In Chapter 5 "Mithaiwala" of Class 7 Hindi Vasant by Bhagwati Prasad Bajpai, the narrative revolves around a father's love for his children. It takes readers on an emotional journey through the life of a sweet seller who, having lost his own children, endeavors to bring joy to other children by adapting his business according to their preferences. He transforms his trade multiple times, selling toys, flutes, and eventually, sweets. Despite his personal loss, the Mithaiwala remains dedicated to children's happiness, earning a reputation for selling items at incredibly low prices and treating children affectionately, attracting both kids and adults to his offerings.
The NCERT Solutions for Class 7 Hindi वसंत पाठ 5 - मिठाईवाला are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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रोहिणी को मुरली वाले के स्वर से खिलौने वाले का स्मरण क्यों हो आया?
रोहनी को मुरली वाले की आवाज जानी पहचानी लगी। उसे स्मरण हो आया कि खिलौने वाला भी इसी मधुर आवाज में गाकर खिलौने बेचा करता था और इसी तरह मुरली वाले की आवाज भी मधुर थी। यह भी मधुर आवाज में गाकर मुरलियाँ बेच रहा था इसलिए रोहनी को मुरली वाले के स्वर से खिलौने वाले का स्मरण हो आया।
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था क्योंकि उसके बच्चों और पत्नी की मृत्यु असमय हो गई थी। वह उन बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता था और उनकी निकटता पाना चाहता था। उसको पैसे का कोई लालच न था इसलिए वह महीनों बाद आता था और वह बच्चों की रुचि की चीजें बेचा करता था। इन चीजों को बनाने के लिए उसे समय लगता था। वह बदल बदल कर चीजें लाता था ताकि बच्चों में उत्सुकता बनी रहे।
मिठाई वाले में वह कौन से गुण थे जिसकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी और खींचे चले आते थे?
कई कारण थे जिनके कारण बच्चे तथा बड़े मिठाई वाले की ओर खिंचे चले आते थे। मिठाईवाला मधुर ढंग से गाकर अपनी चीजों की विशेषता बताता था और बेचता था। वह बच्चों से बहुत प्यार करता था उन बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता था तथा कम लाभ में बच्चों को खिलौने तथा मिठाईयां दे जाता था और हर बार नई चीज लाता था और बच्चों पर कभी गुस्सा नहीं करता था। उसके मधुर आवाज को सुनकर सभी बच्चों और बड़ों के बीच में हलचल मच जाती थी और बांसुरी मधुर आवाज में बजाता था जिस कारण बड़े भी उस की ओर खींचे चले आते थे।
विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरली वाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
एक ग्राहक के तौर पर विजय बाबू तर्क देते हैं की दुकानदार को झूठ बोलने की आदत होती है वह सभी को समान एक ही कीमत पर देते हैं पर उसका भाव अधिक बढ़ाकर कह देते हैं कि ‘मैंने सबको यह ज्यादा पैसे में दी है आपको कम पैसे में दे रहा हूँ’। यह कह कर वे ग्राहक पर एहसान का बोझ डाल देते हैं। दूसरी तरफ विक्रेता के तौर पर मुरलीवाला तर्क देता है कि चाहे दुकानदार हानी उठाकर समान क्यों ना बेचे पर ग्राहक को लगता है कि दुकानदार उसे लूट ही रहा है क्योंकि उसे समान की असली लागत का पता नहीं होता। क्योंकि मैंने यह मुरली 1000 बनवाई थी तब मुझे इस भाव पड़ी है।
खिलौने वाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
खिलौने वाले को देख कर बच्चे पुलकित हो जाते हैं। वे पैसे लाकर खिलौने का मोलभाव करने लगते हैं। गलियों और छोटे छोटे उद्यानो में खेलते हुए बच्चों का झुंड उसे घेर लेता है और वह खिलौने वाला वहीं बैठकर खिलौने की पेटी खोल देता है। खिलौने वाला बच्चों की नन्हीं- नन्हीं उंगलियों से पैसे ले लेता है और बच्चों को इच्छा अनुसार उन्हें खिलौने दे देता है। खिलौने लेकर फिर बच्चे उछलने कूदने लगते हैं। जब खिलौने वाला आता है तो किसी बच्चे की टोपी गली में गिर पड़ती है, किसी का जूता पार्क में छूट जाता है और किसी का पजामा ही ढीला होकर लटक जाता है। इस तरह दौड़ते हुए बच्चों का झुंड खिलौने वालों को घेर लेता है।
किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने बताया कि उसकी पत्नी और बच्चों की असमय मृत्यु हो गई थी। वह इन बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता है बच्चों के साथ रहकर उसे बहुत अच्छा लगता है। बच्चों के चेहरे की खुशी देखकर उसे असीम संतोष मिलता है। धैर्य और असीम सुख की प्राप्ति होती है इसलिए उसने इन व्यवसाय को अपनाया है। उसे पैसे का कोई लालच नहीं है वह बच्चों के साथ समय व्यतीत करना चाहता है और उन्हें खुश देख कर खुश होता है।
‘अब इस बार ये पैसे न लँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
पहली बार किसी ने उसके प्रति इतनी आत्मीयता दिखाई और उसके दुख को समझने का प्रयास किया और पहली बार किसी ने उसके परिवार के बारे में पूछा था और पहली बार ही उसने अपने बीवी बच्चों के बारे में किसी को बताया था और जब चुन्नू मुन्नू ने आकर मिठाई मांगी तो उसे ऐसा लगा कि मानो वह उसके खुद के बच्चों को मिठाई दे रहा है। इसलिए कहानी के अंत में मिठाई वाले ने, "अब इस बार यह पैसे ना लूंगा ' कहा।
इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
हमारी राय में यह पूर्णतया गलत है क्योंकि स्त्री पुरुष दोनों समाज के आधार हैं और दोनों को समान दर्जा मिलना चाहिए। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात संविधान ने स्त्री पुरुष को समान अधिकार दिए हैं। बड़े शहरों में कोई भी औरत ऐसे बात नहीं करती, सभी सामने से ही बात करती हैं। परंतु आज भी कुछ पिछड़े हुए ग्रामीण रूढ़ीवादी और कुछ जाति विशेष परिवारों में पर्दा प्रथा का चलन है। यह प्रथा न केवल स्त्रियों की स्वतंत्रता का हनन करती हैं बल्कि उनकी प्रगति में रुकावट उत्पन्न करती है। इस प्रकार की प्रथाएं हमारी देश की प्रगति को रोकती हैं और देश की छवि को विश्व पटल पर धूमिल करती हैं। इसलिए ये प्रथा हमारी राय में बिल्कुल उचित नहीं है।
मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
मिठाई वाले का परिवार किसी दुर्घटना का शिकार हुआ होगा। कहानी - एक गांव में एक केमिस्ट की दुकान थी। वह दवाइयां बहुत महंगी बेचता था और किसी पर दया नहीं करता था। उसका छोटा सा परिवार था जिस में उसकी पत्नी और उसका एक बेटा था। वह किसी जरूरतमंद को भी कम रेट में दवाई नहीं देता था। अगर किसी के पास पैसे नहीं होते थे तो वह कहता था पहले पैसे लेकर आओ फिर दवाई दूंगा। इस तरह उसने बहुत सारा पैसा इकट्ठा कर लिया। एक दिन उसकी पत्नी और बेटा दोनों बहुत बीमार हो गए जितना पैसा दवाई वाले ने कमाया था, सारा उनके इलाज में चला गया पर वह अपनी पत्नी और बेटे को ना बचा पाया। अब उसको बहुत पछतावा हुआ कि उसने गलत तरीके से पैसा इक्टठा किया और वह इतने वर्षों के बाद भी इस हादसे को भूल नहीं पाया उसने अपने घर को एक अनाथ आश्रम में बदल दिया और वह अनाथ बच्चों को पालने लगा अनाथ बच्चों को पालने में उसको बहुत खुशी प्राप्त होने लगी। इन बच्चों में वह अपने बेटे की खुशी ढूंढता था। इन बच्चों को खुश देखकर उसको असीम संतोष की प्राप्त होती थी।
हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन-सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
हाट मेले, शादी आदि आयोजनाओं में हमें गोलगप्पे, चाट, छोले भटूरे, मिठाइयां, फ्रूट चाट, जलेबियाँ, समोसे, गन्ने का जूस, झूले, जादूगर का खेल, रंग-बिरंगे गुब्बारे, आइसक्रीम, खिलौने, जुदाई, तमाशे आदि सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। इनको बनाने में विभिन्न लोगों का हाथ होता है जैसे मिठाई बनाने में हलवाई का हाथ होता है। झूले बनाने में श्रमिकों और कारीगरों का और उसके परिवार का हाथ होता है। उनके चेहरे के पीछे उनकी मेहनत, पसीना, पैसे कमाने की इच्छा, थकान, कारीगरी छुपी होती है।
इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढ़िए और पढ़िए।
मिठाईवाले की कहानी हमें पिता के प्रेम के बारे में बताती है। इस मिज़ाज की और कहानियां है जैसे कि 'बेस्ट पापा' और 'अच्छी सीख'।
आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
हमारी गली में मौसम के अनुसार कई फेरीवाले आते हैं जैसे सर्दियों में मूंगफली वाला आता है और गर्मियों में आइसक्रीम वाला, कुल्फी वाला, बर्फ का बर्फ के गोले वाला, गन्ने के रस वाला आता है। हर मौसम में जैसे चाट वाला, फल वाला, सब्जी वाला, खिलौने वाला, कपड़े बेचने वाला जैसे चादरें, लेडीजसूट बेचने वाला आदी आते हैं। उनसे बातचीत के दौरान मुझे यह मालूम हुआ कि यह लोग पूंजी के अभाव में घूम घूम कर कम दामों पर अपनी चीजें भेजते हैं और अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं। अगर इनके पास पूंजी होती तो यह भी बड़े दुकानदार होते।
आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाज़ों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।
पहले जमाने में स्त्रियां बाजार जा कर सामान नहीं खरीदती थी और हर जगह सभी वस्तुएं उपलब्ध नहीं होती थी। इसलिए प्रत्येक वस्तु फेरी वाला ही बेचने आया करता था। वह मधुर स्वर में गागा कर अपना समान बेचा करते थे। लेकिन आज कल फेरी वालों की संख्या में काफी कमी आ गई है लोग ब्रांडेड सामान खरीदना पसंद करते हैं और वे ज्यादातर दुकानों से ही सामान खरीदते हैं। या लोग समानऑनलाइन ही मंगवा लेते हैं।
आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।
लोगों की रूचि फेरी वालों से सामान खरीदने में कम होती जा रही है क्योंकि फेरीवाले के पास ज्यादा विकल्प नहीं होता और उसका सम्मान अच्छी किस्म का भी नहीं होता। वक्त के साथ फेरीवाला के स्वर कम हुए हैं क्योंकि अब लोग दुकानों पर जा कर सामान खरीदते हैं और दुकानों में उन्हें ज्यादा विकल्प मिलते हैं और फेरीवाले के पास सीमित विकल्प होते हैं। करोना महामारी के कारण भी अब लोग समान ऑनलाइन खरीदते हैं।
मिठाईवाला बोलनेवाली गुड़िया ऊपर वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि
(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?
