The narrative "Papa Kho Gaye" authored by Vijay Tendulkar portrays the distress of lifeless objects such as trees and letterboxes and the writer's concern regarding the rising occurrences of child kidnappings.
The NCERT Solutions for Hindi Vasant Chapter - 7 पापा खो गए are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पत्र कौनसा लगा और क्यों ?
नाटक में सबसे समझदार पत्र कौआ है क्योंकि कौआ की बुद्धि के कारण ही लेटरबोक्स संदेशा लिख पाता है एवं लड़की उस दुष्ट आदमी से बच जाती है। इसके अलावा कौए के पास सभी समाचार रहते हैं जिसे वह सबको घूम-घूम कर बताता है और वह उनके काम भी आती है।
पेड़ और खम्भे में दोस्ती कैसे हुई?
पेड़ और खंभा हमेशा एक दूसरे के साथ रहते थे। इसके बावजूद भी खंभा अपनी अकड़ के कारण पेड़ से कुछ नहीं बोलता था। लेकिन एक दिन ज़ोर से आँधी आयी। आँधी के कारण गिरते हुए खम्भे को पेड़ अपने ऊपर चोट लेकर सरलता से बचा लेता है तो खम्भे का घमंड टूट जाता है और उन दोनो में दोस्ती हो जाती है।
लेटरबोक्स को सभी लाल ताऊ कहकर क्यों पुकारते थे?
लेटरबोक्स का रंग लाल था और वह पूरी तरह से लाल रंग में रंगा हुआ था। साथ ही लेटरबोक्स की बातें हमेशा बड़ों जैसी और समझदारों वाली होती थी इसीलिए सभी उसे प्यार से लाल ताऊ कहकर पुकारते थे।
लाल ताऊ किस प्रकार बाक़ी पात्रों से भिन्न है?
लाल ताऊ सभी पात्रों से इसलिए भिन्न है क्योंकि सभी पात्रों में केवल लाल ताऊ को ही पढ़ना लिखना आता है। वह इधर उधर भी जा सकता है व नाच भी सकता है। लाल ताऊ दोहे व भजन भी गाता है इसीलिए वह बाक़ी सभी से अलग है।
नाटक में बच्ची को बचानेवाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन कौन सी बातें आपको मज़ेदार लगी? लिखिए।
नाटक में बच्ची को बचानेवाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है और वह है कौआ। कौए की कुछ मज़ेदार बातें निम्नलिखित है-
(क) “वह दुष्ट है कौन ? पहले उसे नज़र तो आने दीजिए।”
(ख) लड़की के नींद से जग जाने तथा “कौन बोल रहा” पूछने पर कहना- “मैंने नहीं किया” ।
(ग) सुबह जब हो जाए तो पेड़ राजा, आप अपनी घनी छाया इस पर किए रहे। वह आराम से देर तक सोयी रहेगी।
क्या वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे?
नाटक के सभी पात्र लड़की को लेकर चिंता में थे और वे सभी उस लड़की को उसके घर पहुँचाना चाहते थे परंतु यह सम्भव नहीं हो पा रहा था क्योकि लड़की की उम्र बहुत कम थी और वह बहुत भोली थी । उसे अपने घर का रास्ता भी नहीं पता था । यहाँ तक कि उसे अपने पापा का नाम तक भी नहीं पता था। इन सभी वजहों से लड़की को उसके घर पहुँचानें में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
मराठी से अनुदित इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए।
बच्ची बहुत छोटी थी और उसे अपने घर का पता व अपने पिता का नाम तक भी नहीं पता था। इस नाटक में सभी पात्र मिलकर केवल बच्ची के पिता को ढुंढने के उपाय ढूँढ रहे है , इसी वजह से इस एकांकी का शीर्षक ‘पापा खो गये’ रखा गया होगा। इस नाटक में बच्ची अपने पिता से बिछड़ कर खो गयी है। एकांकी का शीर्षक लापता बच्ची भी रखा जा सकता था, क्योंकि नाटक के अधिकांश हिस्से में बच्ची के ही नाम, पते को जानने की कोशिश की जा रही है।
क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीक़ा बता सकते है?
