Chapter 27 of the NCERT Hindi textbook for Class 10, titled "Swayamprakash," is a reflective piece that explores themes of self-reliance and inner strength. The story emphasizes the importance of developing one's own capabilities and the idea that true success and enlightenment come from within. "Swayamprakash," which translates to "self-illumination," encourages individuals to trust their inner wisdom and strength rather than relying solely on external guidance or support. It highlights that self-confidence and determination are key to overcoming challenges and achieving personal growth.
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सेनानी न होतेहुए भी चश्मेवालेको लोग कै प्टन क्ोोंकहतेथे?
चश्मेवाला कभी सेनानी नही ोंरहा परन्तुचश्मेवाला एक देशभक्त नागररक था। उसके हृदय मेंदेश के वीर जवानोोंके प्रतत सम्मान था। वह अपनी ओर सेएक चश्मा नेताजी की मूततिपर अवश्य लगाता था उसकी इसी भावना को देखकर लोग उसेकै प्टन कहतेथे।
हालदार साहब नेड्र ाइवर को पहलेचौराहेपर गाड़ी रोकनेके तलए मना तकया था लेतकन बाद मेंतुरोंत रोकनेको कहा -हालदार साहब पहलेमायूस क्ोोंहो गए थे?
हालदार साहब इसतलए मायूस हो गए तक कै प्टन अब मर चुके हैंऔर उसके समान अब देश प्रेमी कोई बचा न था। नेताजी जैसेदेशभक्त केतलए उसके मन मेंसम्मान की भावना थी। उसके मर जानेके बाद हालदार साहब को लगा तक अब समाज मेंतकसी के भी मन मेंनेताजी या देशभक्तोोंके प्रतत सम्मान की भावना नही ोंहै।
हालदार साहब नेड्र ाइवर को पहलेचौराहेपर गाड़ी रोकनेके तलए मना तकया था लेतकन बाद मेंतुरोंत रोकनेको कहा -मूततिपर सरकों ड्ेका चश्मा क्ा उम्मीद जगाता है?
मूततिपर लगेसरकों ड्ेका चश्मा इस बात का प्रतीक हैतक आज भी देश की आनेवाली पीढी के मन मेंदेशभक्तोोंकेतलए सम्मान की भावना है। भलेही उनके पास साधन न हो परन्तुतिर भी सच्चेहृदय सेबना वह सरकों ड्ेका चश्मा भी भावनात्मक दृति सेमूल्यवान है। अतः उम्मीद हैतक बच्चेगरीबी और साधनोोंके तबना भी देश केतलए कायिकरतेरहेंगे।
हालदार साहब नेड्र ाइवर को पहलेचौराहेपर गाड़ी रोकनेके तलए मना तकया था लेतकन बाद मेंतुरोंत रोकनेको कहा -हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्ोोंहो उठे?
उतचत साधन न होतेहुए भी तकसी बच्चेनेअपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकों ड्ेका चश्मा पहनाया। यह बात उनके मन मेंआशा जगाती हैतक आज भी देश मेंदेश-भक्तक्त जीतवत है भलेही बड़ेलोगोोंके मन मेंदेशभक्तक्त का अभाव हो परन्तुवही देशभक्तक्त सरकों ड्ेके चश्मेके माध्यम सेएक बच्चेके मन मेंदेखकर हालदार साहब भावुक हो गए।
“बार-बार सोचते, क्ा होगा उस कौम का जो अपनेदेश की खाततर घर-गृहस्थी-जवानी-त ोंदगी सब कु छ होम देनेवालोोंपर भी हँसती हैऔर अपनेतलएतबकनेके मौके ढूँढती है।”
देशभक्तोोंनेदेश को आ ादी तदलानेकेतलए अपना सविस्व देश के प्रतत समतपित कर तदया। आज जो हम स्वत्रोंत देश मेंआ ादी की साँस लेरहेहैयह उन्ी ोंके कारण सोंभव हो पाया है, उन्ी ों के कारण आ ाद हुआ है। परन्तुयतद तकसी के मन मेंऐसेदेशभक्तोोंकेतलए सम्मान की भावना नही ोंहै, वेउनकी देशभक्तक्त पर हँसतेहैंतो यह बड़ेही दु:ख की बात है। ऐसेलोग तसर्फि अपनेबारे मेंसोचतेहैं, वेके वल स्वाथी होतेहैं। लेखक ऐसेलोगोोंपर अपना गुस्सा व्यक्त तकया है।
पानवालेका एक रेखातचत्र प्रस्तुत कीतजए।
पानवाला पूरी की पूरी पान की दुकान है, सड़क के चौराहेकेतकनारेउसकी पान की दुकान है। वह काला तथा मोटा है, उसकी तोोंद भी तनकली हुई है, उसकेतसर पर तगने-चुनेबाल ही बचेहैं। वह एक तरर्फ ग्राहक केतलए पान बना रहा है, वही ोंदू सरी ओर उसका मुँह पान सेभरा है। पान खानेके कारण उसके होोंठ लाल तथा कही ों-कही ोंकालेपड़ गए हैं। स्वभाव सेवह मजातकया है। वह बातेंबनानेमेंमातहर है।
“वो लँगड़ा क्ा जाएगा र्फौज में। पागल हैपागल!”
