NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antara Chapter 6: Bharat-Ram ka Prem - Pad

NCERT Class 12 Hindi Antara Chapter 6: Bharat-Ram ka Prem - Pad develops critical thinking and reasoning about the emotional and philosophical depth in Tulsidas's couplets. This chapter deals with the bonding and love between Bharat and Ram, which nobody ever shared or can share in the epic Ramayana. Class 12 Bharat-Ram ka Prem: The poetic composition is dedicated to the aspects of loyalty, brotherhood, and sacrifice that Bharat had performed on the ground of devotion towards Lord Ram. Poetic rendition in the text takes an immersive experience on emotional dialogues and thoughts that highlight the strong relation between two brothers. These solutions enlighten the student with delicacies of the Hindi language and cultural importance of the epic.

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Bharat-Ram ka Prem - Pad

Question 1 :

‘हारेंहु खेल जितावहीं मोही’ भरत के इस कथन का क्या आश्य है? 

 

Answer :

 प्रस्तुत कविता में दी गई इस पंक्ति के माध्यम से कवि तुलसीदास जी श्री राम और भरत के चरित्र को सकरात्मक रूप से दर्शाते हैं। कवि कहते हैं कि जब श्रीराम अपने छोटे भाई भरत के साथ मैदान में खेल खेलते हैं तो वह खुद हारकर अपने भाई भरत को जीता देते हैं जिससे उनके अनुज को कोई दुख ना पहुँचे। श्री राम अपने छोटे भाई को दुखी नहीं देख सकते हैं। अपने बड़े भाई के बारे में भरत कहते हैं कि मेरे प्रिय भाई बहुत ही करुणा वाले हैं, वह सभी से प्रेम करते हैं तथा कभी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाते हैं। इस पंक्ति से हमें यह ज्ञात होता हैं कि राम और भरत दोनों ही एक दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं तथा एक दूसरे को कभी दुख में नहीं देख सकते हैं। उनके विचार एक दूसरे के प्रति सकरात्मक हैं। 

 


Question 2 :

‘मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ’ में राम के स्वभाव की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है? 

 

Answer :

प्रस्तुत कविता की इन पंक्तियों से श्रीराम के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताओं का पता चलता है:

  1. श्रीराम बहुत ही करुणा वाले हैं। वह बचपन से ही अपने भाइयों को बहुत अधिक प्रेम और स्नेह देते थे।

  2. श्रीराम के सबसे प्रिय छोटे भाई भरत थे। वह सदैव ही भरत को सही मार्ग दिखाते थे। 

  3. खेल के मैदान में भी श्रीराम कभी भी भरत को कष्ट देने वाला कोई काम नहीं करते थे। वह हमेशा ही उन्हें प्रेम देते थे। 

 


Question 3 :

 राम के प्रति अपने श्रद्धाभाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं, स्पष्ट कीजिए। 

 

Answer :

श्रीराम चन्द्र भरत के बड़े भाई थे और भरत उनसे असीम प्रेम करते थे। भरत श्रीराम को भगवान मानकर खुद को उनका सेवक समझते थे और उनकी पूजा करते थे। जब भरत अपने बड़े भाई श्रीराम से उनके वनवास के दौरान मिलने जाते हैं तो श्रीराम की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता है। भरत जब श्रीराम को देखते हैं तो वह अपने आँसूओं को रोक नहीं पाते हैं। भरत जी श्रीराम से अपनी आशाएं बताते है और श्रीराम को उनकी खूबियों के बारे में भी अवगत करा कर अपनी श्रद्धा को उनके समक्ष उजागर करते हैं। श्रीराम को वन में देखकर भरत बहुत दुखी होते हैं और खुद को दोष देते हैं। भरत का यह व्यवहार उनके श्रीराम के प्रति असीम प्रेम और श्रद्धा को दर्शाता है।

 


Question 4 :

‘महीं सकल अनरथ कर मूला’ पंक्ति द्वारा भरत के विचारों-भावों का स्पष्टीकरण कीजिए।

 

Answer :

प्रस्तुत पंक्ति से हमें यह ज्ञात होता है कि जब भरत अपने बड़े भाई श्रीराम से वन में भेंट करने जाते हैं तो उन्हें ऐसी स्थिती में देखकर वह दुखी होते हैं और अपने आप को उनकी ऐसी स्थिती का दोषी समझते हैं। भरत ऐसा मानते है कि संसार में जो कुछ अनुचित हो रहा है वह उनके ही कारण हो रहा है। वह खुद को अपराधी समझकर सारा दोष खुद पर ले लेते हैं।

 


Question 5 :

 ‘फरइ कि कोदव बालि सुसाली। मुकुता प्रसव कि संबुक काली’। पंक्ति में छिपे भाव और शिल्प सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।

 

Answer :

पहली पंक्ति में तुलसीदास कहते हैं कि जैसे मोटे चावल की बालियों में महिन चावल नहीं उग सकते हैं, तालाब के काले घोंघे मोटी नहीं दे सकते हैं। ठीक उसी प्रकार भरत यह मानते हैं कि बस उनकी माँ कैकेई को दोषी नहीं कहा जा सकता क्योंकि मेरी माँ ने बस मेरे लिए ही अपने बड़े बेटे को वनवास जाने का आदेश दे दिया। इसलिए यह मेरी भी गलती हुई।

शिल्प सौंदर्य:- प्रस्तुत कविता में कवि तुलसीदास ने अवधी भाषा प्रयोग की है। ‘कि कोदव ‘अनुप्रास अलंकार है’। यह चौपाई छंद में लिखा गया है। भाषा प्रवाहमयी है और इसकी शैली गेय है।

 


Question 6 :