वर्तमान समय में सभी लोग एक दूसरे से जुड़े होते है। बच्ची के पिता को खोजने के लिए पुलिस स्टेशन जाकर बच्ची का ब्योरा पुलिस को दिया जा सकता है जिससे पुलिस ख़ुद बच्ची का पता ढूँढ कर बच्ची को उसके घर पहुँचा देगी। इसके अलावा अख़बारों में, दूरदर्शन पर, सोशल मीडिया जैसे- फ़ेसबुक और वट्सऐप की मदद से बच्ची की गुमशुदा की ख़बर दी जा सकती है।
अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में होगी? क्या वह पार्क/ मैदान में खेल रही होगी या घर से रूठ कर भाग गयी होगी या कोई अन्य कारण होगा?
इस नाटक को पढ़ कर ऐसा लगता है कि बच्ची को उसके घर से उठाया गया था क्योंकि जिसने बच्ची को उठाया था वो कहता है कि- “अभी-अभी एक घर से ये बच्ची उठाई है मैंने, गहरी नींद में सो रही थी”। इसके अलावा अगर बच्ची को किसी पार्क या मैदान से उठाया गया होता तो बच्ची जाग गयी होती ओर चीख़ती चिल्लाती जिससे वहां पर मौजूद आस पास के लोग इक्कठा हो गये होते। परंतु ऐसी किसी घटना का नाटक में वर्णन नहीं हुआ है। अतः बच्ची को सोते हुए उसके घर से ही उठाया गया होगा।
नाटक में दिखाई गयी घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए बच्चें आज कल क्या-क्या कर सकते है।संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे है। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखिए।
* समूह में चलना
* एकजुट होकर बच्चा उठानेवालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना।
* अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।
* छोटे बच्चों को हमेशा अपने माता पिता या फिर घर के किसी बड़े के साथ ही बाहर जाना चाहिए।और उनका हाथ पकड़ कर रखना चाहिए।
* किसी भी अनजान व्यक्ति द्वारा किसी भी प्रकार की चीज़ें नहीं लेनी चाहिए।
* अगर कोई भी अनजान व्यक्ति आपको किसी भी चीज़ का लालच दे या फिर आपको परेशान करे तो उसका विरोध करना चाहिए। जिससे कि आपके आस पास के लोग आपकी सहायता के लिए आ जाए।
आपने देखा होगा कि नाटक के बीच - बीच में कुछ निर्देश दिए गये है। ऐसे निर्देशो से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते है, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे- ‘सड़क / रात का समय...... दूर कहीं कुत्तों के भौकने की आवाज़।’ यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या-क्या करोगे, सोचकर लिखिए।
रात का समय दिखाने के लिए मंच की रोशनी कम की जा सकती है काला कपड़ा लगाया जा सकता है। मंच पर कुछ तारें व एक चाँद भी लगाया जा सकता है। मंच की सभी लाइट को बंद कर सकते है । रात के दृश्य को और भी सजीव बनाने के लिए आधी रात में अंधेरे में केवल एक रोशनी लगायी जा सकती है।
पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिह्नों की ओर गया होगा। अगले पृष्ठ पर दिए गये अंश से विराम चिह्नों को हटा दिया गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चिह्न लगाइए-
मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप रे वो बिजली थी या आफ़त याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ खड्डा कितना गहरा पड़ गया था खम्भे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है अंग थर थर काँपने लगते है।
पाठ से लिए गए उपयुक्त खंड को ध्यान से पढ़ने के पश्चात निम्न प्रकार से विराम चिह्न एवं अल्प विराम चिह्नों को लगाया जा सकता है।
मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे, बाप रे! वो बिजली थी या आफ़त; याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी, वहाँ खड्डा कितना गहरा पड़ गया था। खम्भे महाराज! अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थर थर काँपने लगते है।
आस- पास की निर्जीव चीज़ों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे-
* चॅाक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
* क़लम का कॉपी से संवाद
* खिड़की का दरवाज़े से संवाद
* चॅाक का ब्लैक बोर्ड से संवाद-
चॅाक- मैं कितनी गोरी हूँ ।
ब्लैक बोर्ड- हाँ वो तो तुम हो ।
चॅाक- और तुम कितने काले हो ।
ब्लैक बोर्ड- हम दोनों कितने अलग-अलग है ना?
