In Chapter 1 of Class 6 Hindi Vasant, titled "Vah Chidiya Jo," author Kedarnath Agrawal beautifully portrays the wonders of nature through the activities of a little bluebird. The poem describes the bird's endearing nature, its love for grains and the vast forest. It also emphasizes the bird's melodious songs. The poet ends the poem by drawing a parallel between the bird and himself, expressing his affection for the world.
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कविता पढ़कर तुम्हारे मन में चिड़िया का जो चित्र उभरता है उस चित्र को कागज़ पर बनाओ।
इस कविता में चिडिया एक संतोषी और नीले पंखों वाली चिडिया है, जैसे- दाना चुगती, दूध पीती, कटोरे में मुँह डालती,बूढ़े वन के लिए गाना गाती और नदि के दिल से मोती लाने वाली चिड़िया आदि।
तुम्हें कविता को कोई और शीर्षक देना हो तो क्या शीर्षक देना चाहोगे? उपयुक्त शीर्षक सोच कर लिखो।
'नीले पंखों वाली चिड़िया।
इस कविता के आधार पर बताओ कि चिड़िया को किन-किन चीज़ों से प्यार है?
चिड़िया जिन चीज़ों से प्यार करती है वो इस प्रकार हैं-
(1) चिड़िया को खेतों में लगे जौ-बाजरे की फलियों (अन्न) से प्यार है।
(2) उसे जंगल में मिले एकान्त, जहाँ वह खुली हवा में गाना गा सकती है, से प्यार है।
(3) उसे नदी से प्यार है जिसका ठंडा और मीठा पानी वह पीती है।
यह चीज़ें उसे आज़ादी का एहसास दिलाती हैं। इसलिए वह इन सबसे प्यार करती है।
आशय स्पष्ट करो:
(क) रस उँडेल कर गा लेती है
(ख) चढ़ी नदी का दिल टटोलकर
जल का मोती ले जाती है
(क)
''रस उँडेल कर गा लेती है''
इस पंक्ति का आशय यह है की चिड़िया बूढ़े बन के लिए बंधन मुक्त होकर और खुश होकर गाने लगती है। उसके गाने में इतना मीठा पन है जब वह गाती है तो ऐसा लगता है जैसे उसने वातावरण में मीठा रस घोल दिया है।
(ख)
''चढ़ी नदी का दिल टटोलकर
जल का मोती ले जाती है''
इस पंक्ति का आशया है की चिड़िया बहुत ही फुर्तीली और साहसी है जो बहते पानी से अपने प्यास ही नहीं बुझाती बल्कि नदी का दिल टटोलकर उसके जल से के बीच से मोती को भी ढूंढ लेती है।
इन पंक्तियों में चिड़िया की कार्य-कुशलता को दर्शाया गया है।
कवि ने नीली चिड़िया का नाम नहीं बताया है। वह कौन सी चिड़िया रही होगी? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए पक्षी-विज्ञानी सालिम अली की पुस्तक ‘भारतीय पक्षी’ देखो। इनमें ऐसे पक्षी भी शामिल हैं जो जाड़े में एशिया के उत्तरी भाग और अन्य ठंडे देशों से भारत आते हैं। उनकी पुस्तक को देखकर तुम अनुमान लगा सकते हो कि इस कविता में वर्णित नीली चिड़िया शायद इनमें से कोई एक रही होगी-
नीलकंठ
छोटा किलकिला
कबूतर
बड़ा पतरिंगा
इस कविता में वर्णित नीली चिड़िया शायद नीलकंठ रही होगी, क्योंकि उसके शरीर के ज्यादातर भाग का रंग नीला आकार छोटा तथा आवाज़ मीठी होती है।
नीचे कुछ पक्षियों के नाम दिए गए हैं। उनमें यदि कोई पक्षी एक से अधिक रंग का है तो लिखो, कि उसके किस हिस्से का रंग कैसा है। जैसे तोते की चोंच लाल है, शरीर हरा है।
मैना
कौआ
बैतखे
कबूतर
मैना- मैना के पंख भूरे व सफ़ेद रंग के होते हैं। उनकी टाँगें हलकी लाल होती हैं।
कौआ- कौआ का पूरा शरीर काला होता है।
