The general readings, on the other hand, to be done in Class 11 Hindi include "Badal Ko Ghirte Dekha Hai" under Chapter 13 of Class 11 Hindi Antara textbook. It is included here for downloading in PDF format with great ease in order to delve deep into the fine points of weather phenomena and their literary representation. In Orchids International School, the treatment of this text will be done in a profound manner; hence, specific evidences from both thematic and linguistic points of view are acquired. This chapter forms part of the Class 11 Hindi Antara curriculum and is very important in the way clouds, part of nature, help give life to compositions that describe universal human experiences. Having access to a PDF version of "Badal Ko Ghirte Dekha Hai" enhances learning and gives a broad view of this literature at Orchids International School.
The NCERT Solutions Class 11 Hindi Antara Chapter 14 Badal Ko Ghirte Dekha are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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Students can access the NCERT Solutions Class 11 Hindi Antara Chapter 14 Badal Ko Ghirte Dekha. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
कस्तूरी मृग के अपने पर ही चिढ़ने के क्या कारण है?
कस्तूरी मृग अपने पूरे जीवन में केवल कस्तूरी गंध की खोज में रहता है। उसे इस बात का ज्ञान नहीं है की कस्तूरी उसकी नाभि में हैं। जब वह उसे खोजते खोजते थक जाता है, तो वह चिढ़ने लगता है। वह अपनी असमर्थता की वजह से परेशान हो जाता हैं।
इस कविता में बादलों के सौंदर्य चित्रण के अतिरिक्त और किन दृश्यों का चित्रण किया गया हैं?
इस कविता में निम्नलिखित दृश्यों का चित्रण है:
(क) ओस की बूंदो को कमलों पर गिरने के दृश्य का चित्रण किया गया है।
(ख) हिमालय में विद्यमान झीलों पर हंसों के तैरने के दृश्य का चित्रण किया गया है।
(ग) वसंत ऋतु के सुंदर सुबह के दृश्य का चित्रण किया गया है।
(घ) चकवा -चकवी का सुबह मिलने के दृश्य का चित्रण किया गया है।
(ड) कस्तूरी हिरण के भागने के दृश्य का चित्रण किया गया है।
(च) किन्नर तथा किन्नरियों के दृश्य का चित्रण किया गया है।
प्रणय - कहल से कवि का क्या तात्पर्य हैं ?
प्रणय - कहल से कवि का तात्पर्य प्रेम रूपी झगड़ों से हैं। इस झगड़े में कड़वाहट की जगह केवल प्रेम उपस्थित है। यह केवल दो प्यार करने वाले जोड़ों के बीच में प्यार की लड़ाई है। कवि चकवा-चकवी के बीच इस प्रेम विवाद को दिखाते हैं।
बादलों का वर्णन करते हुए कवि को कालिदास की याद क्यों आती है?
कालिदास एक ऐसे कवि है जिन्होंने बादल को अपने रचना ‘मेघदूत’ में एक दूत के रूप में दर्शाया था। धनपति कुबेर के द्वारा एक यक्ष को भगा दिया गया था। उस यक्ष ने मेघ को अपना दूत बनाकर अपने अपने प्रिय को संदेश भेजा। कालिदास ने जिन स्थानों का वर्णन किया था, उन्हें खोजने के लिए कवि ने बहुत प्रयास किया। परंतु कवि उन स्थानों को नहीं खोज पाया। इसलिए कवि जब भी बादलों का वर्णन करता है तो उसे कालिदास की याद आ जाती है।
कवि ने ‘महामेघ को इंझानिल से गरज - गरज भिड़ते देखा है’ क्यों कहा है?
पर्वतीय इलाक़ों में कैलाश के शिखर पर, कवि में बादलों के एक समूह को तूफ़ानों से लड़ते देखा है। बहुत बार बादलों के समूह तेज़ हवाओं के साथ टकराते है। जिस वजह से आसमान में बहुत भयंकर गर्जना होने लगती है। उन्हें देखकर प्रतीत होता है की वे लड़ते है। इसलिए कवि ने कहा है कि महामेघ को इंझानिल से गरज - गरज भिड़ते देखा है।
‘बादलों को घिरते देखा है’ पंक्ति को बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या सौंदर्य आया है? अपने शब्दों लिखिए।
इस पंक्ति का प्रयोग कवि ने टेक के रूप में किया है इसलिए इस पंक्ति का उपयोग हर अंतरा के बाद किया जाता है। इस तरह से कविता प्रभावशाली हो जाती है और उसका मूलभाव स्पष्ट हो जाता है। इसके प्रयोग के कारण काव्य सौंदर्य में भी आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिलता है।
कालिदास के ‘मेघदूत’ का संक्षिप्त परिचय प्राप्त कीजिए।
मेघदूत संस्कृति के प्रसिद्ध कवि और नाटककार कालिदास द्वारा रची गयी है। जैसे की नाम से पता चलता है कि कवि ने मेघ को इस कविता में एक संदेशवाहक के रूप में प्रयोग किया है। यह एक प्रेमकथा है इसमें घनपति कुबेर ने एक वर्ष के लिए अपने नगर अलकापूरी से एक यक्ष को निकाल दिया है। यक्ष दक्षिण दिशा में रामगिरि के आश्रम में रहने लगता है। वह किसी तरह से आठ महीने बिताता है लेकिन जब बारिश आती है तो वह अपनी पत्नी यक्षि के विरह से व्याकुल हो जाता है तथा वह अपनी पत्नी को संदेश भेजना चाहता है। वह मेघ से प्रार्थना करता है और मेघ को विभिन्न जगहों के बारे में सूचना देता है। उस सूचना से मेघ निश्चित जगह पर पहुँच सकता है।
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