कै प्टन के प्रतत पानवालेकी इस तटप्पणी पर अपनी प्रतततिया तलक्तखए।
पानवालेनेकै प्टन को लँगड़ा तथा पागल कहा है। जो तक अतत गैर तजम्मेदाराना और दुभािग्यपूणिवक्तव्य है। कै प्टन मेंएक सच्चेदेशभक्त के वेसभी गुण मौजूद हैंजो तक पानवालेमेंया समाज के अन्य तकसी वगिमेंनही ोंहै। वह भलेही लँगड़ा हैपर उसमेंइतनी शक्तक्त हैतक वह कभी भी नेताजी को बगैर चश्मेके नही ोंरहनेदेता है। अत: कै प्टन पानवालेसेअतधक सतिय, तववेकशील तथा देशभक्त है।
तनम्नतलक्तखत वाक् पात्रोोंकी कौन-सी तवशेषता की ओर सोंके त करतेहैं– हालदार साहब हमेशा चौराहेपर रुकतेऔर नेताजी को तनहारते।
यहाँपर हमेंहालदार साहब की तनम्न तवशेषताओोंके बारेमेंपता चलता है– नेताजी के रो बदलतेचश्मेको देखनेके तलए वेउत्सुक रहतेथे।
नेताजी को पहनाए गए चश्मेके माध्यम सेवेकै प्टन की देशभक्तक्त देखकर खुश होतेथेक्ोोंतक वे स्वयों देशभक्त थे।
कै प्टन के प्रतत उनके मन मेंश्रद्धा थी।
तनम्नतलक्तखत वाक् पात्रोोंकी कौन-सी तवशेषता की ओर सोंके त करतेहैं– पानवाला उदास हो गया। उसनेपीछेमुड़कर मुँह का पान नीचेथूका और तसर झुकाकर अपनी धोती केतसरेसेआँखेंपोोंछता हुआ बोला – साहब ! कै प्टनमर गया।
यहाँपर हमेंपानवालेकी तनम्न तवशेषताओोंके बारेमेंपता चलता है– पानवाला भावुक तथा सोंवेदनशील था। कै प्टन के मर जानेसेवह दु:खी था।
कै प्टन के तलए उसके मन मेंस्नेह था। भलेही कै प्टन के जीते-जी उसनेउसका मजाक उड़ाया था। कही ोंन कही ोंवह भी कै प्टन की देशभक्तक्त पर मुग्ध था। कै प्टन याद आनेपर उसकी आँखोोंसेआँसू बहनेलगे।
तनम्नतलक्तखत वाक् पात्रोोंकी कौन-सी तवशेषता की ओर सोंके त करतेहैं– कै प्टन बार-बार मूततिपर चश्मा लगा देता था।
यहाँपर हमेंकै प्टन की तनम्न तवशेषताओोंके बारेमेंपता चलता है–
वह देशभक्त था। नेताजी केतलए उसके मन मेंसम्मान की भावना थी। इसतलए नेताजी को बगैर चश्मेके देखना उसेअच्छा नही ोंलगता था।
आतथिक तवपन्नता के कारण वह नेताजी को स्थाई रुप सेचश्मा नही ोंपहना पाता था। इसतलए वह अपनी ओर सेकोई न कोई चश्मा उनकी आँखोोंपर लगा ही देता था।
जब तक हालदार साहब नेकै प्टन को साक्षात ्देखा नही ोंथा तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा तचत्र रहा होगा, अपनी कल्पना सेतलक्तखए।
जब तक हालदार साहब नेकै प्टन को नही ोंदेखा था तब तक वो उसेएक िौ ी की तरह मजबूत और बलशाली समझतेथे। उन्ोोंनेसोचा होगा तक वह एक िौजी की तरह अपनेजीवन को अनुशातसत ढोंग सेजीता होगा। उन्ेंलगता था िौ मेंहोनेके कारण लोग उन्ेंकै प्टन कहतेहैं।
कस्ोों, शहरोों, महानगरोोंके चौराहोोंपर तकसी न तकसी क्षेत्र के प्रतसद्ध व्यक्तक्त की मूततिलगाने का प्रचलन-सा हो गया है-इस तरह की मूततिलगानेके क्ा उद्देश्य हो सकतेहैं?
