NCERT solutions for Chapter 3 Topi Shukla, from Class 10 Hindi Sanchayan , projects the life of a maverick character whose experiences and peculiarities disrupt the socially done things in society. The chapter is an incisive analysis of the social expectations in society with the aid of Topi Shukla's peculiar personality and his equations with people. This pitted individual kinks against societal norms, wherein is entered a reflective, socio human, behavioral commentary on social structures. The Class 10 Hindi Sanchayan 3 PDF would, as such, prove to be an integral ingredient toward a detailed explication of the themes and character analysis of the chapter aimed at a deeper appreciation for the latent social critique.
Students can access the NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 20 : Topi Shukla. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग मजहब के होते हुए भी एक दूसरे से प्रेमरूपी अटूट बंधन में बंधे हुए थे। टोपी की दोस्ती पहले-पहल इफ़्फ़न के साथ ही हुई थी। इफ़्फ़न के बिना टोपी शुक्ला की कहानी को समझा भी नहीं जा सकता है। अत: इस तरह इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?
इफ़्फ़न की दादी जमींदारों के परिवार से आई थी इसलिए वहाँ पर किसी भी चीज की कोई कमी न थी परन्तु उनका विवाह मौलवी के साथ कर देने के कारण उन्हें पाबंदी में रहना पड़ता था। उन्हें पीहर का घी दूध, कच्ची हवेली और वहाँ की स्वतंत्रता याद आती रहती थी इसलिए इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर जाना चाहती थीं।
इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?
इफ़्फ़न की दादी का परिवार मौलवी का होने के कारण वहाँ गाने बजाने की मनाही थी इसलिए इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी नहीं कर पाई।
“अम्मी” शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
अम्मी शब्द सुनते ही टोपी के घरवाले सकते की स्थिति में आ गए। उन्हें लगने लगा कि जैसे उनकी परम्परा और संस्कृति की दीवारें डोलने लगीं हो। उन्हें लगा उनका बेटा की बुरी संगति में फँस गया है। टोपी के सच बताए जाने पर घर में उसकी खूब पिटाई भी हुई।
दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?
दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में एक विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि उस दिन टोपी के मित्र इफ़्फ़न के पिता का तबादला हो गया था, उसका मित्र उसे छोड़कर मुरादाबाद चला गया था और इसी दिन उसने कसम खाई थी कि वह तबादला होने वाले मित्र के साथ दोस्ती नहीं करेगा। इसी दिन से टोपी अकेला भी हो गया था और बाद में वह किसी से दोस्ती भी नहीं कर पाया।
टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
टोपी की दादी का स्वभाव सख्त और अनुशासन प्रिय था। वे हमेशा टोपी को डाँटती और फटकारती रहती थी उसके विपरीत इफ़्फ़न की दादी असीम प्यार से भरी थी। वे कभी बच्चों को डाँटती नहीं थी उसे बड़े प्यार से अपने पास बैठकर बातें करती थी इसलिए टोपी ने दादी के इसी स्नेहपूर्ण स्वभाव के कारण इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही।
पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष स्नेह क्यों था?
पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष स्नेह इसलिए था क्योंकि पूरे घर में कभी-न-कभी उसे कोई डाँट देता ही था परन्तु उसकी दादी उसे कभी डाँटती नहीं थी। वे उसे अच्छी कहानियाँ सुनाया करती थीं।
इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
एक पूरे घर में इफ़्फ़न की दादी ही थी जिससे टोपी प्रेम के अटूट बंधन से जुड़ा था वे हमेशा उसे अपने पास बैठाकर उससे बातें करती थी। अब उनके चले जाने के बाद उसे कोई भी दादी की तरह प्यार से बोलनेवाला उस घर में बचा न था इसलिए इफ़्फ़न की दादी के देहान्त के बाद टोपी को उसका घर खाली सा लगा।
टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
टोपी हिंदू धर्म का था और इफ़्फ़न की दादी मुस्लिम। परन्तु जब भी टोपी इफ़्फ़न के घर जाता दादी के पास ही बैठता। उनकी मीठी पूरबी बोली उसे बहुत अच्छी लगती थी। दादी पहले अम्मा का हाल चाल पूछतीं। दादी उसे रोज़ कुछ न कुछ खाने को देती परन्तु टोपी खाता नहीं था। अत: दोनों का रिश्ता जाति और धर्म से परे प्यार के धागे से बँधा था यहाँ पर लेखक ने यह समझाने का प्रयास किया है कि जब रिश्ते प्रेम से बँधे होते है तो तब धर्म, मजहब सभी बेमानी हो जाते हैं।
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए – ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे?
ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के निम्न कारण थे –
1. जब भी वह पढ़ने बैठता मुन्नी बाबू को कोई न कोई काम निकल आता या रामदुलारी कोई ऐसी चीज़ मँगवाती जो नौकर से नहीं मँगवाई जा सकती। जिससे उसे पढ़ने के लिए समय ही नहीं मिल पाता था। इस तरह वह फेल हो गया।
2. दूसरे साल उसे मियादी (टाइफाइड) बुखार हो गया था और पेपर नहीं दे पाया इसलिए फ़ेल हो गया था।
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए –
एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को कई भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा जैसे वह अध्यापकों की हँसी का पात्र होता क्योंकि कमजोर लड़कों के रूप में अध्यापक उसका ही उदाहारण देते थे। फेल होने के कारण उसके कोई नए मित्र भी नहीं बन पाए। मास्टर उसकी किसी भी बात पर ध्यान ही नहीं देते थे वह किसी से शर्म के मारे खुलकर बातें नहीं कर पाता था।
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए –
टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए?
बच्चे फ़ेल होने पर भावनात्मक रूप से आहत होते हैं और मानसिक रूप से परेशान रहने लगते हैं। वे शर्म महसूस करते हैं। इसके लिए विद्यार्थी के पुस्तकीय ज्ञान को ही न परखा जाए बल्कि उसके अनुभव व अन्य कार्य कुशलता को भी देखकर उसे प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है। ऐसे बच्चों के लिए वैकल्पिक शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। शिक्षकों को इस तरह के बच्चों को समझने के लिए उचित मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए तथा परिवार वालों को उसकी भरपूर मदद करनी चाहिए न कि उसे कमजोर कहकर उसपर व्यंग कसने चाहिए।
इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
कस्टोडियन अर्थात् सरकारी कब्जा होना। दादी के पीहर वाले विभाजन के समय पाकिस्तान में रहने लगे तो भारत में उनके घर की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहा। इससे घर पर उनका मालिकाना हक भी न रहा। इसलिए वह घर सरकारी कब्जे में चला गया।
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