NCERT Solutions Class 11 Hindi Antara Chapter 13 Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Asu Ujle

Orchids International School provides rich resources for students related to the Class 11 Hindi curriculum. Among all, the solutions provided by NCERT are one of the most essential materials that are needed. The Class 11 Hindi Antara chapter 13 shows creative insight into the poetry of this chapter titled "Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Asu Ujle." These question-answer pairs are much in need about deep topics and will be provided in PDF format to ensure easy accessibility. This resource would effectively capacitate students to understand and, in turn, analyze the text accordingly in a manner that no essence of poetic expressions and themes is left misunderstood. Presumably, through each of these solutions, it would be taken into cognizance with regard to the unfolding of comprehension and knowledge of the students, as far as Hindi learning at Orchids International School is concerned.

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Students can access the NCERT Solutions Class 11 Hindi Antara Chapter 13 Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Asu Ujle. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.

Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Asu Ujle

Question 1 :

‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री मानव को किन विपरीत स्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है?

 

Answer :

‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री का मानव को उत्साहित करने का तथ्य यह है कि वह विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़े और उन्होंने इसे निम्नलिखित तरीके से प्रस्तुत किया है,

1.कवयित्री कह रही है कि हिमालय के हृदय में कम्पन है। यह भूकंप पैदा कर सकता है लेकिन आपको आगे बढ़ते रहना है। इस कंपन से डरना नहीं है

2.जब प्रलय की स्थिति आती है तो ऐसी स्थिती में व्यक्ति घबरा जाता है। ऐसे में घबराना नहीं है आगे बढ़ते रहना है।

3.अगर चारों तरफ घना अंधेरा छाया है। कुछ दिख नहीं रहा है तब भी आपको आगे बढ़ते रहना है।

 


Question 2 :

‘ मोम के बन्धन’ और ‘तितलियों’ के पर का प्रयोग कवयित्री ने इस संदर्भ में क्या कहा  है और क्यों?

 

Answer :

कवयित्री ने कविता से यह पद ‘मोम के बन्धन’ का संदर्भ युवती के कोमल बाहु से किया है। जिसकी सुंदर पकड़ में आकर व्यक्ति रुक जाता है, अतः लेखिका का कहने का यह तात्पर्य है कि क्या तू उस मोम के बंधन से आजाद हो पाएगा। ये मोम के बन्धन तुझे रोक सकते हैं और तेरे विकास में बाधा बन सकते हैं। इसलिए तू इस बंधन से आजाद हो। ‘तितलियों के पर’ से कवयित्री का यह तथ्य है कि यह युवती के युवाओं का आकर्षण है और तुझे उस आकर्षण से भी आजाद होना है।

 


Question 3 :

‘ जाग तुझको दूर जाना’ स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है। इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना को लिखिए।

 

Answer :

 महादेवी वर्मा ने एक ऐसी कविता की रचना की जिसका तात्पर्य देश के लोगों को स्वतंत्रता के प्रति जागरूक बनाना था। देश गुलामी के जंजीरों में जकड़ा था। लोग स्वतंत्रता चाहते थे। लेकिन उस लड़ाई में सीधे तौर पर लड़ने से डरते थे। वे इसमें भाग लेने से डरते थे इसके पीछे का मुख्य कारण यह था कि वह स्वार्थी और आलसी थे। उनके अंदर देशभक्ति की भावना जगाने के लिए जागरण गीतों की रचना की गई| महादेवी ने एक ऐसे ही गीत की रचना की जो गीत सोए हुए भारतीयों को  जगाता है। महादेवी ने भारतीयों को जागरूक करने के लिए उन्हें  कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार किया। उन्हें हर तरीके के बंधन से मुक्त होना है और बस बढ़ते रहना है तभी उन्हें स्वतंत्रता प्राप्त होगी।

 


Question 4 :

कविता में ‘अमरता-सुत’ का संबोधन किसके लिए और क्यों आया है?

