NCERT Solutions Class 11 Hindi Vitan Chapter 1 Bharatiya Gaayikao Me Bejod: Lata Mangeskar

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Bharatiya Gaayikao Me Bejod: Lata Mangeskar

Question 1 :

लेखक ने पाठ में गानपन का उललेख किया है। पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएं की आपके विचार में इसे प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है?

 

Answer :

जिस प्रकार मनुष्य को मनुष्य कहने के लिए ‘ मानवता’ नामक गुण का होना अनिवर्य हैं, उसी तरह गीत में ‘ गानपन’ का होना अति आवश्यक हैं तभी इसे संगीत कहा जाता है। ‘ गानपन’ का मतलब है- गायन में कितनी मिठास और मस्ती है। लता जी के गीतों में मस्ती और मिठास शत-प्रतिशत भरी हुई है और यही उनकी लोकप्रियता का कारण रहा है। 

गीत में गानपर लाने के लिए तेज आवाज के साथ गीत का अभ्यास करना भी आवश्यक है। शब्दों के उचित उच्चारण के साथ, उसकी आवाज में स्पष्टता होनी भी अति आवश्यक है। गाने में रस के अनुसार लय और ताल होना आवश्यक है। श्रोताओं को गाने का स्वर और अर्थ स्पष्ट रूप से समझ आना चाहिए। रागों की सुंदरता और शुद्धता पर जोर देने के बजाय गीत को मिठास, स्वाभाविकता और सही लय के साथ गाया जाना चाहिए।

 


Question 2 :

लेखक ने लता की गायिका की किन विशेषताओं को उजागर किया है? आपको लता की गायिका में कौन सी विशेषताएं नजर आती है? उदाहरण सहित समझाइए।

 

Answer :

भारत में लता जी को स्वर कोकिला कहा जाता है।उनकी गायकी की क्षमता से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।इसलिए लेखक ने लता जी के गायन में निम्नलिखित विशषताएं उजागर की है- 

  1. लता जी के गायन में बहुत मधुरता है।उनकी आवाज़ में अदभुत मिठास, दृढ़ता, मस्ती तथा लय है। उनकी आवाज़ में अत्यंत ही सुरीलापन हैं।

  2. जीवन को देखने के प्रति लता जी का रवैया उनके भावपूर्ण गायन की निर्मलता में दिखाई देती है।

  3. लेखक ने यहां लता जी के स्वरों में कोमलता और मधुरता का भी वर्णन किया है। इनकी गायिका से कोई भी व्यक्ति इनकी ओर आकर्षित हो सकता है।

  4. लेखक ने लता जी की गायन की एक और विशेषता का वर्णन करते हुए बताया है कि उनके गायन में स्पष्ट उच्चारण का प्रभाव नजर आता है।

  5. लता जी शास्त्रीय शुद्धता में भी पारंगत है। मधुर आवाज होने के साथ-साथ उनके अंदर गीत रंजकता का गुण भी पाया जाता है। गायन के क्षेत्र में लता मंगेशकर को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने बहुत से प्रकार के गीत गाये  हैं।लता जी की आवाज इतनी मधुर है की किसी को भी अपनी और खींचने की क्षमता रखती है। ये भारत की सर्वश्रेष्ठ गायिकाओं में से एक है।

अतः यह कहा जा सकता है कि लता मंगेशकर गायन क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ है और उनका कोई जोड़ नहीं है।

 


Question 3 :

लेखक ने पाठ में ‘गायपन’का उल्लेख किया है। पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएं कि आपके विचार में से प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है?

 

Answer :

इस पाठ में लेखक ने लता मंगेशकर के गायन की विशेषता को उजागर किया है। ‘गानपन’ का शाब्दिक अर्थ है- ऐसा गायन जो एक सामान्य व्यक्ति को भी प्रभावित कर सके। देखा जाए तो ऐसी कला वास्तव में लता जी के भीतर पायी जाती हैं। लता जी का सदैव यह प्रयास रहता है की गीतों को मन की गहराई से गाया जाए। इन्हीं प्रयासों ने लता जी को काफी हद तक सफलता प्राप्त कराई है। जिस तरह इंसान बनने के लिए 'इंसानियत’ के गुणों का होना आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार संगीत के लिए ‘गायपन’ का होना अति आवश्यक है। और यही गाय पन की क्षमता लता जी के गीतों में पाई जाती है। लता जी ने अपनी गायकी में यह गुण लाने के लिए बहुत अभ्यास और कोशिश की है। अपनी गायकी में गायपन लाने के लिए गायकों को बहुत कोशिश करनी चाहिए। साथ ही गीत के बोलों के उच्चारण का स्पष्ट होना भी बहुत जरूरी है। गीत गाने के लिए स्वरों का उपयुक्त ज्ञान भी होना अति आवश्यक है। स्वर, लय, तान का सूक्ष्मा से अध्ययन करने के बाद, उन्हें अपने संगीत में लाने का प्रयास करना चाहिए।