(क) ‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द जैसे मिठाई शब्द संज्ञा है तथा बोलना क्रिया है।
(ख) यह शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में है। मिठाईवाला शब्द विशेषण है जबकि बोलने वाली गुड़िया में गुड़िया संज्ञा है जबकि बोलने वाला शब्द विशेषण है जो गुड़िया की विशेषता बता रहा है।
“अच्छा मुझे ज़्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”
उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ते बटुली।
ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/ बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।
झारखंड के हिंदी, बंगला तथा असमी भाषा में ठो का प्रयोग होता है ।
“वे भी, जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”
‘‘क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”
“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।”
भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते आप ये बातें कैसे कहेंगे?
"लगता है वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं ?"
क्यों भाई मुरली किस भाग भेजते हो?
3. "दादी चुन्नू मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर भाव तो कीजिए।"
फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे? यह जानने के लिए दो-दो के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवाले से बात करें।
फेरीवाले का जीवन काफी कठिन होता है। वह अपना समान बेचने के लिए सुबह से शाम तक गलियों में चक्कर लगाते रहते हैं और चाहे उनका सामान बीके या ना बीके। उनका घर निकट किसी गांव में होता है उनके जीवन में अनेक समस्याएं होती होगी जैसे समान ना बिकना, समान का खराब हो जाना या खराव हो जाना। गलियों में घूमते घूमते तबीयत खराब हो जाना। अधिक बारिश होने पर भी उनका सामान का खराब हो जाना और अधिक गर्मी पड़ने से घर से बाहर निकल पाना या घर से बाहर निकलने पर तबीयत का खराब हो जाना। कभी-कभी फेरी वालों को अपना बचा हुआ सामान जो खराब हो चुका है उनको फेंकना पड़ता होगा कभी-कभी खरीद से भी कम कीमत में भी माल बेचना पड़ता होगा जिससे इनका मूलधन डूब जाता होगा और इनको कई समस्या का सामना करना पड़ता होगा जैसेअपने बच्चों के ख्वाहिशें पूरी ना कर पाते होंगे। हो सकता है कि उनको दो समय की रोटी का इंतजाम भी ना होता होगा और उनको सोने की व्यवस्था भी शायद ना होती होगी। हो सकता है बारिश के दिनों में उनके घर की छत पर से पानी टपकता होगा क्योंकि वह बहुत गरीब होते हैं इन सब सभी समस्याओं का उनको सामना करना ही पड़ता होगा।
इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।
फेरी वाले के जीवन से हमें इस बात का पता लगता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है जैसे मिठाई वाले के बच्चे और पत्नी की मृत्यु असमय हो गई थी वह दूसरों के बच्चों को दूसरों में अपने बच्चों की झलक देखता था और उनको उनके मनपसंद का समान ला कर बेचता था जब बच्चे समान लेकर खुशी में उछल कूद करते थे तो उन्हें देखकर उसे संतोष धैर्य और सुख की अनुभूति होती थी वह उन्हीं बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता था और उनको सामान कम कीमतों में देकर अपने गम को भुलाने की कोशिश करता था इसलिए कहा भी है कि दुख बांटने से कम होता है।
अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।
मिठाई वाले का स्वर बहुत मधुर था। वह दुबले पतले शरीर वाला और उसकी आंखों का रंग भूरा था। सिर पर टोकरी रखे हुए गली गली अपना सामान बेचते हुए पैरों में चप्पल पहने हुए गली - गली, पजामा कुर्ता पहनने और कंधे पर गमछा लिए चलता होगा। उसके कंधों को फेरी का समान होता होगा और वह सिर पर पगड़ी बांधता होगा। फेरी के सम्मान में खिलौने, मिठाईयां आदि और जिसमें खट्टी मीठी स्वादिष्ट सुगंधित गोलियां होगी और वह जब मीठे स्वर में आवाज लगाते हुए गली में आता होगा तो बच्चे दौड़ कर उसे घेर लेते होंगे।
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