हम अपनेआस-पास के चौराहोोंपर महान व्यक्तक्तयोोंकी मूततिदेखतेहैं। इस प्रकार की मूतति लगानेके कई कारण हो सकतेहैं। जैसे- लोगोोंको प्रेरणा देनेकेतलए, उन्ेंतथा उनके कायों को याद करनेकेतलए, उन महान व्यक्तक्तयोोंके त्याग तथा बतलदान को अमर रखनेके उद्देश्य से, उनके गुणोोंको याद करके समाज केतलए कायिकरनेके तलए प्रेररत करनेके उद्देश्य सेतथा ऐसेलोगोोंका सम्मान करनेके उद्देश्य से।
कस्ोों, शहरोों, महानगरोोंके चौराहोोंपर तकसी न तकसी क्षेत्र के प्रतसद्ध व्यक्तक्त की मूततिलगाने का प्रचलन-सा हो गया है-आप अपनेइलाके के चौराहेपर तकस व्यक्तक्त की मूततिस्थातपत करवाना चाहेंगेऔर क्ोों?
हम अपनेइलाके के चौराहेपर महात्मा गाँधी तथा वैज्ञातनकोोंकी मूततिस्थातपत करवाना चाहेंगे। क्ोोंतक एक ओर जहाँमहात्माजी नेहमारेदेश को आ ाद करवानेमेंमुख्य भूतमका तनभाई। उन्ोोंनेतहोंसा को त्याग कर अतहोंसा के पथ को प्रधानता दी।तो दू सरी ओर देश के वैज्ञातनकोों नेदेश को प्रगतत के पथ पर आगेबढानेकेतलए नए-नए आतवष्कारोोंके द्वारा देश को नई तदशा प्रदान की है।
कस्ोों, शहरोों, महानगरोोंके चौराहोोंपर तकसी न तकसी क्षेत्र के प्रतसद्ध व्यक्तक्त की मूततिलगाने का प्रचलन-सा हो गया है-उस मूततिके प्रतत आपके एवों दू सरेलोगोोंकेक्ा उत्तरदातयत्व होने चातहए?
मूततिके प्रतत हमारेतथा समाज के कु छ उत्तरदातयत्व हैंतजन्ेंहमेंहर सोंभव प्रयास द्वारा पूरे करनेचातहए। हमेंमूततिका सम्मान करना चातहए क्ोोंतक येमूततिसाधारण नही ोंबक्ति तकसी सम्माननीय व्यक्तक्त का प्रतीक है। हमेंयह ध्यान रखना चातहए तक तकसी भी प्रकार सेमूततिका अपमान न हो, हमारा यह उत्तरदातयत्व होना चातहए तक हम मूततिकी गररमा का ध्यान रखें।
सीमा पर तैनात र्फौजी ही देश-प्रेम का पररचय नही ोंदेते। हम सभी अपनेदैतनक कायो मेंतकसी न तकसी रूप मेंदेश-प्रेम प्रकट करतेहैं; जैसे-साविजतनक सोंपतत्त को नुकसान न पहुँचाना, पयािवरण सोंरक्षण आतद। अपनेजीवन-जगत सेजुड़ेऐसेऔर कायों का उल्लेख कीतजए और उन पर अमलभी कीतजए।
हम भी देश के प्रतत अपनेकत्तिव्योोंको पूरा कर के अपनी देशभक्तक्त का पररचय देसकतेहैं; जैसे– प्राकृ ततक सोंसधानोोंका उतचत उपयोग करना, समाज के कमजोर तथा रुरतमोंद लोगोोंकी मदद करना, सरकार की जनकल्याण योजनोओोंको सहयोग करना, समाज मेंहो रहेअन्याय का तवरोध करना तथा देश को प्रगतत के पथ पर लेजानेके तलए तन-मन-धन सेसहयोग करना।
तनम्नतलक्तखत पोंक्तक्तयोोंमेंस्थानीय बोली का प्रभाव स्पि तदखाई देता है, आप इन पोंक्तक्तयोोंको मानक तहोंदी मेंतलक्तखए – कोई तगराक आ गया समझो। उसको चौड़ेचौखट चातहए। तो कै प्टन तकदर सेलाएगा ? तो उसको मूततिवाला देतदया। उदर दू सरा तबठा तदया।
मानक तहोंदी मेंरुपाोंतररत –
अगर कोई ग्राहक आ गया और उसेचौड़ेचौखट चातहए, तो कै प्टन कहाँसेलाएगा ? तो उसे मूततिवाला चौखट देदेता हैऔर उसकी जगह दू सरा लगा देता है।
‘भई खूब! क्ा आइतड्या है।’ इस वाक् को ध्यान मेंरखतेहुए बताइए तक एक भाषा मेंदू सरी भाषा के शब्ोोंके आनेसेक्ा लाभ होतेहैं?
