूंकने और सान लगाने के कामों में लगा दिया था। वे उसे धीरे-धीरे हथौड़े से लेकर घन चलाने की विद्या सिखाने लगे। उपर्युक्त प्रसंग में किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है|
धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था?
धन राम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझता था क्योंकि बचपन से ही धन राम को यह बताया गया है कि वह नीची जाति का है | मोहन कक्षा में सबसे होशियार था जिस कारण उसे कक्षा का मॉनिटर बना दिया गया था मास्टर जी भी कहते थे कि मोहन एक दिन बड़ा आदमी बनेगा जिससे उनका और इस विद्यालय का नाम रोशन करेगा |
धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों?
मोहन ब्राहमण जाति का था और उस गाँव में ब्राह्मणों को कारीगरों के यहाँ उठते-बैठते नहीं थे। यहाँ तक कि उन्हें बैठने के लिए कहना भी अपमानजनक माना जाता था। मोहन धनराम की दुकान पर काम खत्म होने के बाद भी काफी देर तक बैठा रहा। इस बात पर धनराम को हैरानी हुई। उसे अधिक हैरानी तब हुई जब मोहन ने उसके हाथ से हथौड़ा लेकर लोहे पर नपी-तुली चोटें मारी और धौंकनी फूंकते हुए भट्ठी में लोहे को गरम किया और ठोक-पीटकर उसे गोल रूप दे दिया।
मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय क्यों कहा है?
मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय इसलिए कहा क्योंकि यहां आकर उसका जीवन सामान्य पथ पर चलने लगा था| बड़ा अफसर बनने का उसका सपना अब आकाश हो गया था सुबह से शाम तक नौकरों की बात एक काम करता था उसके अंदर काम मेधावी छात्र कब यहां हर किसी का नौकर बन गया उसे पता भी नहीं चला| नए वातावरण और काम के बोझ के कारण उसकी सारी प्रतिमा कुंठित हो गई उसके द्वारा देखी गई उज्जवल भविष्य की कल्पना नष्ट हो गई|
मास्टर त्रिलोक सिंह के किस कथन को लेखक ने ज़बान के चाबुक कहा है और क्यों ?
जब धनराम तेरह का पहाड़ा नहीं सुना सका तो मास्टर त्रिलोक सिंह ने व्यंग्य करते हुए कहा तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें?’ लेखक ने इन व्यंग्य शब्दों को ज़बान के ‘चाबुक’ कहा है। चमड़े की चाबुक शरीर पर चोट करती है, परंतु ज़बान की चाबुक मन पर चोट करती है। यह चोट कभी ठीक नहीं होती। इस चोट के कारण धनराम आगे नहीं पढ़ पाया और वह पढ़ाई छोड़कर अपने पिता के काम में लग गया|
1 ) बिरादरी का यही सहारा होता है।
क) किसने किससे कहा?
ख) किस प्रसंग में कहा?
ग) किस आशय से कहा?
(घ) क्या कहानी में यह आशय स्पष्ट हुआ है?
क) यह कथन मोहन के पिता वंशीधर ने रमेश नामक युवक से कहा।
ख) पंडित वंशीधर अपने बेटे की आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित में थे| इस बात पर रमेश ने सहानुभूति व्यक्त किया और वंशीधर के बेटे को अपने साथ लखनऊ ले जाने की बात कहीं|
ग) यह कथन पंडित वंशीधर ने अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए तथा उनके इस वाक्य का आशय था कि बिरादरी के लोगों को वक्त आने पर एक दूसरे की मदद करनी चाहिए |
(घ) कहानी में यह आशय स्पष्ट नहीं हुआ। इसका कारण यह है कि जिस आशा से पंडित वंशीधर ने अपने बेटे को अपने बिरादरी के युवक रमेश के साथ लखनऊ भेजा वह पूरा नहीं हुआ | वंशीधर ने अपने बेटे की आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ भेजा था परंतु रमेश ने लखनऊ में बंशीधर के बेटे को अपने घर का नौकर बना दिया|
गाँव और शहर, दोनों जगहों पर चलनेवाले मोहन के जीवन-संघर्ष में क्या फ़र्क है? चर्चा करें और लिखें।
गांव और शहर दोनों में मोहन का जीवन संघर्ष भरा रहा| गांव में उसे गरीबी, पुनर्जीवन और प्राकृतिक बाधाओं से जूझना पड़ता है | इसी प्रकार शहर में वह पूरे दिन नौकरों की तरह काम करता है | उसका दाखिला एक साधारण स्कूल में करवा दिया जाता है ,उसे पढ़ने का मौका भी नहीं दिया जाता पूरा दिन उसको एक नौकरों की बातें काम में लगाया जाता है|
