In these new and challenging circumstances, NCERT has introduced various supportive study materials. As an illustrative example, students can access NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 3 to comprehend the NCERT patterns effectively. The study materials provided by NCERT are notably clear and exceptionally manageable. Abundant explanations and examples in the chapter aid students in understanding and grasping the concepts better.
The NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3- हिमालय की बेटियां are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
Download PDF
Students can access the NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3- हिमालय की बेटियां. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
नदियाँ युगों तक मानव जीवन के लिए कल्याणकारी रही हैं |ये एक माँ के समान हमारा भरण - पोषण करती हैं | इसलिए नदियाँ माँ के तरह पवित्र , पूजनीय व कल्याणकारी है | मनुष्य नदी को दूषित करने में कोई कमी नहीं छोड़ता परन्तु इतना दुःख , गन्दगी सहकर भी हमारा कल्याण उसी प्रकार करती है जैसे एक कठोर पुत्र का कल्याण माँ चाहती है | अतः काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है|
नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
नदियों को माँ मानने की परंपरा भारतीय संस्कृति में अत्यंत पुरानी है | नदियों को माँ का स्वरूप माना गया है , नदियाँ अपने जल से माँ के समान हमारा पालन - पोषण करती है, हमारे खेतों को सींचती है लेकिन लेखक नागार्जुन ने उन्हें बेटी , प्रेयसी व बहन के रूपों में भी देखते हैं |
सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय की दो ऐसी नदियाँ है जिन्हे ऐतिहासिकता एवं महत्व के आधार पर नद भी कहा गया है | इन्ही दो नदियों में सारी नदियों का संगम होता है | इनका रूप विशाल और विराट है | ये दो ऐसी नदियां है जो दयालु हिमालय के पिघले दिल की एक - एक बूँद से बनी है |
हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
हिमालय की यात्रा में लेखक ने हिमालय की अनुपम छटा की , नदियों की अठखेलियों की , बर्फ से ढँकी पहाड़ियों की , पेड़ - पौधों से भरी घाटियों की , चीर , देवदार , सरो , चिनार , कैल से भरे जंगलों की प्रशंसा की है|
नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएं लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
डॉ. परशुराम शुक्ल अपनी कविता “ नदी “ में सहनशील , संघर्षशील , समर्पण भावना से प्रेरित , कठिनाइयों का डटकर सामना करने वाली स्त्री के रूप में देखते है |
लेखक नागार्जुन इस पाठ में नदी को माँ , बेटी ,प्रेयसी व बहन के रूप में देखते है |
सोहनलाल द्विवेदी जी ने अपनी कविता “ हिमालय “ में हिमालय का विवरण भारत के मुकुट व सम्मान के रूप में किया है | लेखक नागार्जुन ने इस पाठ में हिमालय को एक पिता के रूप में देखते हैं |
गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता “हिमालय “ में उन्होंने भारत व हिमालय के गहरे सम्बन्ध का, विशाल व शक्तिशाली रूप एवं हिमालय का मूल उत्तर से दक्षिण तक फैले होने का विवरण किया है |
लेखक नागार्जुन ने इस पाठ में हिमालय को पिता यानी नदियों के पिता के रूप में प्रस्तुत किया है
यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलने वाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ अब अपनी पवित्रता और मूल रूप को प्रदूषण व मानव हानि के कारण खो चुकी हैं | मैदानी क्षेत्रों में आते - आते शहरों की गंदगी इस तरह मिल जाती है कि स्वच्छता के नाम और निशान मिट जाते है |
अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
हिमालय पर्वत पर देवताओं का वास होने के कारण कालिदास ने हिमालय को देवात्मा कहा है| आज भी हिमालय भगवान शिव का वास स्थान के नाम से जाना जाता है |
लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।
नदियां हमारा एक पुत्र के समान पालन - पोषण करती हैं |हम नदियों को माँ कहना चाहेंगे | नदियों के संरक्षण के लिए भारत सरकार अनेक योजनाएं चला रही हैं | परन्तु यह पूरी तरह से सफल नहीं हो रहीं हैं |
नदियों कप बचने के लिए हम सबको एकजुट होकर आगे कदम बढ़ने होंगे | हमें नदियों के पानी में कचरा , शवों को न बहाए , उद्योगों से निकले रासायनिक पदार्थ न छोड़े | सर्कार व हमे नदियों की स्वच्छ्ता के लिए ठोस कदम उठाने होंगे |
नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों को एक निबंध लिखिए।
नदियां हमेशा से ही हमारे लिए महत्वपूर्ण रही है | नदियां मनुष्य , पशु , पक्षी सबके लिए लाभदायक है | नदियों का पानी खेतों की सिंचाई , जानवरों के लिए पानी आदि में उपयोग होता है | नदियों के पानी से हे बिजली बनाई जाती है जिसे हम “हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी “ कहते हैं | पानी में रहने वाले जीवों का घर है नदी | नदियों को पवित्र मन जाता है इसलिए हम इनकी पूजा भी करते हैं | इनके होने से वातावरण की खूबसूरती बढ़ती है जिससे पर्यटकों का रुझान बढ़ता है |
नदियों को मनोरंजन व आनंद के रूप में उपयोग किया जाता है जैसे बोटिंग , राफ्टिंग आदि | इनसे शान्ति , सुख व पवित्रता की भावना आती है | नदियाँ मछुआरे , किसान , नाविक आदि अनेक लोगों की आजीविका का साधन है |
द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे- राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
पाठ में निम्नलिखित द्वंद्व समासों का प्रयोग हुआ है -
छोटी - बड़ी
माँ - बाप
दुबली - पतली
अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदाहरण
(क) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।
अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
सचमुच दादी माँ शापभ्रष्ट देवी-सी लगी |
हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे |
बच्चे ऐसे सुन्दर जैसे सोने के सजीव खिलौने |
उन्होंने संदूक खोलकर एक चमकती-सी चीज़ निकाली।
निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे
(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूंढिए।
माँ-बाप की गोद में नंग-धड़ंग होकर खेलने वाली इन बालिकाओं को रूप
बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।
संभ्रांत महिला की भाँति प्रतीत होती थी।
हिमालय को ससुर और समुद्र को उसका दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।
पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं। नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए|
विशेषण विशेष्य
संभ्रांत वर्षा
चंचल जंगल
समतल महिला
घना नदियां
मूसलाधार आंगन
विशेषण विशेष्य
संभ्रांत महिला
चंचल नदियाँ
समतल आंगन
घना जंगल
मूसलाधार वर्षा
नदी को उलटा लिखने से दीन होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे-नदी-दीन ( भाववाचक संज्ञा )।
राही - हीरा ( द्रव्यवाचक संज्ञा )
नामी - मीना ( व्यक्तिवाचक संज्ञा )
धारा - राधा ( व्यक्तिवाचक संज्ञा )
राम - मरा (भाववाचक संज्ञा )
समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं, जैसे-बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रवती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढ़कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए ।
सतलुज
रोपड़
झेलम
चिनाब
अजमेर
बनारस
सतलुज - शतद्रुम
रोपड़ - रूपपुर
झेलम - वितस्ता
चिनाब - विपाशा
अजमेर - अजयमेरु
बनारस - वाराणसी
‘उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।’
उपर्युक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं-उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
वाक्य विश्लेषण
वे शायद ही यह काम पूरा करें। वे शायद यह काम पूरा न करें।
उन्हें शायद ही इस बात पर विश्वास हो। उन्हें शायद इस बात पर विश्वास न हो।
उन्हें कौन नहीं जानता। हर कोई उन्हें जानता है।
Admissions Open for 2025-26