 

Answer :

 संत इस कविता में ‘अमरता- सुत’ का संबोधन मनुष्य के आत्मा के लिए है। कवयित्री के अनुसार आत्मा अमर है। जो व्यक्ति अपने जीवन के मर सूद पर चलता है। उसकी आत्मा कभी नष्ट नहीं होती। आत्मा न जल सकती है,  न ही कभी डूब सकती है। वे ईश्वर का अंश होती है तथा हमेशा अमर रहती है।

 


Question 5 :

कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

 

Answer :

उत्तर: महादेवी वर्मा ने इस कविता में स्वतंत्रता के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का वर्णन किया है और भारतीयों के भीतर इन कठिनाइयों से निपटने के लिए गुणों का विस्तार करने की मांग की है।

वह मनुष्य को दृढ़ इच्छा से चलने के लिए प्रेरित करती है। इस तरह मनुष्य दृढ़ संकल्पित हो जाता है वह अपने आलस्य को दूर करने के लिए प्रेरित होता है। कवयित्री इसमें कड़ी मेहनत की गुणवत्ता को विकसित करती है। वह उसे विषम परिस्थिति में निडर होकर बढ़ने के लिए कहती है। इस तरह वह उसमें निडरता का गुण समाहित करती है, साथ ही वह उसे अपने लगाव को छोड़ने के लिए कहती है। इस तरह वह भावुकता के स्थान पर देश भक्ति का बीज बोती है। वह उसकी जागरूकता की गुणवत्ता को शामिल करती है, वे कहती हैं कि इस लड़ाई में हमें सतर्क रहना होगा। वे दिल से मौत के डर को दूर करना चाहती है और जीवन के सही उद्देश्य को प्रकट करती है।

 


Question 6 :

महादेवी वर्मा ने ‘आंसू’ के लिए ‘उजले’ विशेषण का प्रयोग के संदर्भ में किया है और क्यों?

 

Answer :

‘आँसू’ मनुष्य की पवित्रता के प्रतीक होते हैं। बहते आंसुओं में कोई छल नहीं होता। यह शुद्ध भावना और शुद्ध आत्मा में लगी ठोस के कारण छलकते हैं। इन आंसुओं का कोई न कोई आधार होता है। वह निराधार नहीं होते।

 


Question 7 :

सपनों को सत्य रूप में डालने के लिए कवयित्री ने किस यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने को कहा है?

 

Answer :

सपनों को सत्य करने के लिए कवयित्री ने इन यथार्थपूर्ण स्थितियों को सामना करने के लिए कहा है।

क. दीपक के समान जलने को कहा है।

ख. फूल के समान खिलने को कहा है।

ग. कठोर स्वभाव के अंदर भी करुणा की भावना को रखना।

घ. जीवन में सत्य की झलक को दिखाना।

ड़. हर व्यक्ति के अंदर व्याप्त सच्चाई को जानना।

 


Question 8 :

महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं को पढ़िए और महादेवी वर्मा की पुस्तक ‘पथ के साथी’ से सुभद्रा कुमारी चौहान का संस्मरण पढ़िए तथा उनके मैत्री संबंधों पर निबंध लिखें।

 

Answer :

 महादेवी वर्मा ने पहली बार सुभद्राकुमारी चौहान से क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में मुलाकात की। सुभद्रा कुमारी चौहान महादेवी वर्मा से बड़ी थी, परन्तु दोनों में बहनों का सा प्यार था। उस समय सुभद्रा ने कविता लिखना शुरू किया और महादेवी उनके साथ तुक मिलाती थी। सुभद्रा कुमारी को खड़ी बोली में लिखता देख महादेवी वर्मा को भी उसी भाषा में लिखने की प्रेरणा प्राप्त हुई। इससे पहले महादेवी वर्मा अपनी माँ से प्रभावित होकर ब्रज भाषा में लिखती थी। महादेवी ने सुभद्रा जी के साथ दुख मिलाएं और जो कविता बनाती उन्हें ‘स्त्री-दर्पण’ में भेजना आरंभ किया। ये स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि सुभद्राकुमारी महादेवी की कविता की पहली साथी थी। उन्होंने ही महादेवी को रास्ता दिखाया।  दोनों जीवन भर के लिए एक दूसरे के साथ रही और यह दो महिलाओं की दोस्ती ने तो स्वतन्त्रता संग्राम में अपनी कविताओं के माध्यम से सरकार को भी हिला दिया था।

 


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