एक अध्यापक के रूप में त्रिलोक सिंह का व्यक्तित्व आपको कैसा लगता है? अपनी समझ में उनकी खूबियों और खामियों पर विचार करें।
एक शिक्षक के रूप में त्रिलोक सिंह का व्यक्तित्व अच्छा कहा जाएगा| वह एक पारंपरिक शिक्षक है जो बिना किसी की मदद के स्कूल को चलाने और बनाए रखने में सक्षम है| एक अच्छे शिक्षक की तरह बच्चों को पढ़ाना और जरूरत पड़ने पर बच्चों को अनुशासित करते हुए उन्हें सजा भी दी जाती है इसके बाद भी उन्हें एक पूर्ण शिक्षक नहीं कहा जा सकता है क्योंकि एक बच्चे से लगाव उसकी जाति के आधार पर निर्भर करता है उनके मन में जातिगत भेदभाव की भावना थी इसलिए वे मोहन जैसे उच्च कुलीन बच्चे से अधिक स्नेह करते हैं थे और धनराम जैसी निचली जाति के बच्चे से “ दिमाग में लोहा भरा है” जैसे कटु शब्द कहते थे | उनकी यह बातें एक शिक्षक को शोभा नहीं देती है|
गलता लोहा कहानी का अंत एक खास तरीके से होता है। क्या इस कहानी का कोई अन्य अंत हो सकता है? चर्चा करें।
कहानी का अंत यह स्पष्ट नहीं करता है कि मोहन ने केवल सृजन के आनंद का अनुभव किया या अपने कृषि व्यवसाय में वापस आ गया धनराम का पेशा अपना लिया | इस कहानी का अंत इस प्रकार हो सकता है कि यह परिस्थितियां देखने के बाद मास्टर त्रिलोक सिंह सभी को बताते कि यदि माता-पिता और शिक्षक के होते हुए भी बच्चे भटकें तो दोस्त उन तीनों का है | शिक्षकों को अपने सभी शिष्यों को समान दृष्टि से देखना चाहिए|
पाठ में निम्नलिखित शब्द लौहकर्म से संबंधित हैं। किसको क्या प्रयोजन है? शब्द के सामने लिखिए –
1. धौंकनी-यह आग को सुलगाने व धधकाने के काम में आती है।
2. दराँती-यह खेत में घास या फसल काटने का काम करती है।
3. सँड़सी-यह ठोस वस्तु को पकड़ने का काम करती है तथा कैंची की तरह है।
4. आफर-भट्ठी या लुहार की दुकान।
5. हथौड़ा-ठोस वस्तु पर चोट करने का औज़ार। जो लोहे को कूटने पीटने से काम आता है|
पाठ में काट-छाँटकर जैसे कई संयुक्त क्रिया शब्दों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए और अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए|
1. उलट – पलटकर : मेरे पीछे किसी ने आकर सब कुछ उलट-पुलटकर रख दिया था|
2. सोच-समझकर: पिताजी ने मुझे सोच समझकर ही बाजार भेजा था|
3. पढ़ा-लिखाकर : रीना की मां उसे पढ़ा लिखाकर अफसर बनाना चाहती है|
4.उठा-पटक: बच्चों की उठा पटक देखकर माताजी की तबीयत बिगड़ जाती है|
5. घूम- फिरकर : मैंने घूम फिर कर शिविर के चारों तरफ देखा|
बूते का प्रयोग पाठ में तीन स्थानों पर हुआ है उन्हें छाँटकर लिखिए और जिन संदर्भो में उनका प्रयोग है, उन संदर्भो में उन्हें स्पष्ट कीजिए।
क) बूढ़े वंशीधर के बूते का अब यह सब काम नहीं रहा।
ख) दान-दक्षिणा के बूते पर वे किसी तरह परिवार का आधा पेट भर पाते थे।
ग)सीधी चढ़ाई चढ़ना पुरोहित के बूते की बात नहीं थी|
क) लेखक स्पष्ट करना चाहते हैं कि वृद्धावस्था के कारण अब वंशीधर से खेती का काम नहीं होता|
ख) यह लेखक वंशीधर की दयनीय दशा का वर्णन करता है, साथ ही पुरोहिती के व्यवसाय की निरर्थकता को भी बताता है।
ग) वंशीधर वृद्ध हो गया, जिसके कारण वह पुजारी के रूप में काम करने में सक्षम नहीं था|
इन वाक्यों में आप सर्वनाम का इस्तेमाल करते हुए उन्हें दुबारा लिखिए।
1) मोहन! थोड़ा दही तो ला दे बाजार से।
2) मोहन! ये कपड़े धोबी को दे तो आ।
3) मोहन! एक किलो आलू तो ला दे।
1) आप थोड़ा दही तो ला दो बाज़ार से|
2) तुम ये कपड़े धोबी को दे तो आ|
3) आप एक किलो आलू तो ला दो|
Admissions Open for 2025-26