 


Question 4 :

संगीत का क्षेत्र बहुत विशाल है। वहां अब तक अलक्षित,  असंशोधित और अदृष्टिपूर्ण ऐसा खूब बड़ा प्रांत है तथापि ऐसे बड़े जोश इसकी खोज और उपयोगी चित्रपट के लोग करते चले आ रहे हैं-

इस कथन को वर्तमान फिल्मों के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

 

Answer :

संगीत का क्षेत्र बहुत बड़ा और विस्तृत है। संगीत के क्षेत्र में हर समय कुछ नया करने की गुंजाइश होती है इसके अंदर अपार संभावनाएं छुपी होती है। यदि वर्तमान समय में हम संगीत को सुने तो हम पाते हैं कि हर रोज कोई न कोई नई दुनिया का आविष्कार मिलता है, साथ ही नए-नए स्वरों और प्रयोग भी सुनने को मिलते हैं। वर्तमान में पश्चिमी संगीत को बड़े पैमाने पर सुना जा रहा है। आज शास्त्रीय गीत, लोकगीत, प्रांतीय गीत और पश्चिमी गीत के नाम का बोलबाला है। वर्तमान समय में हमें यह भी देखने को मिलता है की पश्चिमी गीतों और लोकगीतों को मिलाकर नए गीत बनाए जा रहे हैं। सीधे तौर पर कहा जाए तो वर्तमान समय में संगीत में नयापन देखने को मिल रहा है और अभी भी कई सुर और ताल का प्रयोग होना संगीत की दुनिया में बाकी है।

 


Question 5 :

चित्रपट संगीत के संगीत ने लोगों के कान बिगड़ दिए, अक्सर यह आरोप लगाया जाता हैं। इस  संदर्भ में कुमार गंधर्व की राय और अपनी राय लिखिए।

 

Answer :

अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि चित्रपट चित्रपट संगीत के संगीत ने लोगों के कान खराब कर दिए हैं लेकिन कुमार गंधर्व इस आरोप से सहमत नहीं हैं। कुमार गंधर्व की नजर में, संगीत में चित्रपट संगीत आने के बाद काफी सुधार आया है। और इसकी वजह से श्रोताओं को गीत  समझने में आसानी होती है। आज के समय में लोगों को गीतों से बहुत लगाव है। आज सामान्य वर्ग भी संगीत की लय को समझने में सक्षम है। चित्रपट संगीत के संदर्भ में, मेरी राय कुछ अलग है - मुझे लगता है कि चित्रपट संगीत से संगीत में अश्लीलता और शोर को बढ़ावा मिला है। यद्यपि चित्रपट संगीत में सुधार हुआ है, लेकिन यह बात केवल पुराने संगीत तक ही सीमित रह गई है। जहां पुराना संगीत मधुरता और जुड़ाव लाता था, वही आज का संगीत भयानक ,शोर और तनाव लाता है। गाने के बोल विचित्र, भयानक, और अश्लील होते हैं। हो सकता आने वाले समय में इसमें कुछ सुधार हो और कुमार गंधर्व का कथन सही साबित हो।

 


Question 6 :

शास्त्रीय और चित्रपट दोनों तरह के संगीतों के महत्व का आधार क्या होना चाहिए? कुमार गंधर्व की इस संबंध में क्या राय है? और आप स्वयं क्या सोचते हैं?

 

Answer :

“संगीत जो श्रोताओं संगीत प्रेमियों को अधिक आनंदित कर सकता है, वही संगीत महत्वपूर्ण माना जाता है, चाहे वह शास्त्रीय संगीत हो या चित्रपट संगीत। दोनों ही संगीत का मूल आधार कर्ण प्रिय होना चाहिए। संगीत को मज़ेदार बनाने में गीत की क्षमता का महत्व होना जरूरी है। अगर शास्त्रीय संगीत में रंजकता का अभाव है, तो वह बिल्कुल नीरस, बदसूरत हो जाएगा और इस में कुछ कमी महसूस होगी। गीत में गायपन का होना आवश्यक है। गीत की सारी मिठास, उसकी सारी ताकत उस पर निर्भर है। रंजक के स्वर को रसिक वर्ग के लिए कैसे प्रस्तुत किया जाए इसके लिए बैठक करनी चाहिए। सोचना चाहिए कि कैसे श्रोताओं के लिए अच्छे संगीत प्रस्तुत किए जाएं जो उन्हें निराश और उबाऊ ना लगे। इसलिए लेखक किराए बिल्कुल सही है और मुझे लगता है कि हर कोई इससे सहमत होगा।




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