NCERT Solution for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 31: Yatindra Mishra

NCERT Solution for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 31: Yatindra Mishra gives a deep insight into the life and works of the great poet and litterateur, Yatindra Mishra. This describes his literary contribution in detail—how his poetry is the pseudo-expression of the socio-cultural scenario prevailing in his time. Class 10 Hindi Kshitij 15 PDF comprises very minute details and explanations and, therefore, are quite important for the student to make an in-depth understanding of Mishra's style and the themes of his writings.

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Yatindra Mishra

Question 1 :

आशय स्पष्ट कीजिए –
‘फटा सुर न बख्शें। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।

Answer :

यहाँ बिस्मिल्ला खाँ ने सुर तथा कपड़े (धन-दौलत) से तुलना करते हुए सुर को अधिक मूल्यवान बताया है। क्योंकि कपड़ा यदि एक बार फट जाए तो दुबारा सिल देने से ठीक हो सकता है। परन्तु किसी का फटा हुआ सुर कभी ठीक नहीं हो सकता है। और उनकी पहचान सुरों से ही थी इसलिए वह यह प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उन्हें अच्छा कपड़ा अर्थात् धन-दौलत दें या न दें लेकिन अच्छा सुर अवश्य दें।


Question 2 :

शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?

Answer :

मशहूर शहनाई वादक “बिस्मिल्ला खाँ” का जन्म डुमराँव गाँव में ही हुआ था। इसके अलावा शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है, जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है। रीड, नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यत: सोन नदी के किनारे पाई जाती है। इसी कारण शहनाई की दुनिया में डुमराँव का महत्त्व है।


Question 3 :

 बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?

Answer :

 शहनाई ऐसा वाद्य है जिसे मांगलिक अवसरों पर ही बजाया जाता है बिस्मिल्ला खाँ शहनाई बजाते थे और शहनाई वादक के रुप में उनका स्थान सर्वश्रेष्ठ है। 15 अगस्त, 26जनवरी, शादी अथवा मंदिर जैसे मांगलिक स्थलों में शहनाई बजाकर शहनाई के क्षेत्र में इन्होंने प्रसिद्धी प्राप्त की है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान रखते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा गया है।


Question 4 :

सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?

Answer :

सुषिर-वाद्य का अभिप्राय है – सुराख़ वाले वाद्य जिन्हें फूँक मारकर बजाया जाता है शहनाई अन्य सभी सुषिर वाद्यों में श्रेष्ठ है। इसलिए उसे ‘शाहे-नय’ अर्थात् ऐसे सुषिर वाद्यों का’शाह’ कहा जाता है।


Question 5 :

पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि –
वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे

Answer :

बिस्मिल्ला खाँ एक सच्चे इंसान थे। वे धर्मों से अधिक मानवता, आपसी प्रेम तथा भाईचारे को महत्त्व देते थे। वे हिंदु तथा मुस्लिम धर्म दोनों का ही सम्मान करते थे। भारत रत्न से सम्मानित होने पर भी उनमें लेश मात्र भी घमंड नहीं था। वे भेदभाव और बनावटीपन से दूर रहते थे। दौलत से अधिक सुर उनके लिए ज़रुरी था।


Question 6 :

आशय स्पष्ट कीजिए –
‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।’

Answer :

बिस्मिल्ला खाँ पाँचों वक्त नमाज़ के बाद खुदा से सच्चा सुर पाने की प्रार्थना करते थे। वे खुदा से कहते थे कि उन्हें इतना प्रभावशाली सच्चा सुर दें और उनके सुरों में दिल को छूने वाली ताकत बख्शे उनके शहनाई के स्वर आत्मा तक प्रवेश करें और उसे सुनने वालों की आँखों से सच्चे मोती की तरह आँसू निकल जाए। यही उनके सुर की कामयाबी होगी।


Question 7 :

काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?

Answer :

काशी की अनेकों परम्पराएँ धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है पहले काशी खानपान की चीज़ों के लिए विख्यात हुआ करता था। परन्तु अब वह बात नहीं रह गई है। कुलसुम की छन्न करती संगीतात्मक कचौड़ी और देशी घी की जलेबी आज नहीं रही है। संगीत, साहित्य और अदब की परंपरा में भी धीरे-धीरे कमी आ गई है। अब पहले जैसा प्यार और भाईचारा हिन्दूओं और मुसलमानों के बीच देखने को नहीं मिलता। गायक कलाकारों के मन में भी संगत करने वाले कलाकारों के प्रति बहुत अधिक सम्मान नहीं बचा है। काशी की इन सभी लुप्त होती परंपराओं के कारण बिस्मिल्ला खाँ दु:खी थे।


Question 8 :

पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि –
बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

Answer :

उनका धर्म मुस्लिम था। वे अपने मजहब के प्रति समर्पित थे। पाँचों वक्त की नमाज़ अदा करते थे। मुहर्रम के महीने में आठवी तारीख के दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते थे व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते थे।
इसी तरह इनकी श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी और बालाजी मंदिर के प्रति भी थी। वे जब भी काशी से बाहर रहते थे। तब विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते थे और उसी ओर शहनाई बजाते थे। वे अक्सर कहा करते थे कि काशी छोड़कर कहाँ जाए, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ। मरते दम तक न यह शहनाई छूटेगी न काशी। इसलिए हम कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खाँ मिली जुली संस्कृति के प्रतीक थे।


Question 9 :

बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?