राम के वन-गमन के बाद उनकी वस्तुओं को देखकर माँ कौशल्या कैसा अनुभव करती हैं? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

 

Answer :

श्रीराम जब वनवास के लिए चले जाते हैं तो उनकी माता कौशल्या उनकी वस्तुओं को देखकर भावुक हो जाती हैं। वह श्रीराम से अत्यंत प्रेम कती थी और उनके जाने के बाद उनकी त्यागी हुई वस्तुओं को देखकर माँ कौशल्या के अश्रु निकल आते हैं। माँ कौशल्या हर जगह बस श्रीराम को ही ढूंढती हैं और उन्हें हर जगह वो ही दिखते हैं। माँ कौशल्या श्रीराम की वस्तुओं को लेकर अपनी आंखो से लगा लेती हैं, परंतु जब उन्हें यह ज्ञात होता है कि उनके प्रिय पुत्र चौदह वर्षों के लिए उनसे दूर वन में रहेंगे तो वह और भावुक हो जाती हैं। वह श्रीराम को वन में होने वाले दुखों के बारे में सोचकर और व्याकुल हो जाती हैं और उन्हें किसी बात की सुध नहीं रहती है।

 


Question 7 :

 ‘रहि चकि चित्रलिखी सी’ पंक्ति का मर्म अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

 

Answer :

प्रस्तुत पंक्ति में अपने पुत्र से बिछड़ी हुई माता की पीड़ा दिखाई पड़ती है। अपने पुत्र श्रीराम से दूर हो जाने से माता कौशल्या अत्यंत दुखी हैं। वह श्रीराम की त्यागी हुई वस्तुओं को अपने हृदय से लगाकर खुद को सांत्वना देने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन ऐसा करके भी उनका दुख कम नहीं हो रहा बल्कि बढ़ता जा रहा है। वह श्रीराम को वनवास के दौरान होने वाले कष्टों को सोचकर आहत हैं। वह अपने दुख में इतनी डूबी हुई हैं कि उन्हें किसी और चीज का ख्याल नहीं है। वह श्रीराम के वन में रहने के बारे में सोचकर चुप हो जाती है मानो जैसे उनके भीतर कोई भाव ही नहीं बचा हो। 

 


Question 8 :

गीतावली से संकलित पद ‘राघौ एक बार फिरी आवौ’ में निहित करुणा और सन्देश को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

 

Answer :

प्रस्तुत पद माता कौशल्या का अपने पुत्र श्रीराम के लिए सन्देश हैं। श्रीराम अपने वनवास जाने से दुख में है परन्तु उनसे ज्यादा दुखी उनका घोड़ा है। माता कौशल्या अपने सन्देश में कहती है कि राम अपने महल वापस लौट आओ। वह ऐसा अपने स्वार्थ से नहीं बल्कि राम के घोड़े के दुखी होने पर कहती है। श्रीराम का घोड़ा उनके देखभाल करने के बाद भी दुखी और निर्बल हो गया है। वह अपने राम के चले जाने की वजह से पीड़ा में है। माता कौशल्या श्रीराम के घोड़े के दुख को जानती हैं और इसी कारण वह राम को वापस आने का आग्रह करती हैं, अपने लिए नहीं बल्कि उनके घोड़े के लिए। 

 


Question 9 :

(क) उपमा अंलकार के दो उदाहरण छाँटिये। 

(ख) उत्प्रेक्षा अंलकार का प्रयोग कहाँ और क्यों किया गया है? उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

 

Answer :

(क)   उपमा अंलकार के दो उदाहरण इसप्रकार है-

  1. ‘कबहूँ समूझी वनगमन राम को रही चकि चित्रलिखी सी’- इस पंक्ति में, ‘चित्रलिखी सी’ में उपमा अलंकार है। राम को अपने पास नहीं पाने पर माता कौशल्या चित्र के स्त्री की भांति स्तब्ध खड़ी रहती है। हिलती-डुलती नहीं है।

  2. तुलसीदास वह समय कहे ते लागति प्रीति सिखी सी- इस पंक्ति में सिखी सी उपमा अलंकार है। इसमें माता कौशल्या की स्थिती मोरनी की तरह दिखाई गई है। वर्षा होने पर मोरनी उत्साहित होकर नृत्य करने लगती है परंतु जब वह अपने पैरों को देखती है तो दुखी होकर रोने लगती है। 

(ख)   गीतावली के दूसरे पद की पंक्ति “ तदपि दिनहिं दिन होत झावरे मनहुं कमल हिमसारे” में उत्प्रेक्षा अंलकार का प्रयोग हुआ है। इसमें राम के वियोग से पुर्वी घोड़े के दुःख की तुलना कमलों से की गई है जो बर्फ की मार के कारण मुरझा रहे हैं। इस प्रकार तुलसीदास जी ने घोड़े की व्यथा को जीवंत कर दिया है।

 


Question 10 :

पठित पदों के आधार पर सिद्ध कीजिए कि तुलसीदास का भाषा पर पूरा अधिकार था।

 

Answer :

 तुलसीदास की रचनाओं को पढ़कर यह ज्ञात होता है कि उन्हें बहुत सी भाषाओं के बारे में ज्ञान था। उन्हें संस्कृत, ब्रज और अवधी इन सभी भाषाओं के बारे में ज्ञान था। तुलसीदास जी ने श्रीराम और उनके छोटे भाई भरत के असीम प्रेम के बारे में अवधी में लिखा है और उनके पदों कि भाषा ब्रज थी। उन्होंने गीतावली की रचना पद शैली में की है। तुलसीदास ने अनुप्रास अलंकार का प्रयोग उत्कृष्टता से किया है। कहीं-कहीं उपमा अलंकार और उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग भी किया है।


Frequently Asked Questions

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