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वे दिन-रात यही मनाते थे कि जल्द श्रीमान् यहाँ से पधारें सामान्य तौर पर आने के लिए यधारें शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ पधारें शब्द का क्या अर्थ है?
यहां पधारे शब्द का अर्थ “जाने के” संबंध में इस्तेमाल किया गया है अर्थात “चले जाएँ'।
शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
शिव शंभू की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ मनुष्यों के साथ- साथ जानवरों की भावनाओं से जुड़ा जाता है। कहानी में भी शिव शंभू के पास दो गाय थी, दोनों गायों में से एक कमज़ोर और एक शक्तिशाली थी। शक्तिशाली गाय हमेशा कमज़ोर गाय को मारती रहती थी, लेकिन एक दिन जब शक्तिशाली गाय वहाँ से चली गयी तो उस दिन कमज़ोर गाय उसके बिना अकेला महसूस करती है।उसी प्रकार लॉर्ड कर्जन ने अपने शासनकाल में भले ही भारत वासियों का शोषण किया हो लेकिन उनके जाने का दुख सबको है |
आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आयने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया-यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है ?
लेखक ने यहाँ बंगाल के विभाजन की ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया है। लॉर्ड कर्ज़न दो बार भारत का वायसराय बनकर आया। उसने भारत पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थाई करने के लिए अनेक काम किए। भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं को कुचलने के लिए उसने बंगाल का विभाजन करने की योजना बनाई। शकर्जन की इस चाल को देश की जनता समझ गई और उसने इस योजना का विरोधकिया, परंतु कर्ज़न ने अपनी जिद्द को पूरा किया और बंगाल को दो भागों में बांट दिया|
कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?
कर्जन द्वारा इस्तीफा देने के निम्नलिखित करण थे-
कर्ज़न ने बंगाल विभाजन लागू किया। इसके विरोध में सारा देश खड़ा हो गया। कर्ज़न द्वारा राष्ट्रीय ताकतों को खत्म करने का प्रयास विफल हो गया, उलटे ब्रिटिश शासन की जड़ें हिल गई थी।
कर्जन इंग्लैंड में एक फ़ौजी अफ़सर को इच्छित पद पर नियुक्त करवाना चाहता था। उसकी सिफारिश को नहीं माना। गया। इसी कारण उन्होंने इस्तीफ़ा देने को कहा और ब्रिटिश सरकार ने उनका इस्तीफ़ा भी पास कर दिया।
विचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने गिरे!-आशय स्पष्ट कीजिए।
विचरिए तो क्या शान आपकी इस देश में थी और क्या हो गई लेखक ने यह पंक्ति कर्जन के लिए कही है।वह कहते है कि कर्जन का भारत में एक अलग ही शान, रुतबा और वैभव था। सम्पूर्ण प्रजा, प्रशासन, राजा, धनी व्यापारी, मंत्री अनेक अंतर्गत काम करते थे। जहाँ तक सम्राट के भाई का पद भी इनसे नीचे था।इनका प्रभुत्व अधिक देखने को मिलता है।इनकी पत्नी की सोने की कुर्सी थीं लेकिन इस्तीफ़ा देने से इनकी पूरी शान एक पल में ही नीचे गिर गई।
आपके और यहाँ के निवासियों के बीच में कोई तीसरी शक्ति और भी है-यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया है?
यहां तीसरी शक्ति ब्रिटिश शासकों को संदर्भित करती है | इंग्लैंड में महारानी विक्टोरिया का शासन था भारत में अनेक आदेशों का पालन करने के लिए वायसराय हुआ करते थे जिसमें ब्रिटिश हितों की रक्षा की इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए लॉर्ड कर्जन को भी नियुक्त किया गया जब ब्रिटिश शासकों को लगा कि कर्जन ब्रिटिश शासकों के हित को नहीं बचा सकते तो उन्होंने उन्हें वायसराय के पद से हटा दिया |
पाठ का यह अंश शिवशभू के चिट्ठे से लिया गया है। शिवशंभु नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है। बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया होगा?
शिव शंभू कवि की कल्पना से लिया गया पात्र हैं, जो भांग के बिना नहीं रह सकता था। यह पात्र ब्रिटिश सरकार की तरफ़ संकेत के लिए बनाया गया था। लेखक ने उस समय की सरकार अर्थात् ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ शंभू पात्र का सहारा लेकर उपयोग किया गया था क्योंकि उस समय पर जनता सरकार से सीधे संपर्क करने में समर्थ नहीं थी तो उनको किसी न किसी का सहारा लेकर या माध्यम बनाकर यह कार्य करना पड़ता था।
नादिर से भी बढ़कर आपकी जिदद हैं-कर्जन के संदर्भ में क्या आपको यह बात सही लगती है? पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए।
नादिरशाह एक क्रूर राजा था। उसने दिल्ली में कत्लेआम करवाया, परंतु आसिफजाह ने तलवार गले में डालकर उसके आगे समर्पण कर कत्लेआम रोकने की प्रार्थना की, तो तुरंत कत्लेआम रोक दिया गया। कर्ज़न ने बंगाल का विभाजन किया। आठ करोड़ भारतवासियों की बार-बार विनती करने पर भी उसने अपनी जिद्द नहीं छोड़ी। इस संदर्भ में कर्ज़न की जिद्द नादिरशाह से बड़ी है। वह नादिरशाह से अधिक क्रूर था। उसने जनहित की उपेक्षा की। अत: यह कथन सही है की कर्जन की जिद नादिरशाह से बड़ी है |
क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है ? इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन क्या है? इस पर चर्चा कीजिए |
शासन का अर्थ व्यवस्था का प्रबंधन है | शासन’ किसी एक व्यक्ति की इच्छा से नहीं चलता। यह नियमों का समूह है जो अच्छी व्यवस्था का गठन करता है। यह प्रबंध जनहित के अनुरूप होनी चाहिए। निरंकुश शासक से जनता दुखी रहती है तथा कुछ समय बाद उसे शासक का विनाश हो जाता है। प्रजा को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए। हर नीति में जनकल्याण का भाव होना चाहिए। कहानी में लॉर्ड कर्जन की क्रूरता का वर्णन है जिसमें बंगाल विभाजन जैसे बड़े और ऐतिहासिक फैसले का निर्णय कर लिया और जनता की राय लेना जरूरी नहीं समझा जो जनता के प्रति अन्याय था |
पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग (भारतेंदु युगीन हिंदी) हुआ है। उन्हें सामान्य हिंदी में लिखिए –
आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अत को उनकी जाना पड़ा।
आप किस को आए थे और क्या कर चले?
उनका रखाया एक आदमी नौकर न रखा।
पर आशीवाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से लाभ करें।
आप किसलिए आए थे और क्या करके चले ?
उनके रखवाने से एक आदमी नौकर न रखा गया।
आशीर्वाद देता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से प्राप्त करे।
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