साधारण बोलचाल की भाषा पर कई भाषाओोंका प्रभाव रहता है। इस प्रकार के शब्ोोंका उच्चारण इसतलए तकया जाता हैतक बहुत प्रचतलत शब् अक्सर लोगोोंको जल्दी समझ मेंआ जाते हैं। एक भाषा मेंदू सरी भाषा के शब्ोोंके आनेसेउस भाषा की भावातभव्यक्तक्त की क्षमता मेंवृक्तद्ध होती हैइस प्रकार के शब्ोोंके प्रयोग सेवाक् अतधक प्रभावशाली हो जातेहैं, दू सरी भाषा के कु छ शब्ोोंकी जानकारी भी तमलती है। भाषा का भण्डार बढता है। भाषा का स्वरुप अतधक आकषिक हो जाता हैसाथ ही भाषा मेंप्रवाहमयता आ जाती है।
नीचेतलखेवाक्ोोंको भाववाच्च मेंबदतलए –
जैसै-अब चलतेहै। अब चला जाए।
चलो, अब सोतेहैं।
चलो, अब सोया जाए।
नीचेतलखेवाक्ोोंको भाववाच्च मेंबदतलए –
जैसै-अब चलतेहै। अब चला जाए।
माँरो भी नही सकती।
माँसेरोया नही ोंजाता।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंसेतनपात छाँतटए और उनसेनए वाक् बनाइए –
तकसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देनेका तनणिय तकया गया होगा।
ही – उन्ेंभी आज ही आना है।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंको कमिवाच्य मेंबदतलए –
हालदार साहब नेचश्मेवालेकी देशभक्तक्त का सम्मान तकया।
हालदार साहब द्वारा चश्मेवालेकी देशभक्तक्त का सम्मान तकया गया।
नीचेतलखेवाक्ोोंको भाववाच्च मेंबदतलए –
जैसै-अब चलतेहै। अब चला जाए।
मैंदेख नही ोंसकती।
मुझसेदेखा नही ोंजाता।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंसेतनपात छाँतटए और उनसेनए वाक् बनाइए –
यानी चश्मा तो था लेतकन सोंगमरमर का नही ोंथा।
तो – मेरेपास गहनेथेतो सही लेतकन मैंनेपहनेनही ों।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंसेतनपात छाँतटए और उनसेनए वाक् बनाइए –
नगरपातलका थी तो कु छ न कु छ करती भी रहती थी।
तो – माँनेतुम्हेंजो काम करनेको तदया था, वह कर तो तदया।
भी – आपके साथ यह भी चलेगा।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंसेतनपात छाँतटए और उनसेनए वाक् बनाइए –
हालदार साहब अब भी नही ोंसमझ पाए।
भी – तुम अभी भी नही ोंसमझ रहेहो।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंसेतनपात छाँतटए और उनसेनए वाक् बनाइए –
दो साल तक हालदार साहब अपनेकाम केतसलतसलेमेंउस कस्ेसेगुजरतेरहे।
तक – उसनेमेरेकमरेकी ओर झाँका तक नही ों।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंको कमिवाच्य मेंबदतलए –
वह अपनी छोटी-सी दुकान मेंउपलब्ध तगने-चुनेफ्रे मोोंमेंसेनेताजी की मूततिपर तिट कर देता है।
उसके द्वारा अपनी छोटी-सी दू कान मेंउपलब्ध तगने-चुनेफ्रे मोोंमेंसेएक नेताजी की मूततिपर तिट कर तदया जाता है।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंको कमिवाच्य मेंबदतलए –
पानवाला नया पान खा रहा था।
पानवालेद्वारा नया पान खाया जा रहा था।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंको कमिवाच्य मेंबदतलए
पानवालेनेसाि बता तदया था।
पानवालेद्वारा सार्फ बता तदया गया था।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंको कमिवाच्य मेंबदतलए –
ड्र ाइवर नेजोर सेब्रेक मारे ।
ड्र ाईवर द्वारा जोर सेब्रेक मारेगए।
तनम्नतलक्तखत वाक्ोोंको कमिवाच्य मेंबदतलए –
नेताजी नेदेश केतलए अपना सब कु छ त्याग तदया।
नेताजी द्वारा देश के तलए सब कु छ त्याग तदया गया।
तलखेवाक्ोोंको भाववाच्च मेंबदतलए –
जैसै-अब चलतेहै। अब चला जाए।
माँबैठ नही सकती।
माँसेबैठा नही ोंजाता।
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