CBSE Class 7 Hindi Chapter 11, "Raheem ke Dohe," features the renowned poet Rahim's literary compositions. He holds a distinguished place in Hindi literature, particularly for his remarkable 'Dohe.' Rahim, an eminent poet in Indian history, lived during the era of the Mughal emperor Akbar. This chapter is included in the Class 7 Hindi Vasant textbook as it highlights some of Rahim's significant 'Dohe.'
The NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 11 – रहीम के दोहे are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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Students can access the NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 11 – रहीम के दोहे. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
पाठ में दिए गए दोहों की कुछ पंक्तियाँ कथन है और कुछ पंक्तियाँ कथन को स्पष्ट करने वाली उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
कथन वाले दोहे
(i) जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊन छाँड़ति छोह||
(ii) कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत||
उदाहरण वाले दोहे
(i) थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरूष निर्धन भए, करें पाछिली बात||
(ii) धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह||
रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है, जो पहले कभी धनी थे और अब बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजने वाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
आश्विन(क्वार) के महीने में आसमान में जो बादल रहते हैं वें जितना गरजते हैं, उतना बरसते नही है। कवि द्वारा इन पंक्तियों में उन व्यक्तियों की तुलना गरजते हुये बादलों से की गई है जो पहले धनी थे किन्तु आज वो निर्धन हैं परंतु फिर भी आज वें अपने मुख से घमंड युक्त पुरानी बातें करते हैं।
नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए।
(क) तरुवर फल....सचहिं सुजान।।
(ख) धरती की-सी. ..यह देह।।
(क) इस दोहें के द्वारा रहीम कहना चाहते है कि जैसे सरोवर अपना पानी नही पीता है और वृक्ष अपना फल नहीं खाता है, उसी तरह सज्जन व्यक्ति द्वारा एकत्रित किया गया धन अपने लाभ के लिए नही बल्कि दुसरो के भलाई के लिए खर्च होता है।
(ख) इस दोहे से रहीम हमें धरती के जैसे सहनशील होने के उपदेश दे रहे है। कवि कहते हैं कि अगर हम सच को स्वीकार कर लें ,तो हम जीवन की सुख - दुख की स्तिथि में एक समान व्यवहार कर पाएंगे।
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिंदी रूप लिखिए
(जैसे-परे-पड़े रे, ड़े)
बिपति - बादर
मछरी - सीत
बिपति - विपत्ति
बादर - बादल
मछरी - मछली
सीत- शीत
नीचे दिए उदाहरण पढ़िए।
(क) बनत बहुत बहु रीत।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में 'ब' का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में 'ज' का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
(i) चंदू के चाचू ने चांदी के चम्मच से चंदू को खिलाया ।(यहाँ 'च' शब्द का इस्तेमाल बार-बार किया गया है)
(ii) मुदित महिपति मंदिर आए।(यहाँ 'म' शब्द का इस्तेमाल बार-बार किया गया है)
(iii) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए( यहाँ 'त' शब्द का इस्तेमाल बारबार किया गया है)
(iv) हमारे हरि हारिल की लकरी(यहाँ 'ह' शब्द का इस्तेमाल बार-बार किया गया है)
(v) रघुपति राघव राजा राम (यहाँ र'शब्द का इस्तेमाल बार-बार किया गया है)
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