NCERT Solution for Class 10 Hindi Sparsh 5 includes detailed analysis of the poems in this chapter added by Viren Dangwal. Students can use this as a platform to understand themes, literary devices, and the socio-political scenario in which he wrote. Class 10 Hindi Sparsh 5 PDF is also an awesome source for students to revise the chapter and its solutions at their convenience.
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विरासत में मिली चीजों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल इसलिए होती है क्योंकि वे हमारे पूर्वजों व बीते समय की होती है। इनसे हमारा भावनात्मक संबंध होता है। इसलिए इन्हें अमूल्य माना जाता है। ये तात्कालिक परिस्थितियों की जानकारी के साथ दिशानिर्देश भी देती हैं। इसलिए इन्हें सँभाल कर रखा जाता है ताकि हमारे बच्चों के भविष्य-निर्माण का आधार मजबूत बन सके।
इस कविता से आपको तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
इस कविता में तोप के विषय में जानकारी मिलती है कि यह अंग्रेज़ों के समय की तोप है। 1855 में उसका प्रयोग शक्तिशाली हथियार के रुप में किया गया था। अनगिनत शूरवीरों को मार गिराया गया था क्योंकि इसका प्रयोग अंग्रेज़ों द्वारा हुआ था। आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। अब इससे कोई नहीं डरता। अब यह केवल खिलौना मात्र है। चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है?
कंपनी बाग में रखी तोप यह शिक्षा देती है कि अत्याचारी शक्ति चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, पर उसका अंत अवश्य होता है। मानव विरोध के सामने उसे हार माननी पड़ती है।किस प्रकार अंग्रेज़ों ने अत्याचार किए पर अंत में भारत को छोड़ना ही पड़ा। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है। तोप की तरह चुप होना ही पड़ता है।
कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है। ये दो अवसर कौन-से होंगे?
यह तोप हमारी विजय और आज़ादी के प्रतीक के रूप में एक महत्त्व की वस्तु बन गई है। भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक चिह्न दो बड़े त्योहार 15 अगस्त और 26 जनवरी गणतंत्र दिवस है। इन दोनों अवसरों पर तोप को चमकाकर कंपनी बाग को सजाया जाता है। इससे शहीद वीरों की याद दिलाई जाती है ताकि लोगों के मन में राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा मिले।
अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप।
इन पंक्तियों का आशय है कि अब यह तोप केवल खिलौना मात्र है। चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद।
कवि ने तोप की दयनीय दशा का चित्रण करते हुए कहा है कि आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
उड़ा दिए थे मैंने।
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे
इन पंक्तियों का आशय है कि तोप का प्रयोग शक्तिशाली हथियार के रुप में किया गया था। अनगिनत शूरवीरों को मार गिराया गया था क्योंकि इसका प्रयोग अंग्रेज़ों द्वारा हुआ था।आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। अब इससे कोई नहीं डरता। अब यह केवल खिलौना मात्र है। चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं।अत्याचारी शक्ति चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, पर उसका अंत अवश्य होता है।
कवि ने इस कविता में शब्दों का सटीक और बेहतरीन प्रयोग किया है। इसकी एक पंक्ति देखिए ‘धर रखी गई है यह 1855 की तोप’। ‘धर’ शब्द देशज है और कवि ने इसका कई अर्थों में प्रयोग किया है।’ रखना’, ‘धरोहर’ और ‘संचय’ के रूप में।
अन्य उदाहारण
1) खरा सोना मजबूत होता है।
2) वह मेरी कसौटी पर खरा उतरा।
‘तोप’ शीर्षक कविता का भाव समझते हुए इसका गद्य में रूपांतरण कीजिए।
कभी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत ने उसका स्वागत ही किया था, लेकिन करते-कराते वह हमारी शासक बन बैठी। उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार कीं। 1855 में उसका प्रयोग शक्तिशाली हथियार के रुप में किया गया था। उन तोपों ने इस देश को फिर से आजाद कराने का सपना साकार करने निकले जाँबाजो को मौत के घाट उतारा। पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उस सत्ता को उखाड फेंका। तोप को निस्तेज कर दिया। आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। अब इससे कोई नहीं डरता। अब यह केवल खिलौना मात्र है। चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
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