चॅाक- हाँ, पर तुम काले हो तभी मैं तुम पर सब लिख पाती हूँ और सुंदर लगता है।
ब्लैक बोर्ड- हाँ और सब बच्चें पढ़ते है।
* क़लम का काॅपी से संवाद -
क़लम- मैं सभी को बहुत ज़्यादा प्रिय हूँ।
काॅपी- हाँ वो तो तुम हो ।
क़लम- सभी लोग हमेशा मुझे अपने पास रखते है
काॅपी- हाँ, क्योंकि तुम्हारी ज़रूरत सबको पड़ती रहती है ना।
क़लम- तुमको पता है एक बात?
काॅपी- क्या बात? बताओ तो!
क़लम- मुझे लगता है ना कि इस दुनिया में मेरे बिना कुछ नहीं हो सकता।
काॅपी- देखो क़लम तुम अच्छी हो और सबको तुम्हारी ज़रूरत हमेशा रहती है परंतु ऐसे घमंड नहीं करते ।
क़लम- क्यों बात तो सही है ना, तुम क्या जानो ख़ुद एक जगह पड़ी रहती हो जब मेरा मन करे आकर तुम पर लिख कर चली जाती हूँ।
काॅपी- तुम चाहें कितनी भी ख़ूबसूरत हो जाओ या फिर कितना ही लोगों की पसंद बन जाओ पर लिखने के लिए तो तुम्हें मुझसे ही काग़ज़ माँगना पड़ेगा ना इसलिए हमें कभी घमंड नहीं करना चाहिए।
क़लम- ठीक है काॅपी, मुझे माफ़ करदो।
* खिड़की का दरवाज़े से संवाद
खिड़की- भैया हम दोनो के नए-नए पर्दे कितने अच्छे हैं ना ?
दरवाज़ा- हाँ, खिड़की बहुत अच्छे हैं और एक जैसे भी हैं!
खिड़की- एक जैसे तो हैं पर आपके पर्दे बड़े क्यों हैं?
दरवाज़ा- खिड़की मेरे पर्दे बड़े इसलिए है क्योंकि अगर छोटे रह गये तो नीचे से तो सब दिखेगा ना?
और मैं लम्बा भी हूँ इसीलिए बड़े पर्दे चाहिए ना ।
खिड़की- पर भैया मेरे पर्दे बड़े कब होंगे?
दरवाज़ा- जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम्हारे पर्दे भी बड़े हो जाएँगे।
उपर्युक्त में से दस पंद्रह संवादों को चुने उनके साथ दृश्यों की कल्पना करे और छोटा सा नाटक लिखने का प्रयास करे। इस काम में अपने सिक्षक से सहयोग ले।
एक दिन स्कूल की किसी कक्षा में क़लम, काॅपी, ब्लैक बोर्ड और खिड़की आपस में बातें कर रहे थे-
क़लम- यह कक्षा मेरे बिना अधूरी है। क्योंकि मेरी वजह से ही सभी बच्चें पढ़ पाते है।
काॅपी- यह असम्भव है क्योंकि अगर मैं ही नहीं होती तो तुम किस पर लिखती।
क़लम- तुमसे ज़्यादा लोग मुझे प्यार करते है इसी लिए वे मुझे हमेशा अपने पास रखते है।
काॅपी- बात तो तुम सही कर रही हो परंतु मेरे बिना तुम अधूरी हो।
दोनो में झगड़ा होने लगता हैं।
खिड़की- चुप! सबसे महत्वपूर्ण मैं हूँ क्योंकि मेरे वजह से ही कक्षा में शुद्ध वायु आती है और सभी बच्चें स्वस्थ रहते है। जब बच्चे स्वस्थ रहेंगे तभी वह पढ़ सकते है।
तीनों की लड़ाई होने लगती है फिर ब्लैक बोर्ड बोलता है-
ब्लैक बोर्ड- तुम सभी लोग पागल हो जो आपस में लड़ रहे हो हम सभी एक दूसरे पर निर्भर है और अगर हम सब में से कोई भी नहीं होगा तो सभी का काम रुक जायगा।