Navigating through the crucial years of 7th to 12th grade can be challenging for students, with academic pressures and personal development both playing significant roles. Recognizing these challenges, it becomes imperative to seek effective solutions. In this regard, for Class 8 Hindi, Chapter 14 of Durva, students can find comprehensive assistance through NCERT solutions provided by Orchid International School. These solutions, designed to alleviate academic pressures, offer clear explanations and guidance. Moreover, the availability of a downloadable PDF for Class 8 Hindi Chapter 14 Durva further facilitates language learning, providing students with a valuable resource to enhance their linguistic skills.
Students can access the NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 14 - Baccho Ke Priye Sri Keshav Shankar Pillai. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
पाठ से
(क) गुड़ियों का संग्रह करने में केशव शंकर पिल्लै को कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
(ख) वे बाल चित्रकला प्रतियोगता क्यों करना चाहते थे?
(ग) केशव शंकर पिल्लै ने बच्चों के लिए विश्वभर की चुनी हुई गुड़ियों का संग्रह क्यों किया?
(घ) केशव शंकर पिल्लै हर वर्ष छुट्टियों में कैंप लगाकर सारे भारत के बच्चों को एक जगह मिलने का अवसर देकर क्या करना चाहते थे?
(क) गुड़ियों का संग्रह करने में केशव शंकर पिल्लै को निम्नलिखित प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा-जैसे कि मूल्यवान गुड़ियों के होने से उनके खराब होने का डर व उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने व संग्रह के लिए सुरक्षित स्थान खोजने में बहुत ही ज्यादा कठिनाई का सामना होना।
(ख) बाल चित्रकला प्रतियोगता करवाकर वे उनका भविष्य में भला करना चाहते थे जिसके द्वारा बच्चे को अपनी कला व क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए विश्वव्यापी मंच मिलता था साथ ही साथ तथा देश-विदेश के बच्चों से मिलने एवं उन्हें समझने का भी मौका मिलता था।
(ग) केशव शंकर पिल्लै ने गुड़ियों का संग्रह भारतीय बच्चों के लिए किया क्योंकि भारतीय बच्चे विदेश की गुड़िया ना तो खरीद सकते थे और ना ही उन्हें देख सकते थे तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना बच्चे भारत में ही गुड़िया देखें और उन्हें खरीद सकें और इसके साथ-साथ उन्हें अधिक देश-विदेश की जानकारी मिल सके।
(घ) अपने कैंप के माध्यम से वह पूरे देश के बच्चों को एक जगह एकत्रित करके एक दूसरे से मिलने एवं एक दूसरे को समझने का मौका देना चाहते थे ताकि बच्चे एक दूसरे से मिले और अपने विचारों को एक दूसरे के साथ साझा करें क्योंकि उस समय ना तो टीवी था और ना ही इंटरनेट का कोई माध्यम।
तरह-तरह के काम
केशव ने कार्टून बनाना, गुड़ियों व पुस्तकों का संग्रह करना, पत्रिका में लिखना व पत्रिका निकालना, बाल चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन व बच्चों का सम्मेलन कराना जैसे तरह-तरह के काम किए। उनको किसी एक काम के लिए भी तरह-तरह के काम करने पड़े होंगे। अब बताओ कि–
(क) कार्टून बनाने के लिए उन्हें कौन-कौन से काम करने पड़े होंगे?
(ख) बच्चों के लिए बाल चित्रकला प्रतियोगिता कराने के लिए क्या-क्या करना पड़ा होगा?
(ग) केशव शंकर पिल्लै की तरह कुछ और भी लोग हुए हैं जिन्होंने तरह-तरह के काम करके काफी नाम कमाया। तुम्हारी पसंद के वो कौन-कौन लोग हो सकते हैं? तुम उनमें से कुछ के नाम लिखो और उन्होंने जो कुछ विशेष काम किए हैं उनके नाम के आगे उसका भी उल्लेख करो।
(क) कहानी के पात्रों को कार्टून में बनाया गया होगा और कार्टून बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है चित्रकारी सीखना। उसके बाद तरह-तरह की थीम तैयार करना। कहानी के पात्रों को कार्टून में बनाया गया होगा।
(ख) बच्चों के लिए बाल चित्रकला प्रतियोगिता कराने के लिए निम्नलिखित कार्य करने पड़े होंगे -
1. एक नोटिस सब जगह भेजना या अखबार में निकलवाना।
2. मैदान का इतंजाम करना ।
3. कुछ अच्छे चित्रकार जो उनकी चित्रकला को जाँच सके, उनका इतंजाम करना।
4. बच्चों के बैठने का प्रबन्ध करना ।
5. कुछ विषय जिन पर बच्चे चित्रकला बना सके उस पर सोच-विचार करना।