Answer :

 बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में कुछ ऐसे व्यक्ति और कुछ ऐसी घटनाएँ थीं जिन्होंने उनकी संगीत साधना को प्रेरित किया।
(1) बालाजी मंदिर तक जाने का रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता था। इस रास्ते से कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा की आवाज़ें आती थी। इन्हीं गायिका बहिनों को सुनकर उनके मन में संगीत की ललक जागी।
(2) बिस्मिल्ला खाँ जब सिर्फ़ चार साल के थे तब छुपकर अपने नाना को शहनाई बजाते हुए सुनते थे। रियाज़ के बाद जब उनके नाना उठकर चले जाते थे तब अपनी नाना वाली शहनाई ढूँढते थे और उन्हीं की तरह शहनाई बजाना चाहते थे।
(3) मामूजान अलीबख्श जब शहनाई बजाते-बजाते सम पर आ जाते तो बिस्मिल्ला खाँ धड़ से एक पत्थर ज़मीन में मारा करते थे। इस प्रकार उन्होंने संगीत में दाद देना सीखा।
(4) बिस्मिल्ला खाँ कुलसुम की कचौड़ी तलने की कला में भी संगीत का आरोह-अवरोह देखा करते थे।
(5) बचपन में वे बालाजी मंदिर पर रोज़ शहनाई बजाते थे। इससे शहनाई बजाने की उनकी कला दिन-प्रतिदिन निखरने लगी।


रचना और अभिव्यक्ति

Question 1 :

निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए –
इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद है।

Answer :

यह ऐसी बालसुलभ हँसी है जिसमें में कई यादें बंद है।


Question 2 :

निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए –
काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भूत परंपरा है।

Answer :

काशी में जो संगीत समारोह आयोजित किए जाते हैं उनकी एक प्राचीन एवं अद्भूत परंपरा है।


Question 3 :

निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए।
धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नहीं।

Answer :

धत्! पगली ई जो भारतरत्न हमको मिला है वह शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नहीं।


Question 4 :

 बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

Answer :

(1) मुस्लिम होने के बाद भी अपने धर्म के साथ-साथ वे हिन्दू धर्म को भी उतना ही सम्मान देते थे।
(2) भारत रत्ऩ की उपाधि मिलने के बाद भी वे पैबंद लगी लुंगिया पहन लेते थे इससे उनके एक सीधे-सादे, सरल तथा सच्चे इंसान की झलक मिलती है।
(3) उनमें संगीत के प्रति सच्ची लगन तथा सच्चा प्रेम था। इसलिए कुलसुम की कचौड़ी तलने की कला में भी संगीत का आरोह-अवरोह देखा करते थे।
(4) वे अपनी मातृभूमि से सच्चा प्रेम करते थे। शहनाई और काशी को कभी न छोड़ने की बात करते थे जैसे शहनाई और खाँ साहब एक दूसरे के पूरक हो।


Question 5 :

मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।

Answer :

मुहर्रम पर्व के साथ बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई का सम्बन्ध बहुत गहरा है। मुहर्रम के महीने में शिया मुसलमान शोक मनाते थे। इसलिए पूरे दस दिनों तक उनके खानदान का कोई व्यक्ति न तो मुहर्रम के दिनों में शहनाई बजाता था और न ही संगीत के किसी कार्यक्रम में भाग लेते थे। आठवीं तारीख खाँ साहब के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती थी। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते और दालमंड़ी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते हुए जाते थे। इन दिनों कोई राग-रागिनी नहीं बजाई जाती थी। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती थीं।


Question 6 :

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।
खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।

Answer :

पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा – संज्ञा उपवाक्य


Question 7 :

बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए।

Answer :

बिस्मिल्ला खाँ भारत के सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक थे। वे अपनी कला के प्रति पूर्णतया समर्पित थे। उन्होंने जीवनभर संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की इच्छा को अपने अंदर जिंदा रखा। वे अपने सुरों को कभी भी पूर्ण नहीं समझते थे इसलिए खुदा के सामने वे गिड़गिड़ाकर कहते – ”मेरे मालिक एक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।” खाँ साहब ने कभी भी धन-दौलत को पाने की इच्छा नहीं की बल्कि उन्होंने संगीत को ही सर्वश्रेष्ठ माना। वे कहते थे – ”मालिक से यही दुआ है – फटा सुर न बख्शें। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।”
इससे यह पता चलता है कि बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे।


Question 8 :

 निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।
यह जरुर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरें के लिए उपयोगी हैं।

Answer :

शहनाई और डुमराँव एक-दूसरें के लिए उपयोगी हैं – संज्ञा उपवाक्य


Question 9 :

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।
रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है।

Answer :

जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है – विशेषण उपवाक्य


Question 10 :

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।
रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।

Answer :

जो डुमराँव में मुख्यतः सों नदी के किनारों पर पाई जाती है – विशेषण उपवाक्य


Question 11 :

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।
उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।

Answer :

कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा – संज्ञा उपवाक्य


Question 12 :

निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।
हिरन अपनी महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।

Answer :

जिसकी गमक उसी में समाई है – विशेषण उपवाक्य


Question 13 :

निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए –
काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

Answer :

काशी का वह नायाब हीरा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

 


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