बतख- बतख सफ़ेद रंग का होता है। इसके पैर हल्के गुलाबी रंग के होते हैं।
कबूतर- कबूतर का रंग स्लेटी सफ़ेद होता है। गरदन कुछ-कुछ नीले रंग की होती है। इसकी टाँगे लाल होती हैं।
कविता का हर बंध ‘वह चिड़िया जो-‘ से शुरू होता है और मुझे बहुत प्यार है’ पर खत्म होता है। तुम भी इन। पंक्तियों का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से कविता में कुछ नए बंध जोड़ो।
वह चिड़िया जो
चींची करके
सबका मन बहलाती है।
नील गगन की सीमा पाने
पंख पसारे उड़ जाती है।
अपना घर बनाने के लिए।
घास के तिनके लाती है।
वह परिश्रमी चिड़िया सबको
परिश्रम का पाठ सिखाती है।
तुम भी ऐसी कल्पना कर सकते हो कि ‘वह फूल का पौधा जो-पीली पंखुड़ियों वाला-महक रहा है, मैं हूँ। उसकी विशेषताएँ मुझ में हैं …। फूल के बदले वह कोई दूसरी चीज़ भी हो सकती है जिसकी विशेषताओं को गिनाते हुए तुम उसी चीज़ से अपनी समानता बता सकते हो … ऐसी कल्पना के आधार पर कुछ पंक्तियाँ लिखो।
वह फूल का पौधा जो:
हवा में झूलता
आंगन में खड़ा मुस्कुरा रहा है
खुशबू अपनी फैला रहा है
पीली पंखुड़ियों वाला पौधा मैं हूं
मुझे हवा से बहुत प्यार है।
वह फूल का पौधा जो-
खिलता - मुरझाता
पर खुशबू से नाता सदा निभाता है
मुरझाने पर भी सुगंध ही
पीली पंखुड़ियों वाला वह पौधा मैं हूं
मुझे महक से बहुत प्यार है।
वह चिड़िया ………….. जुडी के दाने रुचि से …….. खा लेती है।
वह चिड़िया …………… रेस उँडेलकर गा लेती है।
कविता की इन पंक्तियों में मोटे छापे वाले शब्दों को ध्यान से पढ़ो। पहले वाक्य में रुचि से खाने के ढंग की और दूसरे वाक्य में ‘रस उँडेलकर’ गाने के ढंग की विशेषता बता रहे हैं। अतः ये दोनों क्रियाविशेषण हैं। नीचे दिए वाक्यों में कार्य के ढंग या रीति से संबंधित क्रियाविशेषण शब्द छाँटो
1. सोनाली जल्दी-जल्दी मुँह में लड्डू ठूसने लगी।
2. गेंद लुढ़कती हुई झाड़ियों में चली गई।
3. भूकंप के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा।
4. कोई सफ़ेद-सी चीज़ धप्प-से आँगन में गिरी।
5. टॉमी फुर्ती से चोर पर झपटा।
6. तेजिंदर सहमकर कोने में बैठ गया।
7. आज अचानक ठंड बढ़ गई है।
1. जल्दी-जल्दी
2. लुढ़कती हुई।
3. धीरे-धीरे
4. धप्प से
5. फुर्ती से
6. सहमकर
7. अचानक
पंखोंवाली चिड़िया
नीले पंखोंवाली चिड़िया
ऊपरवाली दराज
सबसे ऊपरवाली दराज़
यहाँ रेखांकित शब्द विशेषण का काम कर रहे हैं। ये शब्द चिड़िया और दराज संज्ञाओं की विशेषताएँ बता रहे हैं, अतः | रेखांकित शब्द विशेषण हैं और चिड़िया, दराज विशेष्य हैं। यहाँ ‘वाला/वाली’ जोड़कर बनने वाले कुछ और विशेषण दिए गए हैं। ऊपर दिए गए उदाहरणों की तरह इनके आगे एक-एक विशेषण और जोड़ो।
……. मोरोंवाला बाग
………….. पेड़ोंवाला घर।
…………… फूलोंवाली क्यारी
…………. स्कूलवाला रास्ता।
…………. हँसनेवाला बच्चा
………… मूंछोंवाला आदमी।
1. सुनहरे मोरोंवाला बाग-सुनहरे मोरोंवाली बाग
2. हरे-भरे पेड़ोंवाला बाग-हरे-भरे पेड़ोंवाला बाग
3. पीले फूलोंवाली क्यारी-पीले फू लोंवाली क्यारी
4. महात्मा गांधी स्कूलवाला रास्ता महात्मा गांधी स्कूलवाला रास्ता
5. अधिक हँसनेवाला बच्चा-अधिक हँसनेवाला बच्चा।
6. घनी-मूछोंवाला आदमी-घनी मूछोंवाला आदमी
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