NCERT Solution for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9 : The life and ideals of Yashpal have been expounded on in this chapter, depicting a very prominent personality whose life the chapter has celebrated. The story is told in such a way that it tended to bring out all that he has contributed towards society through his commitment to education and social reform. This chapter, "Yashpal," covers a rundown of his endeavors in spreading literacy and how he forged modern educational policies.
Students can access the NCERT Solution for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 9: Yashpal. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं ?
लेखक के अचानक डिब्बे में कूद पड़ने से नवाब-साहब की आँखों में एकांत चिंतन में खलल पड़ जाने का असंतोष दिखाई दिया। ट्रेन में लेखक के साथ बात-चीत करने के लिए नवाब साहब ने कोई उत्साह नहीं प्रकट किया। लेखक से कोई बातचीत भी नहीं की और न ही उनकी तरफ देखा। इससे लेखक को स्वयं के प्रति नवाब साहब की उदासीनता का आभास हुआ।
नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा ? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है ?
नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के उलझन में नवाब साहब ने खीरा खाने की सोची परन्तु जीत नवाब के दिखावे की हुई। और इसी इरादे से नवाब साहब ने खीरा सूँघ कर फेंक दिया ।
नवाब के इस स्वभाव से ऐसा प्रतीत होता है कि वो दिखावे की जिंदगी जीते हैं। खुद को अमीर सिद्ध करने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं।
बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
हम लेखक यशपाल के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं। किसी भी कहानी की रचना उसके आवश्यक तत्वों – कथावस्तु, घटना, पात्र आदि के बिना संभव नहीं होती। घटना तथा कथावस्तु कहानी को आगे बढ़ाते हैं, पात्रों द्वारा संवाद कहे जाते हैं। कहानी में कोई न कोई विचार, बात या उद्देश्य भी अवश्य होना चाहिए। ये कहानी के लिए आवश्यक तत्व हैं।
आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे?
इस कहानी का नाम ‘झूठा दिखावा’ ‘नवाबी शान’, या ‘आडम्बर’ भी रखा जा सकता है, क्योंकि नवाब ने अपनी झूठी शान-शौकत को कायम रखने के लिए अपनी इच्छा को ही दबा दिया। साथ ही उनके नवाबी स्वभाव, सामंती-वर्ग की बनावटी जीवन-शैली व दिखावे को सिद्ध करता है।
किन-किन चीज़ों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?
हम खीर का रसास्वादन करने के लिए उसे अच्छी तरह से एक कटोरी में रखते हैं तथा उसके ऊपर काजू, किशमिश, बादाम और पिस्ता डालकर अच्छी तरह से उसे सजाते हैं और फिर उसका स्वाद लेते हैं ।
नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
सेकंड क्लास के एकांत डिब्बे में बैठे नवाब साहब खीरा खाने की इच्छा से दो ताज़े खीरे एक तौलिए पर रखे हुए थे। पहले तो उन्होंने खीरे को खिड़की से बाहर निकालकर लोटे के पानी से धोया और तौलिए से साफ़ कर पानी सुखा लिया जेब से चाकू निकाला। दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोद कर झाग निकाला। फिर खीरों को बहुत सावधानी से छीलकर फाँको पर बहुत कायदे से जीरा, नमक-मिर्च की सुर्खी बुरक दी। इसके बाद एक-एक करके उन फाँको को उठाते गए और उन्हें सूँघकर खिड़की से बाहर फेंकते गए।
खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा।किसी एक के बारे में लिखिए।
पाठ में प्रस्तुत खीरे के प्रसंग द्वारा नवाब के दिखावटी ज़िंदगी का पता चलता है, इससे उनके सनकी व्यक्तित्व का ज्ञान होता है। ऐसे ही एक सनक यह भी हो सकती है –
नवाब अपनी शान और शौकत के लिए पैसे लुटाने से बाज़ नहीं आते हैं। फिर चाहे उनके घर में पैसों की तंगी ही क्यों न हो पर बाहर वे खूब पैसे लुटाते हैं।
क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।
सनक के दो रुप होते हैं। ऐसे कुछ सनकों का उल्लेख नीचे दिया जा रहा है –
एक सकारात्मक तथा दूसरा नकारात्मक। जहाँ एक ओर नकारात्मक सनक किसी व्यक्ति को समाज में हँसी -मजाक का पात्र बना देता है वहीं सनक का सकारात्मक पक्ष उसे रातों-रात प्रसिद्ध कर देता है।
मदर टेरेसा को सनक थी गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करने की,तो हमारे देश के देशभक्त नेताओं को देश को आज़ादी, दिलाने की सनक सवार थी, महात्मा बुद्ध की सत्य को खोने की सनक ने उन्हें गौतम बुद्ध का दर्जा दिला दिया।
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए –
नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए।
लेट गए – अकर्मक
थककर – अकर्मक
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए –
एक सफेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे थे।
बैठे थे – अकर्मक क्रिया
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए –
नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया।
दिखाया – सकर्मक
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया – भेद भी लिखिए –
ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।
कल्पना करना – अकर्मक
है – अकर्मक
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए –
अकेले सफ़र का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे।
काटना – सकर्मक
खरीदे होंगे – सकर्मक
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए –
दोनों खीरों के सिरे। काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला
काटा – सकर्मक
गोदकर – सकर्मक
निकाला – सकर्मक
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए –
नवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक – मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फाँको की ओर देखा।
देखा – अकर्मक (प्रयोग)
निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए –
जेब से चाकू निकाला।
निकाला – सकर्मक
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