NCERT Solution for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3: This chapter is titled Maithili Sharan Gupt. He happened to be one of the most famous poets of Hindi. In this chapter, an evaluation has been done on his poetic works and what he has contributed to the Hindi language. Through this chapter, the student of class 10 Hindi Sparsh 3, the life process of the poet, the themes, and the influence of his literary creations on Hindi literature will be known. His style of writing mainly comprised themes like nationalism, cultural heritage, and the human condition.
Students can access the NCERT Solutions for Class-10 Hindi Sparsh chapter 3 Maithili Sharan Gupt. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?
प्रत्येक मनुष्य समयानुसार अवश्य मृत्यु को प्राप्त होता है क्योंकि जीवन नश्वर है। इसलिए मृत्यु से डरना नहीं चाहिए बल्कि जीवन में ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे उसे बाद में भी याद रखा जाए। उसकी मृत्यु व्यर्थ न जाए। जो केवल अपने लिए जीते हैं वे व्यक्ति नहीं पशु के समान हैं। जो मनुष्य सेवा, त्याग और बलिदान का जीवन जीते हैं और किसी महान कार्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, उनकी मृत्यु सुमृत्यु कहलाती हैं।
उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
उदार व्यक्ति परोपकारी होता है। अपना पूरा जीवन पुण्य व लोकहित कार्यो में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, आत्मीय भाव रखता है। कवि और लेखक भी उसके गुणों की चर्चा अपने लेखों में करते हैं। वह निज स्वार्थों का त्याग कर जीवन का मोह भी नहीं रखता। अर्थात् उदार व्यक्ति के मन, वचन, कर्म से संबंधित कार्य मानव मात्र की भलाई के लिए ही होते हैं।
कवि ने दधीचि कर्ण, आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर ‘मनुष्यता’ के लिए क्या संदेश दिया है?
कवि दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है कि किस प्रकार इन लोगों ने अपनी परवाह किए बिना लोक हित के लिए कार्य किए। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दी, कर्ण ने अपना सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रति देव ने अपना भोजन थाल ही दे डाला, उशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दिया। हमारा शरीर नश्वर है इसलिए इससे मोह को त्याग कर दूसरों के हित-चिंतन में लगा देने में ही इसकी सार्थकता है। कवि ने यही संदेश दिया है।
कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व-रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
इस कथन का अर्थ है क संसार के सभी मनुष्य आपस में भाई-भाई हैं। इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए। कोई पराया नहीं है। सभी एक दूसरे के काम आएँ। प्रत्येक मनुष्य को निर्बल मनुष्य की पीड़ा दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है, क्योंकि एकता में बल होता है। मैत्री भाव से आपस में मिलकर रहने से सभी कार्य सफल होते हैं, ऊँच-नीच, वर्ग भेद नहीं रहता। सभी एक पिता परमेश्वर की संतान हैं। अतःसब एक हैं। इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए, एक होकर चलना चाहिए।
व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।
कवि कहना चाहता है कि हमें ऐसा जीवन व्यतीत करना चाहिए जो दूसरों के काम आए। मनुष्य को अपने स्वार्थ का त्याग करके परहित के लिए जीना चाहिए। जो मनुष्य सेवा,त्याग और बलिदान का जीवन जीते हैं और किसी महान कार्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, उनकी मृत्यु सुमृत्यु कहलाती हैं।
‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
प्रकृति के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में चेतना शकित की प्रबलता होती है। ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि मानवता, प्रेम, एकता, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति,सद्भावना और उदारता से परिपूर्ण जीवन जीने का संदेश देना चाहता है। मनुष्य दूसरों के हित का ख्याल रख सकता है। इस कविता का प्रतिपाद्य यह है कि हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए और परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तप्तर रहना चाहिए। जब हम दूसरों के लिए जीते हैं तभी लोग हमें मरने के बाद भी याद रखते हैं। हमें धन-दौलत का कभी घमंड नहीं करना चाहिए। धन होने पर घमंड नहीं करना चाहिए तथा खुद आगे बढ़ने के साथ-साथ औरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए। सभी मनुष्य र्इश्वर की संतान है। अत: सभी को एक होकर चलना चाहिए और परस्पर भार्इचारे का व्यवहार करना चाहिए।
सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
कवि ने एक दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना को उभारा है। इससे बढ़कर कोई पूँजी नहीं है क्योंकि यही गुण मनुष्य को महान, उदार और सर्वप्रिय बनाता है। प्रेम, सहानुभूति,करुणा के भाव से मनुष्य जग को जीत सकता है। महात्मा बुद्ध के विचारों का भी विरोध हुआ था परन्तु जब बुद्ध ने अपनी करुणा, प्रेम व दया का प्रवाह किया तो उनके सामने सब नतमस्तक हो गए। संत महात्मा हमेशा अपनी विनम्रता से मनुष्य जाति का उपकार करते है।जो दूसरों का उपकार करता है, वही सच्चा उदार मनुष्य है।
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
इन पंक्तियों का भाव है कि मनुष्य को कभी भी धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। कुछ लोग धन प्राप्त होने पर इतराने लगते है। स्वयं को सुरक्षित व सनाथ समझने लगते हैं परन्तु उन्हें सदा सोचना चाहिए कि इस दुनिया में कोई अनाथ नहीं है। सभी पर ईश्वर की कृपा दृष्टि है। ईश्वर सभी को समान भाव से देखता है और सभी की सहायता करता हैं। हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए।
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
इन पंक्तियों का अर्थ है कि मनुष्य को अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। बाधाओं, कठिनाइयों को हँसते हुए, ढकेलते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। लेकिन आपसी मेलजोल कम नहीं करना चाहिए। किसी को अलग न समझें, सभी पंथ व संप्रदाय मिलकर सभी का हित करने की बात करे, बिना किसी तर्क के सतर्क होकर इस मार्ग पर चलना चाहिए। विश्व एकता के विचार को बनाए रखना चाहिए।
Admissions Open for 2025-26
The NCERT solution for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3: Maithili Sharan Gupt is important as it provides a structured approach to learning, ensuring that students develop a strong understanding of foundational concepts early in their academic journey. By mastering these basics, students can build confidence and readiness for tackling more difficult concepts in their further education.
Yes, the NCERT solution for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3: Maithili Sharan Gupt is quite useful for students in preparing for their exams. The solutions are simple, clear, and concise allowing students to understand them better. They can solve the practice questions and exercises that allow them to get exam-ready in no time.
You can get all the NCERT solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3 from the official website of the Orchids International School. These solutions are tailored by subject matter experts and are very easy to understand.
Yes, students must practice all the questions provided in the NCERT solution for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3: Maithili Sharan Gupt as it will help them gain a comprehensive understanding of the concept, identify their weak areas, and strengthen their preparation.
Students can utilize the NCERT solution for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3 effectively by practicing the solutions regularly. Solve the exercises and practice questions given in the solution.