6 . बच्चों के लिए कुछ पुरस्कार आदि का प्रबंध करना।
(ग) केशव शंकर पिल्लै की तरह कुछ अन्य लोग भी हैं जिन्होंने समाज के विकास हेतु कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाएँ। वे इस प्रकार हैं–
(i) डॉ. किरण बेदी –डॉ. किरण बेदी भारत की प्रथम महिला वरिष्ट अधिकारी रह चुकी हैं। इन्होंने समाज में स्त्रियों की स्तिथि सुधारने में काफ़ी योगदान दिया।
(ii) मदर टेरसा –इन्होंने मिशनरीज़ आफ चेरिटी नामक एक संस्था का निर्माण किया जिसमें गरीब, अनाथ और बीमार लोगों की देख-रेख की जाती है।
घर
तुमने इस पाठ में गुड़ियाघर के बारे में पढ़ा। पता करो कि ‘चिड़ियाघर’, ‘सिनेमाघर’ और ‘किताबघर’ कौन और क्यों बनवाता है? तुम इनमें से अपनी पसंद के किसी एक घर के बारे में बताओ जहाँ तुम्हें जाना बेहद पसंद हो।
मुझे दो स्थानों पर जाना पसंद है एक तो चिड़ियाघर और दूसरा किताबघर । चिड़िया घर –सरकार द्वारा बनवाया जाता है और किताबघर –केशव शंकर पिल्लै के द्वारा बनवाया गया हालांकि अब इसे सरकार ही चलती है। जबकि सिनेमाघर बनाने के लिए सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक होती है साथ ही इन्हे कोई भी बना सकता है।
संग्रह की चीजें
आमतौर पर लोग अपनी मनपसंद, महत्वपूर्ण और आवश्यक चीज़ों का संग्रह करते हैं। नीचे कुछ चीज़ों के नाम दिए गए हैं। जैसे-
(क) डाक-टिकट
(ख) पुराने सिक्के
(ग) गुड़िया
(घ) महत्वपूर्ण पुस्तकें
(ङ) चित्र
(च) महत्वपूर्ण व्यक्तियों के हस्तलेख
इसके अतिरिक्त भी तुम्हारे आसपास कुछ चीज़ें होती हैं जिसे लोग बेकार या अनुपयोगी समझकर कूड़ेदान या अन्य उपयुक्त जगह पर रख या फेंक देते हैं।
(क) तुम पता करो यदि उसका भी कोई संग्रह करता है तो क्यों?
(ख) उसका संग्रह करने वालों को क्या परेशानियाँ होती होंगी?
(इनके उत्तर के लिए तुम बड़ों की सहायता ले सकते हो।)
(क) पुरातत्व संग्रहालय बनाने हेतु हम अनावश्यक वस्तुओं का प्रयोग कर सकते हैं जिन्हें हम कई बार बिना सोचे समझे फेक देते हैं ।उनमें से कुछ चीजें ये हो सकती हैं -मूर्तियाँ , कुछ विशेष प्रकार के बर्तन या फिर कुछ तस्वीरें।
(ख) उसका संग्रह करने वालों को यह परेशानियाँ होती होगी कि ऐसी वस्तुओं को रखने के लिए एक उपयुक्त स्थान की आवश्यकता होगी जोकि काफी लंबा व चौड़ा होना चाहिए ताकि समय -समय पर उसे आवश्यकता अनुसार उपयोग में भी लाया जा सके।
लड़ाई भी खेल जैसी
"अनेक देशों के बच्चों की यह फ़ौज अलग-अलग भाषा, वेशभूषा में होकर भी एक जैसी ही है। कई देशों के बच्चों को इकट्ठा कर दो, वे खेलेंगे या लड़ेंगे और यह लड़ाई भी खेल जैसी ही होगी। वे रंग, भाषा या जाति पर कभी नहीं लड़ेंगे।"
ऊपर के वाक्यों को पढ़ो और बताओ कि
(क) यह कब, किसने, किसमें और क्यों लिखा?
(ख) क्या लड़ाई भी खेल जैसी हो सकती है? अगर हो तो कैसे और उस खेल में तुम्हारे विचार से क्या-क्या हो सकता है ?
(क) यह 1950 के 'शंकर्स वीकली' के बाल विशेषांक में श्री जवाहर लाल नेहरू के द्वारा लिखा गया था। शंकर पिल्लै ने सोचा कि क्यों न बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए बाल चित्रकला प्रतियोगिता रखी जाए। जिससे देश-विदेश के बच्चे आपस में मिलेंगे और अपने विचारों को एक दूसरे के साथ साझा करेंगे। एक दूसरे की भाषा,वेषभूषा व संस्कृति के बारे में जानेंगे। यह विचार नेहरू जी को अत्यधिक पसंद आया और उन्होंने इसलिए ऐसा लिखा।
(ख) लड़ाई को भी एक तरह से खेल की तरह खेला जा सकता है जिसे हम प्रतियोगिता का नाम दे सकते हैं इस माध्यम से कोई भी खेल खेला जा सकता है। इस प्रकार किसी भी खेल या प्रतियोगिता में खेलने वाले को अपने सामने वाले के प्रति अपने आपको बेहतरीन दिखाना ही मुख्य कला होती है।
सुबह से शाम
केशव शंकर पिल्लै बच्चों के लिए सुबह से शाम तक काम में लगे रहते थे। तुम सुबह से शाम तक कौन-कौन से काम करना चाहोगे? नीचे उपयुक्त जगह में अपनी पसंद के काम को भी लिखो और सही (✔) का निशान लगाओ। तुम उसका कारण भी बताओ।
क्रम सं. |
काम का नाम |
✔ या ✖ कारण |
(क) (ख) (ग) |
खेलना पढ़ना चित्रकारी करना |
क्रम सं. |
काम का नाम |
✔ या ✖ कारण |
(क) (ख) (ग) |
खेलना पढ़ना चित्रकारी करना |
✓ खेलना हमारे स्वस्थ के लिए आवश्यक है साथ ही एक कार्य से ऊब न जाएं । ✓ पढ़ना हमारी आवश्यकता है। ✓ चित्रकारी करना हैं। |
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